हर्बल दवाएं (Herbal Medicine) गैर संक्रामक रोगों से मुकाबले के लिए काफी बेहतर हैं. ह्दयरोग (Heart Disease), कैंसर (Cancer), स्ट्रोक (Stroke) और डायबिटीज (Diabetes) इत्यादि गैर संक्रामक रोग यानी एनसीडी (NCD) के उपचार में इनका इस्तेमाल प्रभावी हो सकता है. तीन दिवसीय सातवीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में विशेषज्ञों ने यह बात कही. सोसायटी फॉर एथनोफामोर्कोलॉजी, केंद्रीय आयुष मंत्रालय और बॉयोटेक्रोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में भारत और दुनिया के विभिन्न देशों के विशेषज्ञों ने खास तौर पर गैर संक्रामक रोगों का मुकाबला करने में जड़ी-बूटियों पर आधारित दवाओं की भूमिका पर जोर दिया.
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मधुमेह में फायदेमंद हैं हर्बल दवाएं (Herbal Medicine For Diabetes)
हाल में जामिया हमदर्द विवि में एक सम्मेलन में कनाडा, नाइजीरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित 40 देशों के 60 से अधिक विशेषज्ञों ने सहभागिता की. इसमें कनाडा के टोरंटो से आए डॉ. प्रदीप विसेन ने मधुमेह के टाइप-2 (Type-2 Diabetes) और कार्डियो वस्कुलर (Cardiovascular Disease) रोगों के संबंध में औषधीय पादपों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला.

हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह जैसे रोगों अब वैश्विक खतरा बन चुके हैं. Photo Credit: iStock
कैसे करें ब्लड शुगर को कंट्रोल हर्बल दवाओं से! (Herbal Medicine For Blood Sugar Level)
हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह जैसे रोगों को पहले जहां सिर्फ संपन्न लोगों से जोड़ा जाता था, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक अब ये वैश्विक खतरा बन चुके हैं और गरीब इनसे सबसे ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं. एमिल फार्मा के डॉ. इक्षित शर्मा ने मधुमेह से लड़ने में बीजीआर-34 दवा (Ayurvedic Medicines For Diabetes) की भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि औषधीय पादपों से बनी यह दवा न सिर्फ नियमित रूप से रक्त में सर्करा की मात्रा को नियंत्रित (Control Blood Sugar Level) करती है, बल्कि साथ ही हमारे मेटाबोलिज्म को भी नियंत्रित रखती है.
हर्बल दवाएं लेने के हैं फायदे (Herbal Medicine Benefits)
बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय के औषध निर्माण विज्ञान विभाग के चेयरमैन और प्रोफेसर डॉ. सीतेश सी बचर ने अपने प्रजेंटेशन में कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति की बहुत सी दवाओं को इन रोगों में प्रभावी माना गया है, लेकिन इनमें कैंसर कारक तत्व होते हैं और ये लीवर को गंभीर क्षति पहुंचाती हैं. उनके अध्ययन में जड़ी-बूटियों में पाए गए प्राकृतिक तत्वों की प्रभावशीलता को रेखांकित किया है.
इनके अलावा नाइजीरिया की टेक्सोकोलॉजी यूनिवर्सिटी ऑफ अबुजा में एथनोफामोर्कोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. पीटर ओ एजबोना ने कार्डियोवस्कुलर रोगों में पादपों के औषधीय महत्व पर चर्चा की. उन्होंने इसका अध्ययन जानवरों पर भी किया है. ऑस्ट्रेलिया में त्रिगोनेला लैब्स के निदेशक डॉ. दिलिप घोष ने मधुमेह के प्रबंधन में फेनुग्रीक बीज की भूमिका पर चर्चा की, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका में जीआरएएस (सामान्य तौर पर सुरक्षित) का दर्जा दिया. (इनपुट - आईएएनएस)
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