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गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने बताए बेचैनी से छुटकारा पाने के 6 राबमाण उपाय | Effective Holistic Anxiety Treatment Method

नकारात्मक भावनाएँ रुकती नहीं, लेकिन जब उनसे निपटना सीख जाते हैं, तो जीवन का बोझ हल्का हो जाता है. यही सीख आगे बढ़ने का सबसे मजबूत सहारा बनती है.

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने बताए बेचैनी से छुटकारा पाने के 6 राबमाण उपाय | Effective Holistic Anxiety Treatment Method

Gurudev Sri Sri Ravi Shankar: हम सब जानते हैं कि नकारात्मक भावनाएँ जीवन का हिस्सा हैं, फिर भी जब गुस्सा, तनाव, बेचैनी या भय अचानक आ घेरते हैं, तो हम स्वयं को असहाय महसूस करने लगते हैं. बचपन से हमें बताया जाता रहा है कि हमें शांत रहना चाहिए, लेकिन यह नहीं सिखाया गया कि भावनाओं को अनुभव करते हुए उनसे निकलना कैसे है?

भावनाओं को संभालने में श्वास का महत्त्व

वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक नेता, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी समझाते हैं,

“मन को मन के स्तर से संभालना संभव नहीं है. अगर मैं आपसे कहूँ कि आप कुछ भी सोच सकते हैं पर एक गुलाबी हाथी की कल्पना न करें, तो आपका ध्यान उसी पर जाएगा. केवल सकारात्मक विचारों को जबरदस्ती थोप देना भी पूरी तरह मदद नहीं करता. यहीं पर श्वास का थोड़ा-सा ज्ञान इन कठिन भावनाओं को संभालने में बड़ी भूमिका निभा सकता है.”

गुरुदेव अक्सर कहते हैं कि सही तरीके से श्वास लेना, भावनाओं को संभालने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है. थोड़ी जागरूक होकर ली गई श्वास आपको नकारात्मक  भावनाओं से बाहर निकाल सकती है.

याद रखें आप पहले भी इससे निकलकर आए हैं

“ध्यान रखें कि यह पहली बार नहीं है जब आप किसी चुनौती का सामना कर रहे हैं. यह भी पहली बार नहीं है जब आप तनाव में हैं या अनिश्चितता महसूस कर रहे हैं. इससे पहले भी आपने कठिनाइयों का सामना किया है और उनसे सफलतापूर्वक उभरे हैं. यही स्मरण आपकी भीतर की शक्ति को फिर से जगाता है.”

ऐसा गुरुदेव ने बताया है. गुरुदेव ये भी बताते हैं कि “जीवन सुख और दुख, दोनों का संगम है.” जिसे ध्यान में रखने पर जीवन को एक बड़े संदर्भ में देखा जा सकता है.  “दर्द अवश्य आता है, पर पीड़ा को ढोना हमारे अपने हाथ में है. जीवन को व्यापक दृष्टि से देखने पर ही कठिन समय में आगे बढ़ने की शक्ति मिलती है.” 

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प्रायः बेचैनी या बीमारी से जूझ रहा इंसान अपने आप को अकेला, मुश्किल या अनचाहा महसूस करता है. इस संदर्भ में गुरुदेव संवेदनापूर्वक कहते हैं,

“याद रखें कि इस दुनिया में आपकी बहुत आवश्यकता है. अनंत संभावनाओं से भरा यह जीवन एक उपहार है, जो केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि अनेक लोगों के लिए आनंद और प्रसन्नता का स्रोत बन सकता है. जब हम हर विपत्ति को अपने अस्तित्व पर सीधा प्रहार मान लेते हैं, तब मन भारी हो जाता है. “लेकिन जब एक कदम पीछे हटकर देखते हैं, तो समाधान सामने दिखने  लगता है.”


अपने भीतर की कीमत पहचानना भी आवश्यक है. आपकी क्षमताएँ और आपका योगदान सिर्फ आपके लिए नहीं, बल्कि अनेक लोगों के लिए मायने रखता है. जब आप समझने लगते हैं कि इस दुनिया को आपकी आवश्यकता है, तो डर और चिंता का भार हल्का होने लगता है. अतीत यह स्पष्ट  बताता है कि चिंता कभी मदद नहीं करती. यह समझ वर्तमान को हल्का कर देती है.

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आत्मविश्वास और हिम्मत का मोल

भावनाओं से निपटने में दो गुण बहुत काम आते हैं. पहला है आत्मविश्वास. “खुद पर विश्वास रखें कि आप हर स्थिति का सामना कर सकेंगे. यह विश्वास अहंकार नहीं, बल्कि स्थिरता देता है,” गुरुदेव समझाते हैं. दूसरा है- हिम्मत. अगर कभी आत्मविश्वास डगमगा जाए, तो स्वयं से कहें कि चाहे समस्या कितनी भी बड़ी हो, आप अडिग रहेंगे और रास्ता निकालेंगे.”

शारीरिक रूप से सक्रिय रहें -

गुरुदेव समझाते हैं कि शरीर को चलाना मन को शांत करने का सबसे सरल तरीका है. सुबह टहलें, गहरी श्वास लें. जब शरीर की ऊर्जा बढ़ती है तो मन अपने आप हल्का होने लगता है.

साधना मन को एकाग्र करने में मदद करती है -

साधना जीवन को संतुलित करने का आधार है. प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया (एक शक्तिशाली लयात्मक श्वास क्रिया) और ध्यान मन के  भारीपन को कम कर देता है. गुरुदेव कहते हैं, “जब भी आप दुःखी या परेशान हों, तो निश्चित रूप से  जान लें कि आपको आत्मा के लिए भोजन की आवश्यकता है. और वह है - ध्यान.”

 “उज्जायी श्वास लें. आप देखेंगे कि इससे आपका मन हल्का हो जाएगा और डर गायब हो जाएगा. नियमित अभ्यास भावनाओं को हल्का, मन को निर्मल और आत्मा को पुष्ट कर देता है.”

जब कुछ काम न आए, तो प्रार्थना करें. 

“प्रार्थना का अर्थ  हार मानना नहीं, बल्कि अपने भीतर की सच्ची पुकार को बाहर लाना है. कोई शक्ति है, जो आपको बहुत प्यार करती है और आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगी, - यह भरोसा मन को सहारा देता है और कई बार यही सहारा हमें अंधेरे से बाहर ले आता है,” गुरुदेव बताते हैं.

नकारात्मक भावनाएँ रुकती नहीं, लेकिन जब उनसे निपटना सीख जाते हैं, तो जीवन का बोझ हल्का हो जाता है. यही सीख आगे बढ़ने का सबसे मजबूत सहारा बनती है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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