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आज का सवाल: नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाना चाहिए या नहीं? जानिए आयुर्वेद, धर्म और विज्ञान का नजरिया

Physical Relation During Navratri: नवरात्रि न सिर्फ आस्था का उत्सव है बल्कि शरीर और मन को शुद्ध करने का मौका भी होता है. लेकिन, इसके बीच एक सवाल जो सबसे ज्यादा पूछा जाता है कि नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने चाहिए या नहीं? आइए जानते हैं.

आज का सवाल: नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाना चाहिए या नहीं? जानिए आयुर्वेद, धर्म और विज्ञान का नजरिया
Physical Relation During Navratri: अगर धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाय तो ये समय संयम और साधना का समय है.

Physical Relation in Navratri: नवरात्रि एक पवित्र पर्व है, जिसमें लोग नौ दिनों तक देवी की आराधना करते हैं, व्रत रखते हैं और अपने शरीर और मन को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं. इस दौरान खानपान, बरताव और रूटीन में संयम बरतने की सलाह दी जाती है. ऐसे में एक सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है, क्या नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाना सही है? क्या हैं मान्यताएं और इस विषय पर धार्मिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है? इस लेख में हम सभी पहलुओं के बारे में बताएंगे. तो चलिए जानते हैं नवरात्रि में शारीरिक संबंध बना सकते हैं या नहीं.

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नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने पर धार्मिक दृष्टिकोण क्या है?

अगर धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाय तो ये समय संयम और साधना का समय है. नवरात्रि को साधना, तप और आत्मशुद्धि का समय माना जाता है. कई लोग इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, ताकि ऊर्जा का संचय हो सके. मंदिरों और धार्मिक ग्रंथों में व्रत के दौरान हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह दी जाती है, इस दृष्टिकोण से शारीरिक संबंध से बचना बेहतर माना जाता है.

नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने पर आयुर्वेदिक दृष्टिकोण क्या है?

माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिन शरीर की ऊर्जा का संतुलन बनाने का समय है. आयुर्वेद के अनुसार, व्रत के दौरान शरीर डिटॉक्स मोड में होता है. इस समय एनर्जी का संरक्षण जरूरी होता है.

शारीरिक संबंध से शरीर की ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कमजोरी महसूस हो सकती है, अगर शरीर स्वस्थ है और मन स्थिर है, तो संबंध बनाने में कोई बाधा नहीं है, लेकिन संयम जरूरी है.

नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या कहता है?

विज्ञान के अनुसार, शारीरिक संबंध तनाव कम करने, हार्मोन बैलेंस करने और नींद सुधारने में मदद करता है. अगर व्रत के दौरान व्यक्ति पर्याप्त पोषण ले रहा है और थकान महसूस नहीं कर रहा, तो संबंध बनाना नुकसानदायक नहीं है, यह पूरी तरह व्यक्ति की स्थिति और सहमति पर निर्भर करता है.

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नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाना कब उचित है और कब नहीं?

  • उचित तब है जब, दोनों पार्टनर की सहमति हो.
  • शरीर में कमजोरी या थकान न हो.
  • व्रत का पालन मानसिक रूप से बाधित न हो.
  • संबंध प्रेम और सम्मान के साथ हों.

नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने से कब बचना चाहिए?

  • शरीर थका हुआ या कमजोर हो.
  • व्रत के नियमों में ब्रह्मचर्य का पालन किया जा रहा हो.
  • मानसिक रूप से बेचैनी या तनाव हो.
  • संबंध सिर्फ शारीरिक इच्छा के कारण हों, आध्यात्मिक साधना में बाधा बनें.

संतुलन ही समाधान है

नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाना न तो पूरी तरह गलत है, न ही पूरी तरह जरूरी. यह व्यक्ति की सोच, स्वास्थ्य, धार्मिक आस्था और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है. अगर आप व्रत को पूरी श्रद्धा से निभा रहे हैं और साधना में लीन हैं, तो संयम रखना बेहतर है. लेकिन, अगर आप इसे एक सामान्य रूटीन की तरह देख रहे हैं और शरीर व मन दोनों स्वस्थ हैं, तो संबंध बनाना नुकसानदायक नहीं है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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