
All About Obesity: मोटापा आज पूरी दुनिया की समस्या बन चुकी है, लेकिन भारत में यह स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है. भागदौड़ भरी जिंदगी, असंतुलित खानपान और फिजिकल एक्टिविटी की कमी ने मोटापे को आम बना दिया है. यह न सिर्फ शरीर के आकार को प्रभावित करता है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बनता है. हालांकि मोटापा को कम किया जा सकता है, लेकिन इसको लेकर उदासीनता ही सबसे बड़ी दिक्कत है. वहीं जो लोग मोटापा घटाना तो चाहते हैं लेकिन उन्हें सही तरीका और दिशा नहीं मिल पाती है. ऐसे में सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि मोटापा आखिर क्या है और कैसे पहचानें कि आप मोटापे की श्रेणी में आते हैं या नहीं, भारतीय कहां गलती कर रहे हैं और इस वैश्विक समस्या से कैसे निपटा जा सकता है. इस लेख में हम मोटापे से जुड़ी सभी अहम बातों को विस्तार से समझेंगे.
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क्या है मोटापा? (What Is Obesity)
मोटापा तब होता है जब शरीर में बहुत ज्यादा फैट (Fat) जमा हो जाती है, जिससे व्यक्ति का वजन असामान्य रूप से बढ़ जाता है. यह एक मेडिकल कंडीशन है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती है और अनेक रोगों की जड़ बन सकती है. मोटापा सिर्फ सुंदरता की दृष्टि से समस्या नहीं है, यह हार्ट डिजीज, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉइड, आर्थराइटिस, कैंसर जैसे कई रोगों का कारण बनता है.
कैसे समझें कि आप मोटे हैं?
कई लोग केवल वजन के आधार पर यह मान लेते हैं कि वे मोटे हैं या नहीं, लेकिन यह तरीका सटीक नहीं है. सही मूल्यांकन के लिए यह देखना जरूरी है कि शरीर की लंबाई के अनुसार आपका वजन कितना होना चाहिए. यहां बीएमआई (BMI) की भूमिका अहम होती है.

बीएमआई क्या है?
बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) एक ऐसा मापदंड है जो आपकी हाइट और वजन के आधार पर यह बताता है कि आप अंडरवेट, नार्मल, ओवरवेट या मोटापे की श्रेणी में आते हैं या नहीं. यह एक सरल गणना है, लेकिन यह मोटापे की स्थिति का मोटा-मोटी अनुमान देने के लिए काफी कारगर है.
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बीएमआई का क्या रोल है?
बीएमआई का उपयोग डॉक्टर मोटापे से संबंधित जोखिमों को समझने के लिए करते हैं. यह एक इंडिकेटर है जो बताता है कि शरीर में फैट कितनी हो सकती है. यह हेल्थ प्लान बनाने, डाइट प्लान तय करने और बीमारी के खतरे की पहचान में मदद करता है.
कैसे नापते हैं बीएमआई?
BMI = वजन (किलोग्राम) ÷ (हाइट मीटर में)^2
उदाहरण: अगर किसी व्यक्ति की लंबाई 1.70 मीटर है और वजन 70 किलोग्राम है, तो उसका BMI होगा:
BMI = 70 / (1.70)^2 = 70 / 2.89 = 24.22
यहां आसान तरीके से समझें: अगर किसी की लंबाई 1.70 मीटर और वजन 70 किलोग्राम है, तो BMI ऐसे निकलेगा:
पहले लंबाई का वर्ग (Square) निकालें → (1.70 × 1.70) = 2.89
फिर वजन को इस संख्या से भाग दें → 70 ÷ 2.89 = 24.22
BMI का मतलब क्या है?
18.5 से कम → वजन कम है (अंडरवेट)
18.5 - 24.9 → सामान्य वजन
25 - 29.9 → ज्यादा वजन (ओवरवेट)
30 या ज्यादा → मोटापा
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बीएमआई वाला फॉर्मूला कितना सही है?
बीएमआई एक आसान और तेज तरीका है मोटापे का आकलन करने का, लेकिन यह 100 प्रतिशत सटीक नहीं है. यह सिर्फ वजन और हाइट के आधार पर गणना करता है, शरीर में मसल्स और फैट का अनुपात नहीं बताता. एक एथलीट का BMI हाई हो सकता है, लेकिन उसमें फैट कम और मसल्स ज्यादा होती हैं. इसलिए बीएमआई को एक अनुमान मानना चाहिए, न कि अंतिम सच.
कहां गलती कर रहे हैं हम भारतीय?
भारतीय समाज में खाने को प्यार और संस्कृति का हिस्सा माना जाता है. घर की रसोई से लेकर शादियों और त्योहारों तक, हर जगह ऑयली, मीठे और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले व्यंजन प्रमुख होते हैं. कुछ सामान्य गलतियां हैं:
- जरूरत से ज्यादा तेल और घी का उपयोग
- ज्यादा चीनी का सेवन
- रूटीन में फिजिकल एक्टिविटी की कमी
- देर रात खाना और फास्ट फूड पर निर्भरता
- नाश्ते को स्किप करना
क्या भारतीय डाइट वाकई खराब है?
भारतीय भोजन अगर संतुलित रूप से लिया जाए, तो यह दुनिया के सबसे पौष्टिक आहारों में से एक हो सकता है. लेकिन, आधुनिक जीवनशैली के चलते अब इसका स्वरूप बदल गया है:
- पारंपरिक खाने में संतुलन था: दाल, चावल, सब्जी, दही, सलाद.
- आज की डाइट में फास्ट फूड, पैक्ड स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स ने जगह ले ली है.
- खाना कम और कैलोरी ज्यादा हो गई है.
इसलिए कह सकते हैं कि डाइट खराब नहीं है, बल्कि खाने का तरीका और चयन गलत हो गया है.

मोटापे से होने वाले रोग
मोटापा अकेले नहीं आता; यह कई बीमारियों को अपने साथ लाता है. कुछ प्रमुख रोग हैं:
डायबिटीज टाइप-2: मोटापा इंसुलिन रेसिस्टेंस का कारण बनता है.
हार्ट डिजीज: मोटापा कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ाता है.
स्लीप एपनिया: सांस की समस्या जो मोटे लोगों में आम है.
गठिया (आर्थराइटिस): एक्स्ट्रा वेट से जोड़ों पर दबाव बढ़ता है.
थायरॉइड डिसऑर्डर: हार्मोनल असंतुलन के कारण वजन और थकान की समस्या.
पाचन तंत्र की समस्याएं
कैंसर: ब्रेस्ट, कोलन, किडनी)
मोटापे से बचने के उपाय
मोटापे से बचना नामुमकिन नहीं है. अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों को अपनाकर हम इस खतरे से दूर रह सकते हैं:
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1. बैलेंस डाइट लें
- कम फैट और कम शुगर वाला भोजन
- हरी सब्जियों, फल, दाल और साबुत अनाज को प्राथमिकता दें
- फाइबर से भरपूर डाइट लें.
2. नियमित व्यायाम करें
- रोज कम से कम 30 मिनट वॉक
- योगा, साइकलिंग या स्विमिंग
- हफ्ते में 4-5 दिन फिजिकल एक्टिविटी जरूरी
3. पर्याप्त नींद लें
- रोजाना 7-8 घंटे की नींद
- नींद की कमी से हार्मोनल असंतुलन होता है जो वजन बढ़ाता है.
4. तनाव से दूर रहें
- तनाव से "इमोशनल ईटिंग" की आदत बढ़ती है
- मेडिटेशन, संगीत या हॉबी अपनाएं
5. पानी भरपूर पिएं
- शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं.
- पेट भरा रहता है जिससे ज्यादा खाने की इच्छा नहीं होती.
मोटापा कम करने के क्लिनिकल ऑप्शन
1. मेडिकेशन (दवाइयां)
डॉक्टर की सलाह से कुछ वजन घटाने वाली दवाएं ली जा सकती हैं, लेकिन इनके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं.
2. बैरिएट्रिक सर्जरी
बहुत ज्यादा मोटे लोगों के लिए इसमें पेट का आकार छोटा किया जाता है जिससे व्यक्ति कम खा पाता है. गैस्ट्रिक बायपास, स्लिव गैस्ट्रेक्टॉमी जैसे विकल्प हैं.
3. इंट्रा गैस्ट्रिक बलून थेरेपी
पेट में बैलून डाला जाता है जिससे व्यक्ति जल्दी फुल महसूस करता है, यह अस्थायी प्रक्रिया है.
4. लाइफस्टाइल काउंसलिंग और थेरेपी
कई बार मोटापे के पीछे मानसिक कारण होते हैं. साइकोलॉजिकल काउंसलिंग जरूरी होती है.
मोटापा केवल एक शारीरिक स्थिति नहीं, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है जो धीरे-धीरे शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाता है. इससे बचाव लाइफस्टाइल में बदलाव से ही संभव है. सही खानपान, रेगुलर एक्सरसाइज और मानसिक संतुलन मोटापे से लड़ने के प्रभावी हथियार हैं. अगर इन उपायों से बात न बने तो मेडिकल सलाह लेना बिल्कुल जरूरी है.
याद रखें, मोटापा कोई शर्म की बात नहीं है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना ज़रूर खतरे की बात है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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