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क्या है पैनिक अटैक और मिर्गी के दौरे? डॉक्टर से जानें दोनों में अंतर

Panic Attacks And Epileptic Seizures : पैनिक अटैक और मिर्गी के दौरे के बीच के अंतर को समझना जरूरी है, क्योंकि इन दोनों का इलाज अलग होता है. पैनिक अटैक मेंटल स्ट्रेस और टेंशन से होता है, जबकि मिर्गी के दौरे ब्रेन की एबनॉर्मल एक्टिविटी के कारण होते हैं.

क्या है पैनिक अटैक और मिर्गी के दौरे? डॉक्टर से जानें दोनों में अंतर
Epileptic vs Nonepileptic Seizures: मिर्गी और दौरे के बीच अंतर, पैनिक अटैक के उपचार.

Panic Attacks And Epileptic Seizures : आजकल कई लोग मेंटल स्ट्रेस, टेंशन या पैनिक अटैक का एक्सपीरिएंस करते हैं, जबकि कुछ लोग मिर्गी के दौरे का सामना करते हैं. हालांकि, ये दोनों घटनाएं एक जैसी लग सकती हैं, लेकिन इनके कारण और लक्षणों में कुछ खास अंतर होते हैं. यह जानना जरूरी है कि पैनिक अटैक और मिर्गी के दौरे अलग-अलग समस्याएं हैं और दोनों के इलाज और मैनेजमेंट के तरीके भी अलग होते हैं. आइए, इस आर्टिकल में हम इन दोनों के बीच के अंतर को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे. अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति इन लक्षणों का एक्सपीरिएंस कर रहा है, तो सही निदान और इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है.

पैनिक अटैक क्या है? (What is a panic attack? | panic attack Kya hota hai)

पैनिक अटैक एक मेंटल कंडीशन है जो अचानक आती है और इसमें व्यक्ति को बहुत ज्यादा डर या घबराहट फील होती है. यह एक इंस्टेंट एंग्जाइटी अटैक होता है, जो किसी स्पेशल कंडीशन टेंशन या स्ट्रेसफुल घटना के कारण उत्पन्न हो सकता है. पैनिक अटैक के दौरान व्यक्ति को फिजिकल सिम्पटम्स का एक्सपीरिएंस हो सकता है, जैसे कि दिल की धड़कन तेज होना, हाथों में पसीना आना, सांस लेने में परेशानी महसूस होना, चक्कर आना और कभी-कभी तो घबराहट के कारण व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है. हालांकि, यह लक्षण सीवियर तो होते हैं, लेकिन यह किसी फिजिकल डिजीज का संकेत नहीं होते हैं और कुछ समय बाद व्यक्ति नॉर्मल महसूस करने लगता है.

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मिर्गी के दौरे क्या होते हैं? | Mirgi Kya hai

मिर्गी, जिसे हम 'एपिलेप्सी' भी कहते हैं, एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिसमें ब्रेन की एक्टिविटी में एबनॉर्मल चेंजेस होते हैं. मिर्गी के दौरे में व्यक्ति को अचानक से शारीरिक में ऐंठन, मांसपेशियों में अकड़न और कॉन्शियसनेस का खोना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. मिर्गी का दौरा एक कुछ समय तक रहता है और यह आमतौर पर बिना किसी चेतावनी के आता है. मिर्गी के दौरे के दौरान व्यक्ति को बहुत ज्यादा फिजिकल इफेक्ट फील हो सकते हैं, जैसे कि गिर जाना, मुंह से झाग निकलना, या आंखें पीछे की ओर जाना. यह दौरा कई मिनटों तक चल सकता है और बाद में व्यक्ति को थकावट या कन्फ्यूजन की कंडीशन हो सकती है.

पैनिक अटैक और मिर्गी के दौरों में मुख्य अंतर (Main differences between panic attacks and epileptic seizures)

1. कारण और उत्पत्ति

- पैनिक अटैक मेंटल और इमोशनल कारणों से उत्पन्न होते हैं, जैसे कि बहुत ज्यादा टेंशन, स्ट्रेस या किसी भयानक घटना का सामना करना.
- मिर्गी के दौरे न्यूरोलॉजिकल कारणों से होते हैं, जैसे कि ब्रेन में एबनॉर्मल इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी.

2. लक्षणों में अंतर

- पैनिक अटैक में व्यक्ति को फिजिकली सिम्पटम्स जैसे तेज दिल की धड़कन, पसीना आना, सांस लेने में परेशानी और घबराहट महसूस होती है.
- मिर्गी के दौरे में व्यक्ति को शारीरिक ऐंठन, शरीर में कठोरता, बेहोशी और कभी-कभी मुंह से झाग निकलने जैसे लक्षण हो सकते हैं.

3. समय की अवधि

- पैनिक अटैक आमतौर पर कुछ मिनटों से लेकर 20-30 मिनट तक रह सकता है और इसके बाद व्यक्ति नॉर्मल महसूस करने लगता है.
- मिर्गी के दौरे में यह घटना कई मिनटों तक बनी रह सकती है और इसके बाद व्यक्ति को लंबी थकावट या मेंटल कन्फ्यूजन का सामना करना पड़ सकता है.

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4. बेहोशी और कॉन्शियसनेस का खोना

- पैनिक अटैक में कॉन्शियसनेस नॉर्मल रहती है और व्यक्ति खुद को समझने और स्थिति को पहचानने में सक्षम होता है.
- मिर्गी के दौरे में कॉन्शियसनेस खो सकती है और व्यक्ति को दौरे के दौरान या बाद में अपनी कंडीशन का कोई होश नहीं होता.

5. इलाज में अंतर

-पैनिक अटैक का ट्रीटमेंट मेंटल थैरेपी, काउंसलिंग और एंटी-एंग्जायटी दवाइयों से किया जाता है. कभी-कभी योग और ध्यान जैसी टेक्नीक्स से भी राहत मिल सकती है.
-मिर्गी के दौरे का इलाज एंटी-एपिलेप्टिक दवाइयों से किया जाता है, जो ब्रेन की एबनॉर्मल एक्टिविटीस को कंट्रोल करने में मदद करती हैं. इसके अलावा, मिर्गी के दौरे को रोकने के लिए कुछ लाइफस्टाइल में बदलाव की भी जरूरत होती है.

पैनिक अटैक और मिर्गी के दौरे के बीच कंफ्यूजन

कभी-कभी, पैनिक अटैक और मिर्गी के दौरे के लक्षण एक जैसे लग सकते हैं, जिससे कंफ्यूजन हो सकता है. उदाहरण के तौर पर, पैनिक अटैक के दौरान तेज दिल की धड़कन और सांस की तकलीफ होती है, जबकि मिर्गी के दौरे में व्यक्ति गिर सकता है और मांसपेशियां ऐंठ सकती हैं. ऐसे में यह पहचान पाना कि यह दौरा मिर्गी का है या पैनिक अटैक का, थोड़ा मुश्किल हो सकता है. इसके लिए डॉक्टरों को इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) जैसे टेस्ट की मदद ली जाती है, जिससे ब्रेन की एक्टिविटीज का एनालिसिस किया जाता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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