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कान में घंटी बजने जैसी की आवाज क्यों आती है? किस बीमारी का हैं संकेत? जानें इससे बचने के लिए क्या करें

Ringing Sound in Ears: लंबे समय तक हेडफोन का इस्तेमाल करना या कॉन्सर्ट, मशीनरी या ट्रैफिक जैसी जगहों पर 85 डेसिबल से ज्यादा आवाज सुनना कान की नसों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे कान में घंटी बजने जैसी आवाजें सुनाई दे सकती हैं.

कान में घंटी बजने जैसी की आवाज क्यों आती है? किस बीमारी का हैं संकेत? जानें इससे बचने के लिए क्या करें
Ringing Sound in Ears: कान में घंटी बजना शरीर में किसी समस्या की ओर इशारा करता है?

Kan Mein Ghanti Bajana (Tinnitus): कान में घंटी बजने जैसी आवाज आना एक आम समस्या है जिसे टिनिटस (Tinnitus) कहा जाता है. यह कोई बीमारी नहीं बल्कि एक लक्षण है, जो शरीर में किसी अन्य समस्या की ओर इशारा करता है. इसमें व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे कान में घंटी, सीटी, भनभनाहट या गूंज जैसी आवाजें आ रही हों, जबकि आसपास कोई बाहरी शोर नहीं होता. क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि कानों में अचानक घंटी, सीटी, भनभनाहट या सरसराहट जैसी आवाज आ रही है, जबकि बाहर कोई शोर नहीं है? तो चलिए जानते हैं ऐसा क्यों होता है.

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टिनिटस क्यों होता है? (Why Does Tinnitus Occur?)

इसका सबसे बड़ा कारण तेज आवाज है. लंबे समय तक हेडफोन का इस्तेमाल करना या कॉन्सर्ट, मशीनरी या ट्रैफिक जैसी जगहों पर 85 डेसिबल से ज्यादा आवाज सुनना कान की नसों को नुकसान पहुंचाता है और टिनिटस की वजह बन सकता है. यही कारण है कि ये दिक्कत आजकल युवाओं में तेजी से बढ़ रही है.

इसके अलावा, कान में वैक्स का जमना या ईयर इंफेक्शन भी ब्लॉकेज करके सनसनाहट या भनभनाहट पैदा कर सकता है. तनाव, चिंता और डिप्रेशन भी इस समस्या को बढ़ाते हैं. 60 साल से ज्यादा उम्र वालों में ये खतरा बढ़ जाता है. साथ ही, हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड और डायबिटीज जैसी बीमारियां भी इसे ट्रिगर कर सकती हैं.

टिनिटस के लक्षण क्या होते हैं? (Symptoms of Tinnitus)

टिनिटस में कानों में अलग-अलग तरह की आवाजें सुनाई देती हैं. जैसे घंटी बजना, सीटी की आवाज, भनभनाहट या कभी-कभी गर्जन जैसी ध्वनि. ये एक कान में भी हो सकती है और दोनों कानों में भी. इसका असर नींद, मूड और मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. गंभीर मामलों में सुनने की क्षमता तक घट सकती है और रेयर केस में चेहरे की नसों पर भी असर डाल सकती है.

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कैसे मिल सकती है राहत?

टिनिटस का कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है. इसके लिए योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग जैसी रिलैक्सेशन टेक्निक्स मददगार हैं. White noise मशीन या मास्किंग डिवाइस लगाकर भी कानों में आने वाली आवाज को दबाया जा सकता है. सबसे जरूरी है तेज आवाज से बचना और हेडफोन का इस्तेमाल कम करना. कान का  रेगुलर चेकअप करवाना भी जरूरी है. अगर टिनिटस लंबे समय तक बना रहे, तो डॉक्टर हियरिंग एड या Cognitive Behavioral Therapy (CBT) जैसे ऑप्शन सुझा सकते हैं.

तो अगर आपको कानों में घंटी जैसी आवाज सुनाई दे तो उसे इग्नोर न करें. अगर ये बार-बार हो या आपकी नींद और रोजमर्रा की लाइफ पर असर डालने लगे, तो तुरंत ईएनटी स्पेशलिस्ट से मिलें. समय पर इलाज और सही सावधानियां अपनाने से इस समस्या को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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