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एक प्रेगनेंसी में दो पिता की कहानी कहती है विक्की कौशल की फिल्म बैड न्यूज, जानिए इस कॉनसेप्ट के पीछे का मेडिकल साइंस

Vicky Kaushal Bad News: फिल्म बैड न्यूज की कहानी एक बेहद ही रेयर और अनोखे तरह की प्रेगनेंसी पर आधारित है जिसे हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन कहा जाता है.

एक प्रेगनेंसी में दो पिता की कहानी कहती है विक्की कौशल की फिल्म बैड न्यूज, जानिए इस कॉनसेप्ट के पीछे का मेडिकल साइंस
Vicky Kaushal Bad News: कितनी सच्ची है विक्की कौशल की फिल्म 'बैड न्यूज' की कहानी.

Heteropaternal Superfecundation: विक्की कौशल की लेटेस्ट फिल्म बेहद दिलचस्प मेडिकल कॉन्सेप्ट पर बनाई गई है. 19 जुलाई को रिलीज हुई फिल्म बैड न्यूज की कहानी एक बेहद ही रेयर और अनोखे तरह की प्रेगनेंसी पर आधारित है जिसे हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन कहा जाता है. इसमें एक ही प्रेगनेंसी के दो अलग-अलग बायोलॉजिकल पिता होते हैं. हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन बेहद दुर्लभ घटना है जो मेडिकली मुमकिन है. इस मेडिकल कॉन्सेप्ट के बारे में बेहद कम लोग जानते हैं. फिल्म में एक्ट्रेस तृप्ति डिमरी किरदार सलोनी जुड़वा बच्चों के साथ प्रेग्नेंट हो जाती है. दिलचस्प बात यह है कि दोनों बच्चों के पिता अलग-अलग रहते हैं.

क्या है हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन? (What is heteropaternal superfecundation?)

हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन तब होता है जब एक ही  मेन्स्ट्रुअल साइकल में दो या दो से ज्यादा अंडे दो अलग-अलग पार्टनर के स्पर्म से फर्टिलाइज हो जाते हैं. अगर कोई महिला ओव्यूलेशन के छोटे से टाइम फ्रेम में दो पुरूषों के साथ संबंध बनाती है और दोनों के स्पर्म से अलग-अलग अंडे फर्टिलाइज हो जाते हैं. यह बेहद दुर्लभ है लेकिन मेडिकली संभव है. आमतौर पर यह घटना जानवरों में ज्यादा देखी जाती है.

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हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन के लिए जरूरी परिस्थितियां (Necessary conditions for heteropaternal superfecundation)

  • हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन के लिए एक साथ कई परिस्थितियां जरूरी होती है.
  • एक ही मेन्स्ट्रुअल साइकल में दो या दो से ज्यादा अंडा रिलीज होना चाहिए.
  • एक छोटे से फर्टिलिटी विंडो में दो अलग-अलग पार्टनर के साथ संबंध बनाना.
  • अलग-अलग पार्टनर का स्पर्म अलग-अलग अंडे को फर्टिलाइज करने के लिए पर्याप्त समय तक जीवित रहना.

हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन कैसे संभव होता है? (How is heteropaternal superfecundation possible?)

फीमेल रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट के अंदर स्पर्म पांच दिनों तक जिंदा रह सकता है. ऐसे में अगर कोई महिला ओव्यूलेशन के शॉर्ट टाइम फ्रेम में एक से ज्यादा पार्टनर के साथ संबंध बनाती हो तो दोनों पुरूषों के स्पर्म दो अलग-अलग अंडे को फर्टिलाइजर कर सकता है. जेनेटिक परीक्षण के जरिए ही हेटरोपैटरनल सुपरफेकुंडेशन का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा जब जुड़वा बच्चे एक-दूसरे से बहुत अलग दिखाई दें तो पैटरनिटी टेस्ट के जरिए यह पता किया जा सकता है कि दोनों बच्चों के पिता अलग हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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