Jaundice: जॉन्डिस या पीलिया (Jaundice) अक्सर नवजात बच्चों में होता है. लगभग 60 फीसदी बच्चों को जन्म के बाद पहले कुछ दिनों के भीतर पीलिया हो जाता है. इसे इक्टेरस भी कहा जाता है. हालांकि, कम लेकिन वयस्कों को भी जॉन्डिस हो सकता है. अगर आपको कभी लगे कि आपको पीलिया है तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए. क्योंकि यह लिवर, ब्लड या गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) की समस्या का लक्षण हो सकता है. आइए, जानते हैं कि पीलिया क्या है (Piliya kya hai) और वयस्कों में पीलिया क्यों होता है? साथ ही इसके कारण, लक्षण और इलाज के बारे में भी जानने की कोशिश करते हैं.
पीलिया या जॉन्डिस क्या है और क्यों होता है
ब्लड में जब लाल रक्त कोशिकाएं मर जाती हैं, तो वहां बिलीरुबिन यानी एक पीला-नारंगी रंग छोड़ देती हैं. लिवर आपके मल में निकालने के लिए ब्लड सर्कुलेशन से बिलीरुबिन को फिल्टर करता है. अगर आपके सिस्टम में इसकी बहुत अधिक मात्रा है या आपका लीवर ओवरलोड है, तो यह हाइपरबिलिरुबिनमिया नामक बिल्डअप का कारण बनता है. यह जॉन्डिस का कारण बन जाता है. इस बीमारी में आपकी स्किन और आपकी आंखों का सफेद भाग पीला दिखने लगता है.
पीलिया या जॉन्डिस के चार मुख्य प्रकार
पीलिया के चार मुख्य प्रकार होते हैं. शरीर में बिलीरुबिन के जमा होने के आधार पर इन्हें बांटा गया है. ब्लड टेस्ट से यह तय होता है कि आपको किस प्रकार का जॉन्डिस है.
प्रीहेपेटिक : अगर ब्लड के लिवर में प्रवेश करने से पहले बिलीरुबिन का निर्माण होता है, तो इसे प्रीहेपेटिक पीलिया के रूप में जाना जाता है. इसका मतलब है कि आप लाल रक्त कोशिकाओं को तोड़ रहे हैं और आपके लिवर द्वारा प्रोसेस की जा सकने वाली क्षमता से अधिक बिलीरुबिन का निर्माण कर रहे हैं.
हेपेटिक : अगर आपका लिवर बिलीरुबिन को अच्छी तरह से संसाधित करने में सक्षम नहीं है, तो इसे हेपेटिक पीलिया कहा जाता है.
पोस्टहेपेटिक : पोस्टहेपेटिक पीलिया तब होता है जब लिवर से गुजरने के बाद बिलीरुबिन का निर्माण होता है और शरीर इसे जल्दी से साफ नहीं कर पाता है.
ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस : यह स्थिति तब होती है जब पित्त या पैंक्रियाक्टिक नली जाम या तंग होने के कारण पित्त आपकी आंतों में नहीं जा पाता है. इस प्रकार के पीलिया में मृत्यु दर अधिक होती है. इसलिए इसे जल्दी पकड़ना और इलाज करना अहम है.
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पीलिया के लक्षण (Symptoms of jaundice)
इसके जाने-माने लक्षण हैं त्वचा का पीला पड़ना और आंखों का पीलिया (जिसे स्क्लेरल इक्टेरस भी कहा जाता है). इसके अलावा पीलिया के बाकी लक्षणों में बुखार, पेट दर्द, ठंड लगना, गहरे रंग का पेशाब, टार या मिट्टी के रंग का मल, फ्लू जैसे लक्षण, त्वचा में खुजली, वजन घटना, असामान्य रूप से चिड़चिड़ापन महसूस होना, भ्रम, असामान्य उनींदापन, आसानी से चोट लगना या खून बहना, खूनी उल्टी वगैरह भी शामिल हैं.
वयस्कों में पीलिया कितने समय तक रहता है?
वयस्कों में पीलिया कितने समय तक रहता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है और आपको किस इलाज की जरूरत है. अगर कोई दवा इसका कारण बन रही है, तो इसे लेना बंद करने के बाद पीलिया कम हो जाएगा. अगर इसका कारण हेपेटाइटिस है, तो स्थिति का इलाज करने के लिए दवाएं ली जा सकती हैं. अगर पित्त नली या पित्ताशय में रुकावट हो तो सर्जरी की जरूरत हो सकती है.
वयस्कों में पीलिया होने क्या कारण हैं
वयस्कों में पीलिया होने के प्रमुख कारणों में हेपेटाइटिस, लिवर की सूजन, वायरस, ऑटोइम्यून बीमारी, शराब या नशीली दवाओं के इस्तेमाल या कैमिकल रिएक्शंस शामिल हो सकता है. अगर आप लंबे समय तक आम तौर पर 8 से 10 साल तक भारी मात्रा में शराब पीते हैं, तो आप अपने जिगर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं. खास कर दो बीमारियां, अल्कोहलिक हेपेटाइटिस और अल्कोहलिक सिरोसिस, लिवर को नुकसान पहुंचाती हैं.
इसके साथ ही परिवार में चली आ रही आनुवंशिक बीमारियों, नॉनअल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस, नॉनअल्कोहलिक फैटी लीवर, जाम पित्त नलिकाएं, पैंक्रियाज कैंसर, हेमोलिटिक एनीमिया, ब्लड क्लॉटिंग वगैरह कई दूसरे कारणों से भी व्यस्कों में पीलिया की बीमारी हो सकती है. एसिटामिनोफेन, पेनिसिलिन, बर्थ कंट्रोल पिल्स और स्टेरॉयड जैसी दवाओं को भी लिवर की बीमारियों की वजह में जोड़ा जाता है.
पीलिया या जॉन्डिस का इलाज क्या है (Treatment for jaundice)
डॉक्टर सबसे पहले लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछते हैं. फिर लिवर की हालत और हेपेटाइटिस के बारे में जानने के लिए सीबीसी जैसे कुछ टेस्ट करवाते हैं. इसके अलावा इमेजिंग जैसे सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, लिवर बायोप्सी जैसे टेस्ट रिपोर्ट भी देखते हैं. हालांकि, वयस्कों में पीलिया का आमतौर पर इलाज नहीं किया जाता है, लेकिन डॉक्टर उसके कारण का इलाज करते हैं. पीलिया के लिए कई बार फोटोथेरेपी की मदद भी लेते हैं.
पीलिया की रोकथाम के लिए क्या करें (What to do to prevent jaundice)
आम तौर पर जीवनशैली में बदलाव करके पीलिया के खतरे को कम किया जा सकता है. बिना डॉक्टर की सलाह के कोई सप्लीमेंट न लें. स्मोकिंग और शराब पीना बंद कर दें. दवाई लेने में अतिरिक्त सावधानी बरतें. विदेश यात्रा से पहले जरूरी टीके लगवा लें. सुरक्षित यौन संबंध अपनाएं. वजन पर कंट्रोल बनाए रखें और कोलेस्ट्रॉल लेवल को ठीक रखें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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