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National Nutrition Week: 6 महीने तक कैसे करें नवजात शिशुओं की देखभाल? डॉक्टर ने बताया किन चीजों का रखना चाहिए

National Nutrition Week: दिल्ली एम्स के पूर्व रेसिडेंट और पीडियाट्रिशियन कंसल्टेंट डॉ. राकेश ने मंगलवार को नवजात शिशुओं की देखभाल को लेकर अहम सुझाव साझा किए. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

National Nutrition Week: 6 महीने तक कैसे करें नवजात शिशुओं की देखभाल? डॉक्टर ने बताया किन चीजों का रखना चाहिए
National Nutrition Week 2025: हर साल सितंबर का पहला हफ्ता नेशनल न्यूट्रिशन वीक के रूप में मनाया जाता है.

National Nutrition Week 2025: राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 1 से 7 सितम्बर तक मनाया जाएगा. इस अवसर पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर विशेष जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में घर में नए शिशु के जन्म के साथ बढ़ने वाली जिम्मेदारियों को लेकर एक्सपर्ट लगातार जागरूकता फैला रहे हैं. दिल्ली एम्स के पूर्व रेसिडेंट और पीडियाट्रिशियन कंसल्टेंट डॉ. राकेश ने मंगलवार को नवजात शिशुओं की देखभाल को लेकर अहम सुझाव साझा किए. उन्होंने खासकर शुरुआती 6 महीनों में शिशु के पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने पर जोर दिया.

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पहले 6 महीने दें मां का दूध

डॉ. राकेश ने बताया कि पहले 6 महीने शिशु को केवल मां का दूध देना चाहिए. इस दौरान पानी, शहद या अन्य कोई लिक्विड नहीं देना चाहिए. 6 महीने के बाद धीरे-धीरे दाल का पानी और अन्य लिक्विड डाइट शुरू की जा सकती है.

आयरन, विटामिन डी की कमी पर दें ध्यान

उन्होंने बच्चों में विटामिन डी और आयरन की कमी पर चिंता जताते हुए कहा, "जन्म से एक साल तक विटामिन डी की खुराक अनिवार्य है, अन्यथा हड्डियों का टेढ़ापन, रात में पेट दर्द और ग्रोथ में कमी जैसे लक्षण दिख सकते हैं. आयरन की कमी से बच्चे चिड़चिड़े हो सकते हैं, भूख कम लगती है और ग्रोथ प्रभावित होती है."

कुपोषण के लक्षणों पर दें ध्यान

कुपोषण के शुरुआती लक्षणों पर डॉ. राकेश ने कहा, "बच्चों की लंबाई और वजन की नियमित निगरानी जरूरी है. अगर वजन या लंबाई में बढ़ोतरी नहीं हो रही, बच्चा कमजोर दिख रहा हो, चिड़चिड़ापन या भूख में कमी दिखे, तो ये कुपोषण के संकेत हो सकते हैं. जन्मजात हार्ट या लंग्स की बीमारियों में भी ये लक्षण दिख सकते हैं. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए."

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जंक फूड के नुकसान

डॉ. राकेश ने जंक फूड के नुकसान पर कहा, "इससे बच्चों में मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, हार्ट डिजीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है. इसके बजाय, मौसमी फल और सब्जियां बच्चों की डाइट में शामिल करनी चाहिए, क्योंकि ये पोषण का बड़ा स्रोत हैं."

एनीमिया के बारे में उन्होंने बताया, "यह खून में हीमोग्लोबिन और आयरन की कमी से होता है, जिससे पढ़ाई में ध्यान की कमी और शारीरिक विकास में रुकावट आती है."

उन्होंने सरकारी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी में 6 साल तक के बच्चों को डेली जरूरी पोषण का आधा हिस्सा प्रदान करती हैं. कई सरकारें ऐसी योजनाओं के जरिए बच्चों के पोषण को बेहतर बनाने में जुटी हैं. डॉ. राकेश ने माता-पिताओं से सतर्क रहने और बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की अपील की.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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