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Health Problems In Women: ये पांच बीमारियां नहीं है उम्र की मोहताज, किसी भी एज की औरतों को बना सकती हैं अपना शिकार

कुछ ताजा स्टडीज ये जाहिर कर रही हैं कि ओल्डर एज में होने वाली बीमारियां अब कम उम्र में ही महिलाओं को अपना शिकार बना रही है. इस लेख में जानते हैं ऐसी ही 5 बीमा‍र‍ियों के बारे में.

Health Problems In Women: ये पांच बीमारियां नहीं है उम्र की मोहताज, किसी भी एज की औरतों को बना सकती हैं अपना शिकार
कम उम्र में भी हो सकती हैं ये बीमारियों, इस तरह करें कंट्रोल

Health Problems In Women: आप की उम्र कितनी है, 20 साल, 30 साल या उससे कुछ ज्यादा. वैसे तो मजाक में ये कहा जाता है कि महिलाओं कभी अपनी बढ़ती उम्र नहीं बताती. एक जुमला भी अक्सर तैयार होता है कि अभी मेरी उम्र ही क्या है. अगर आपको भी लगता है कि अभी आपकी उम्र ही क्या है जो आप बीमारियों का शिकार हो जाएं. तो समझ लीजिए कि सेहत के मामले में आपका ये सवाल गलत साबित हो सकता है.

कुछ ताजा स्टडीज ये जाहिर कर रही हैं कि ओल्डर एज में होने वाली बीमारियां अब कम उम्र में ही महिलाओं को अपना शिकार बना रही है. इसकी मुख्य वजह है लाइफस्टाइल में आ रहा बदलाव. जिसे फिर से सिस्टमेटिक कर बढ़ती उम्र की बीमारी को कम उम्र में न्योता देने से बचा जा सकता है. जान लीजिए वो बीमारियां जो कम उम्र से ही आपको अपने घेरे में ले सकती हैं.

कम उम्र में भी हो सकती हैं ये बीमारियां | Disease that can be happen Younger Age

हाई ब्लड प्रेशर

हाई ब्लड प्रेशर को ही साइलेंट किलर भी कहा जाता है. बीस से चौंतीस साल की उम्र में सात प्रतिशत तक महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो जाती हैं. सात प्रतिशत का आंकड़ा बड़ा नहीं है. लेकिन समस्या तब होती है जब कम उम्र की महिलाएं इसे नजरअंदाज कर देती हैं और ट्रीटमेंट नहीं लेती हैं. लंबे समय तक जब हाई ब्लड प्रेशर का इलाज नहीं होता तो वो दिल को नुकसान पहुंचाने लगता है. महिलाओं को ये समझ लेना चाहिए कि अगर प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर हाई रहता है तो बाद में भी ब्लड प्रेशर बढ़ने के चांसेस हैं.

टाइप 2 डायबिटीज

कम उम्र में डायबिटीज का खतरा भी बढ़ रहा है. हाई ब्लड प्रेशर की तरह कम उम्र में इस बीमारी का भी अहसास नहीं होता या उसे इग्नोर किया जाता है. इस की बड़ी वजह डाइट और लाइफ  स्टाइल में चेंजेस को ही माना जा सकता है. फास्ट फूड और जंक फूड ज्यादा कैलोरी वाले होते हैं. इसके अलावा मीठा खाने की आदत भी एक वजह है. दूसरा सबसे बड़ा रीजन है लॉन्क सिटिंग की मजबूरी. प्रेग्नेंसी के समय गेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा भी बढ़ रहा है. जिन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान इस प्रकार की डायबिटीज होती है उन्हें आगे चल कर टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है.

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स्ट्रोक

स्ट्रोक्स आने की औसत उम्र 65 साल मानी जाती है. लेकिन नई स्टडीज से ये खुलासा हुआ है कि 18 से 34 साल की उम्र में 32 परसेंट तक स्ट्रोक्स का खतरा बढ़ रहा है. हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हाई कोल्स्ट्रोल, ओबेसिटी और स्मोकिंग स्ट्रोक्स के खतरे को कम उम्र में ही होने के चांसेस बढ़ा रही है. रिह्यूमिटोइड आर्थराइटिस और लुपस ऐसी ऑटो इम्यून बीमारी है जो अगर किसी महिला को होती है तो वो स्ट्रोक्स की संभावना को बढाने वाले संकेत हो सकते हैं.

कोलोन एंड रेक्टल कैंसर

कोलोन और रेक्टल कैंसर का खतरा भी अब कम उम्र की महिला और पुरुषों पर भी मंडराने लगा है. अगर मल के साथ खून नजर आता है तो उसे नजरअंदाज करने की जगह सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. शुरूआती इलाज में भी अगर हालात सामान्य नहीं होते तो फिर कैंसर के इलाज पर चर्चा करना जरूरी होता है.

ब्रेन श्रिंकेज

ब्रेन श्रिंकेज सुनकर थोड़ा डरावना सा लगता है कि क्या ब्रेन का साइज घटता है, जी हां, बिलकुल घटता है. एजिंग की प्रोसेस के साथ ब्रेन वॉल्यूम श्रिंक होने लगता है. जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की परेशानी है या फिर वजन ज्यादा है तो ब्रेन बहुत जल्दी श्रिंक हो सकता है और फिर नॉर्मल होता है. लेकिन इसकी वजह से मेंटल केपेसिटी पर असर पड़ता है. स्मोकिंग भी इसका एक कारण है.

एक स्टडी के मुताबिक बीस साल की उम्र से ही हार्ट हेल्दी आदतें अपनाने पर ब्रेन की भी हिफाजत की जा सकती है. कुछ और स्टडीज ऐसी भी हैं जिनसे ये पता चलता है कि जिन्हें हार्ट डिसीज का रिस्क ज्यादा होता है, उन्हें अल्जाइमर होने का खतरा भी ज्यादा हो सकता है.

कैसे घटाएं रिस्क फैक्टर्स? (How to reduce risk factors?)

बढ़ती उम्र के साथ साथ हेल्थ भी लंबी चले, इस के लिए जरूरी है कि समय रहते कुछ आदतें अपनाई जाएं. ताकि, कम एज से लेकर ज्यादा उम्र तक आप ज्यादा से ज्यादा सेहतमंद रह सकें. इस के लिए कुछ जरूरी टिप्स फॉलो करें.

  • अपने ब्लड प्रेशर की प्रॉपर मॉनिटरिंग करते रहें. अगर ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ लगता है तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.
  • ब्लड प्रेशर की तरह ही कोलेस्ट्रॉल पर भी कंट्रोल रखना जरूरी है. कम उम्र से ही इस की मॉनिटरिंग जरूरी है. कोलेस्ट्रोल बढ़े तो उसे जल्द से जल्द काबू करने की कोशिश करनी चाहिए.
  • ब्लड शुगर पर भी लगातार चैक रखें. ब्लड शुगर बढ़ाने के लिए सिर्फ मीठा ही जिम्मेदार नहीं होता. फास्ट फूड, जंक फूड की आदत और स्ट्रेस भी इस के पीछे एक बड़ा फैक्टर है. इसलिए वो आदतें अपनाएं जो ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें.
  • लॉन्ग सिटिंग जॉब भी बहुत सी बीमारियों का कारण बन चुके हैं. इसलिए रोजाना कुछ न कुछ फिजिकल एक्टिविटी को अपनाना भी जरूरी है. रोज का थोड़ा सा समय वर्कआउट के लिए जरूर निकालें.
  • वर्कआउट के साथ साथ हेल्दी डाइट भी रखना जरूरी है. डेली रूटीन से जंक फूड और फास्ट फूड कम करें और हेल्दी फूड पर ज्यादा फोकस करें.
  • हेल्दी वेट भी मेंटेन रखें. अगर वजन बढ़ने लर स्मोकिंग गे तो उस पर नियंत्रण रखने की कोशिश जरूर करें.
  • अगर स्मोकिंग की आदत हैं तो उसे भी छोड़ना ज्यादा फायदेमंद होगा. क्योंकि, स्मोकिंग बहुत सी बीमारियों की जड़ है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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