Differences between men and women: सोमवार को सीबीएसई ने बारहवीं कक्षा के परिणाम घोषित किए. और इन नतीजों में 87.98 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं. बीते साल कुल 87.33 फीसदी छात्र पास हुए थे. और हर बार की तरह इस बार भी सीबीएसई कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में लड़कियों ने बाजी मारी है. लड़कियों ने एक बार फिर से लड़कों को पछाड़ दिया है. इस बार 91.52 प्रतिशत लड़कियों ने परीक्षा पास की है, यह लड़कों से 6.40 प्रतिशत ज्यादा है.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), सीबीएसई 12वीं का रिजल्ट आज घोषित कर दिया है. और इसके साथ ही एक बार फिर छात्रों में यह बहस छिड़ गई है कि लड़कियों का दिमाग ज्यादा तेज होता है और वे तो बिना पढ़े भी पास हो सकती हैं. क्या यह बात वाकई सच है. क्या वाकई हर साल लड़कियों परीक्षाओं में अव्वल आने के पीछे यह वहज है कि लड़कियों का दिमाग तेज होता है. क्या वाकई लड़के और लड़कियों के दिमाग में कोई अंतर होता है. इस पर क्या कहता है साइंस चलिए जानते हैं.
क्या वाकई लड़की और लड़के के दिमाग में होता है अंतर | Brain Differences in Boys and Girls in Hindi
अब जब हमने यह मुद्दा उठा ही लिया है, तो जानते हैं विज्ञान की नजर से कि क्या वाकई महिला या पुरुष, किसका दिमाग तेज है? इस मुद्दे पर सालों से लंबी बहस चली आ रही है. ऐसे बहुत सी स्टडी हुईं, जिनमें इस राज से पर्दा हटाने की पूरी कोशिश की गई कि क्या वाकई महिला और पुरुष के दिमाग में किसी तरह का अंतर होता है. न्यूरोसाइंस में दोनों के दिमाग के साइज में हल्का अंतर पाया गया. लेकिन इससे कार्यप्रणाली में कोई खास अंतर और क्षमता में किसी तरह का फर्क नहीं दिखा.
जेंडर के आधार पर दिमाग के बीच के अंतर को समझने के लिए कैलिफोर्निया के आमेन क्लिनिक्स ने एक शोध किया और पाया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का दिमाग ज्यादा एक्टिव है. शोध में पता चला कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के दिमाग के कुछ हिस्सों में खून का प्रवाह काफी हाई था. यही उनकी बेहतर एकाग्रता का कारण हो सकता है, लेकिन वहीं रक्त के इस तेज प्रवाह के चलते महिलाओं में घबराहट जैसे लक्षण भी देखे गए.
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यहां तो यह बात साफ होती है कि महिला और पुरुष के दिमाग में समझ और सूझबूझ के लिहाज से किसी तरह का अंतर नहीं है. हमने कुछ स्टडीज को खंगालने की कोशिश की और जानने की कोशिश की कि दोनों के दिमाग किस तरह काम करते हैं. साइकोलोजी टुडे की एक रिपार्ट के अनुसार कुछ इस तरह के अंतर भी देखे को मिले:
1. ब्रेन की प्रोसेसिंग में अंतर
पुरुषों का ब्रेन कुछ भी एक्टिविटी करने के लिए लगभग 7 गुना ज्यादा ग्रे मैटर का उपयोग करता है जबकि महिलाओं का ब्रेन लगभग 10 गुना ज्यादा व्हाइट मैटर का उपयोग करता है. ये मैटर ब्रेन के एक खास एरिया में इंफोर्मेशन और एक्शन प्रोसेसिंग सेंटर हैं. लड़कियां लड़कों की तुलना में काम के बीच ज्यादा तेजी से बदलाव करती हैं. इसको ऐसे समझा जा सकता है महिलाएं मल्टी-टास्कर होती हैं, जबकि पुरुष बहुत ज्यादा वर्क-फोकस प्रोजेक्ट में बेहतर होते हैं.
2. केमिस्ट्री में अंतर
पुरुष और महिला ब्रेन समान न्यूरोकेमिकल्स को प्रोसेसिंग करते हैं. कुछ मेन न्यूरोकेमिकल्स सेरोटोनिन हैं, जो शांत बैठने में मदद करते हैं. औसतन पुरुषों में महिलाओं की तुलना में लंबे समय तक बैठने की प्रवृत्ति कम होती है और वे ज्यादा फिजिकली आवेगी और आक्रामक होते हैं. इसके अलावा, पुरुष में महिलाओं की तुलना में रसायन ऑक्सीटोसिन की प्रक्रिया कम होती है.
3. स्ट्रक्चरल अंतर
मानव मस्तिष्क में कई स्ट्रक्चरल कॉम्पोनेंट पुरुषों और महिलाओं के बीच अलग होते हैं. स्ट्रक्चरल का मतलब ब्रेन के वास्तविक हिस्सों और उनके निर्माण के तरीके से है, जिसमें उनका आकार और द्रव्यमान भी शामिल है. महिलाओं में अक्सर हिप्पोकैम्पस में तंत्रिका कनेक्शन की डेंसिटी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से लड़कियां पुरुषों की तुलना में ज्यादा संवेदी और भावनात्मक होती हैं. संवेदी से अर्थ सभी पांच इंद्रियों से प्राप्त होने वाली जानकारी से है. महिलाएं दिन भर उनके आसपास क्या हो रहा है, इसकी बहुत ज्यादा अनुभूति करती हैं.
सहानुभूति में अंतर
एक अमेरिकी लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक अमेरिकन के अनुसार महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा सहानुभूति दिखाने वाली होती हैं. जब पुरुषों और महिलाओं को अपनी सहानुभूतियों के बारे में रिपोर्ट करने के लिए कहा जाता है, तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को "मैं बहुत अच्छे समझ सकता हूं कि दूसरे लोग कैसा महसूस करेंगे" या "मुझे अन्य लोगों की देखभाल करने में आनंद आता है" जैसी बातों का सपोर्ट करने की ज्यादा संभावना है. हालांकि, जब फोटो खींचे गए चेहरों की एक सीरीज में भावनाओं को कहा गया तो, पुरुषों और महिलाओं के बीच का अंतर बहुत छोटा है: औसत महिला सिर्फ 66 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में ज्यादा सटीक है.
निष्कर्ष (Consequence)
इसी बारे में हमने बात की न्यूरो सर्जन डॉक्टर विकास गुप्ता से और जानने की प्रयास किया कि क्या वाकई ऐसा है कि महिला और पुरुष के दिमाग में किसी फर्क है और दोनों में से किसी एक का दिमाग ज्यादा तेज है. डॉक्टर विकास ने बताया कि ''महिला और पुरुष के बीच काफी बायोलॉजिकल अंतर हैं. दोनों के व्यवहार में भी फर्क देखने को मिलता है. लेकिन व्यवहार का यह फर्क सिर्फ सामाजिक और आसपास के वातावण के चलते है.
दिमागी तौर पर दोनों में कोई अंतर नहीं है. ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि किसी एक का दिमाग ज्यादा तेज है और दूसरे का कम.'' बहरहाल, दिमाग तेज या कमजोर होने से जुड़े किसी तरह के अंतर को जेंडर से जुड़़ा हुआ नहीं पाया गया है. रिसर्च से यह पता चला कि महिला या पुरुष के दिमाग में कोई मूल फर्क नहीं है. स्टडी में यह पाया गया कि दोनों के दिमाग के काम करने में जेंडर से कोई फर्क नहीं पड़ता.
हालांकि, वयस्कता में ये अंतर कम होते दिखाई देते हैं. नीदरलैंड में यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर यूट्रेक्ट में न्यूरोसाइंटिस्ट आइरिस सोमर और उनके सहयोगियों ने एक लोकप्रिय सिद्धांत को खारिज कर दिया, कि महिलाएं भाषा को प्रोसेस्ड करने के लिए ब्रेन के दोनों किनारों का उपयोग करती हैं, जबकि पुरुष मुख्य रूप से बाएं हिस्से का उपयोग करते हैं.
इस बात के भी बहुत कम सबूत हैं कि लड़कियां पढ़ने के लिए न्यूरोलॉजिकल रूप से बेहतर हैं. अगर कुछ भी पढ़ने के कौशल से संबंधित है, तो यह काफी हद तक बच्चों द्वारा की जाने वाली पढ़ाई की मात्रा है. लड़कियां लड़कों की तुलना में ज्यादा पढ़ती हैं और यह एक्स्ट्रा एक्सपीरियंस उनके एकेडमिक परफॉर्मेंस में अंतर लाता है जो समय के साथ बढ़ता है.
How Stress Affects the Brain | दिमाग के लिए कितना खतरनाक है स्ट्रेस!
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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