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अमेरिका, जापान और यूके में एप्रूव्ड दवाइयों को देश में क्लिनिकल ट्रायल की जरूरत नहीं, स्वस्थ्य मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला

इसका उद्देश्य कम कीमत पर दवाओं की पहुंच बनाना है. इसमें टीके भी शामिल हैं, न्यू ड्रग अप्रूवल और क्लिनिकल ट्रायल रूल्स 2019 के नियम 101 के तहत विदेशी कंपनी को काम करना होगा. क्लीनिकल ट्रायल में अभी 5 से 20 साल की देरी होती है. फार्मा कंपनियां लंबे से इसकी मांग कर रही थी.

अमेरिका, जापान और यूके में एप्रूव्ड दवाइयों को देश में क्लिनिकल ट्रायल की जरूरत नहीं, स्वस्थ्य मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला
दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल होने से क्रिटिकल मेडिसिन भारत काफी देरी से आती थी.

अब अमेरिका, जापान या यूनाइटेड किंगडम में एप्रूव्ड दवाइयों को देश में क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत नहीं होगी, क्लीनिकल ट्रायल में अभी 5 से 20 साल की देरी होती है. फार्मा कंपनियां लंबे से इसकी मांग कर रही थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा, पहले दूसरे देशों से आने वाली सभी दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल होता था इससे क्रिटिकल मेडिसिन भारत काफी देरी से आती थी. विदेशी दवा कंपनियां इसी कारण से भारत से दूर रहती थीं, लेकिन अब भारत में दवा की उपलब्धता में बड़े पैमाने पर सुधार होगा. इसका उद्देश्य कम कीमत पर दवाओं की पहुंच बनाना है. इसमें टीके भी शामिल हैं, न्यू ड्रग अप्रूवल और क्लिनिकल ट्रायल रूल्स 2019 के नियम 101 के तहत विदेशी कंपनी को काम करना होगा.

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क्या हैं क्लिनिकल ट्रायल रूल:

नई दवाएं और क्लिनिकल ट्रायल रूल्स 2019 के नियम 101 के अनुसार केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ एक आदेश द्वारा समय-समय पर छूट पर विचार करने के लिए देशों के नाम निर्दिष्ट कर सकता है. नई दवाओं के अनुमोदन के लिए ट्रायल और नियमों के तहत क्लिनिकल ट्रायल के संचालन की अनुमति देने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ उक्त नियमों के नियम 101 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ जैसे देशों को नई दवाओं की नीचे बताई गई श्रेणियों के लिए निर्दिष्ट किया गया है.

दुर्लभ बीमारियों के लिए दवाइयां | Medicines For Rare Diseases

  • जीन और सेलुलर थेरेपी प्रोडक्ट
  • महामारी की स्थिति में उपयोग की जाने वाली नई दवाएं.
  • विशेष रक्षा उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली नई दवाएं.

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अब कैंसर और रेयर डिजीज की दवाईयों की बढ़ेगी उपलब्धता:

इसके लिए स्वास्थ्य  मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला किया. अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया या यूनाइटेड किंगडम में एप्रूव्ड दवाइयों को देश में क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत नहीं पड़ेगी. क्लिनिकल ट्रायल में अभी 5 से 20 साल की देरी होती थी. इस फैसले से कॉस्ट में कमी आने की सम्भावना है. डॉ राजीव सिंह रघुवंशी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल इंडिया ने सभी ड्रग्स कंपनी के लिए आदेश जारी किया.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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