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पीएम मोदी, अक्षय कुमार और विराट कोहली हैं मुरीद, जानें क्या है सात्विक भोजन और सेहत को मिलते हैं कितने फायदे

पीएम मोदी के उपवास के बाद देश और दुनिया में सात्विक भोजन शैली काफी चर्चाओं में शामिल रहा था. इस दौरान बॉलीवुड के मशहूर एक्टर अक्षय कुमार और मनोज वाजपेयी के अलावा क्रिकेटर विराट कोहली भी इस सात्विक डाइट का समर्थन करने आगे आ चुके हैं.

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पीएम मोदी, अक्षय कुमार और विराट कोहली हैं मुरीद, जानें क्या है सात्विक भोजन और सेहत को मिलते हैं कितने फायदे
जानिए क्या-क्या है सात्विक भोजन करने के फायदे

Sattvic Diet: इस साल की शुरुआत में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से पहले यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 दिनों तक उपवास करने की खबर सबने पढ़ी-सुनी होगी. 22 जनवरी को धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने से पहले स्वयं को शुद्ध करने की एक प्रक्रिया के तहत पीएम मोदी ने 11 दिनों तक एक खास रूटीन में रहन-सहन के अलावा डाइट में भी अनुशासन का पालन किया था. इस दौरान उन्होंने अपने खानपान में देश की पारंपरिक सात्विक भोजन को अपनाया था.

पीएम मोदी की तरह अक्षय और कोहली भी सात्विक भोजन के समर्थक

पीएम मोदी के उपवास के बाद देश और दुनिया में सात्विक भोजन शैली काफी चर्चाओं में शामिल रहा था. इस दौरान बॉलीवुड के मशहूर एक्टर अक्षय कुमार और मनोज वाजपेयी के अलावा क्रिकेटर विराट कोहली भी इस सात्विक डाइट का समर्थन करने आगे आ चुके हैं. उन्होंने भी अपनी फिटनेस के राज के तौर पर इसका नाम लिया था. इसके बाद सात्विक भोजन में अचानक लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई. आइए, विस्तार से जानते हैं कि सात्विक भोजन शैली क्या होती है? इस डाइट में क्या-क्या फूड्स शामिल होते हैं और यह हमारे शरीर और सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है.

सात्विक भोजन का पौराणिक कनेक्शन (Mythological connection of satvik food)

सात्विक भोजन सुनकर ही इसका पौराणिक कनेक्शन समझ में आता है. हालांकि, छांदोग्य उपनिषद में इसका सबसे पहले उल्लेख किया गया है. इस उपनिषद में बताया गया है कि सात्विक भोजन करने से हमारा मन और चित्त शुद्ध और नवीन ऊर्जा से भर जाता है. वहीं, श्रीमद्भागवत गीता में सात्विक भोजन की चर्चा के दौरान कहा गया है कि इसे अपनाने से हमारे जीवन में शुद्धता, दृढ़ता, स्वास्थ्य, प्रसन्नता और उत्साह की अनुभूति बनी रहती है.

सात्विक भोजन शैली क्या है?

दुनिया भर में सबसे प्राचीन हमारी भारतीय संस्कृति में भोजन के तीन प्रकार सात्विक, राजसिक और तामसिक बताए गए हैं. राजसिक भोजन यानी राजाओं के महलों में बनने वाले भोजन जिसमें घी-तेल और मसाला वगैरह से बने स्वादिष्ट पकवान शामिल होते हैं. तामसिक या कथित सामान्य भोजन में मांसाहार, शराब, प्याज और लहसुन वगैरह शामिल होते हैं. जबकि, सात्विक भोजन में शाकाहार यानी फल, फूल और शाक-सब्जियां खाई जाती हैं. इन्हें सिर्फ धोकर कच्चा या फिर उबालकर खाया जाता है.

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सात्विक भोजन का महत्व (Satvik Bhojan ka mahatva) 

हमारे समाज में जैसा खाए अन्न वैसा हो मन जैसी काफी पुरानी कहावतें आज भी प्रासंगिक हैं. सिर्फ मन ही नहीं बल्कि हमारे भोजन का असर हमारी पूरी सेहत पर पड़ता है. सात्विक भोजन के महत्व के बारे में धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों के अलावा आयुर्वेद में भी काफी चर्चा की गई है. कई मामलों में आधुनिक मेडिकल साइंस भी इन बातों से सहमत दिखता है. हेल्थ और वेलनेस बिजनेस वाले भी मानते हैं कि सात्विक भोजन शैली को अपनाने वाले लोगों में ऊर्जा, प्रसन्नता, शांति और मानसिक स्पष्टता दिखती है.
 

क्यों फायदेमंद है सात्विक भोजन (Why is sattvic food beneficial?)

भारतीय संस्कृति और सभ्यता में सात्विक भोजन अपनाने की सलाह के साथ ही उसके फायदे का जिक्र भी किया जाता है. पूरी दुनिया में कहीं भी इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इंसान जितना ज्यादा प्रकृति या नेचर के करीब रहेगा उसकी सेहत उतनी ही बेहतर रहेगी. दूसरी अहम बात यह है कि सात्विक भोजन को पचाने के लिए हमारे डाइजेशन सिस्टम को कम उर्जा खर्च करनी पड़ती है. यानी इसका पचना आसान होता है. इससे शरीर को सही समय पर ठीक खुराक मिल जाती है.

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सात्विक भोजन से सेहतमंद और सक्रिय बना रहता है हार्ट

शरीर के सबसे महत्वपूर्ण और आधुनिक जीवन शैली में सबसे ज्यादा आशंकाओं से घिरा रहने वाला अंग हृदय या हार्ट सात्विक भोजन से सेहतमंद और सक्रिय बना रहता है. सात्विक भोजन के पचने में आसान रहने से हार्ट को भी ज्यादा ताकत मिलती है और शरीर के बाकी फंक्शंस के लिए ब्लड पंप करने में कमजोर पड़ता है. हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल जमा नहीं होने से हार्ट की धमनियों में ब्लॉकेज नहीं होता और अटैक का खतरा बेहद कम हो जाता है.

ताजा और सादा होना सात्विक भोजन की पहली शर्त

सात्विक भोजन की शर्त में उसका ताजा होना भी शामिल होता है. ताजे फल और सब्जियों के इस्तेमाल से शरीर को गुड कोलेस्ट्रॉल मिलता है. सादा और ताजा खाने से हमारे शरीर को सही और पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल और मोनोसैचुरेटेड फैट मिलता है. इससे इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होकर कई दूसरी बीमारियों से भी बचाता है. तेल-मसाले कम होने से शरीर के साथ ही दिमाग और मन भी सही रहता है. कैलोरी की मात्रा कम होने से वजन काबू में रहता है.

सात्विक भोजन से दिनभर हाई रहता है हमारा एनर्जी लेवल

सात्विक भोजन में ज्यादा फाइबर होने से पेट संबंधित समस्याएं दूर रहती हैं. प्रचुर मात्रा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट क्रॉनिक बीमारियों से सुरक्षा देता है. शरीर के टॉक्सिंस जल्दी बाहर आते हैं. विटामिन और मिनरल्स ज्यादा मिलने से स्किन सेहतमंद होकर ग्लो करता है. दिनभर हमारा एनर्जी लेवल हाई रहता है. हमारा बिहेवियर या एप्रोच पॉजिटिव बना रहता है. सात्विक भोजन शैली को अपनाने से हम आमतौर पर डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को भी खुद से दूर रख सकते हैं.

सात्विक भोजन शैली का अहम हिस्सा उपवास

सात्विक भोजन शैली का एक अहम हिस्सा उपवास या फास्टिंग में हमें एक नियमित अंतराल पर कुछ समय के लिए भोजन से परहेज करना होता है. उपवास को अपनाने से हम समय से पहले बूढ़ा होने से बच सकते हैं. इन सब गुणों के चलते ही भारत की प्राचीन सात्विक भोजन शैली दुनिया भर में प्रचलित हो रही है. एशिया और अमेरिका के बाद यूरोप के देशों में भी खानपान समेत लाइफस्टाइल से होने वाली सेहत की दिक्कतों से बचने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाने का चलन बढ़ा है. उपवास की इस शैली में डिनर और ब्रेकफास्ट के बीच 14 से 16 घंटे का अंतर रखना होता है.

सात्विक भोजन शैली से काफी नजदीक माना जा रहा वीगन फूड्स

सात्विक भोजन शैली से काफी नजदीक समझे जाने वाले वीगन फूड्स को अपनाने के लिए भी दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग सामने आ रहे हैं. इन लोगों का भी मानना है कि सात्विक भोजन करने और समय-समय पर उपवास करने से शरीर के अंगों पर काम का जोर घटता है. इससे हमारे ऑर्गन्स कम थकते हैं. इसलिए ज्यादा फिट और एक्टिव रहते हैं. ऐसा होने से शरीर के साथ ही दिमाग और मन भी खुश और पॉजिटिव बना रहता है. इससे लंबे समय तक निरोगी जीवन जीने का मौका मिलता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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