What is mucositis?: बच्चों में कैंसर के इलाज के दौरान होने वाले आम साइड इफेक्ट के तौर पर मुंह और गले में छाले की तकलीफ सामने आती है. मेडिकल साइंस में इसे म्यूकोसाइटिस ( mucositis) कहते हैं. इसका मतलब है कि बच्चों के मुंह और गले समेत कुछ अंगों की नम, अंदरूनी परत या श्लेष्मा झिल्ली में सूजन आ जाती है. आमतौर पर यह दर्दनाक घाव में बदल जाता है. आइए, इसके कारण, लक्षण, इलाज और परहेज के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.
म्यूकोसाइटिस क्या होता है? What is mucositis?
मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक म्यूकोसाइटिस खासकर डाइजेशन सिस्टम को प्रभावित करता है. यह शरीर के अंदर पहले सूजन और फिर घाव के रूप में सामने आता है. इसमें मुंह, भोजन-नली (इसोफ़ेगस), पेट, आंत, मलद्वार वगैरह शामिल होते हैं. इसके अलावा दूसरे अंगों पर भी म्यूकोसाइटिस का असर हो सकता है.
कैंसर पीड़ित बच्चों में 50 फीसदी से ज्यादा प्रभावित How does mucositis affect my body?
50 फीसदी से ज्यादा कैंसर पीड़ित बच्चों में इलाज के दौरान म्यूकोसिटिस होने की आशंका होती है. वहीं, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ( बोन मैरो ट्रांसप्लांट या हेमेटोपोएटिक सेल ट्रांसप्लांट ) करवाने वाले 75 फीसदी से ज्यादा मरीजों में यह साइड इफेक्ट के रूप में सामने आ सकता है. इनमें ज्यादातर ओरल म्यूकोसाइटिस की समस्या से जूझते हैं.
ओरल म्यूकोसाइटिस क्या होता है? What is Oral Mucositis?
ओरल म्यूकोसाइटिस यानी मुंह और गले में छाले. यह सबसे कॉमन चिंता का एक कारण है. ओरल म्यूकोसाइटिस में मुंह और गले में घाव, दर्द और कई तरह की तकलीफ होती. इनमें खाने-पीने की तकलीफ के अलावा इंफेक्शन का खतरा भी रहता है. मरीजों के पब्लिक लाइफ पर बेहद बुरा असर पड़ता है.
म्यूकोसाइटिस के लक्षण क्या हैं? What are the signs and symptoms of mucositis?
डॉक्टर्स के मुताबिक, म्यूकोसाइटिस के संकेतों और लक्षणों में पीड़ित के होंठ, मुंह या गले में घाव या दर्द होता है. उसे कुछ भी निगलने में दिक्कत होने लगती है. निगल लिया तो छाती में दर्द शुरू हो जाता है. मुंह और गले से ज्यादा मात्रा में लार आता है. मुंह या गले में सफेद निशान और घाव उभरने लगते हैं. 100 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा बुखार रहता है और कई बार दांतों-मसूड़ों से खून आने लगता है.
म्यूकोसाइटिस की रोकथाम या इलाज क्या है? How is mucositis treated?
म्यूकोसाइटिस की रोकथाम या इलाज का सबसे पहला कदम तो उसके संकेत या लक्षणों को दिखते ही कैंसर ट्रीटमेंट कर रहे डॉक्टर्स को बताना है. इसके बाद डॉक्टर मुंह और गले के छाले और घाव की जांच कर उसकी कैटेगरी तय कर करते हैं. इसके बाद पहले इन्फेक्शन की दवा दी जाती है. फिर न्यूट्रिशंस और डाइट में बदलाव किया जाता है. इसके अलावा मलहम, जेल और माउथवॉश का इस्तेमाल करना होता है. साथ ही ओरल हाइजीन बनाए रखने की हिदायत दी जाती है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)