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दिल्ली की हवा हुई 'ज़हर': डॉक्टर बोले- आप रोज पी रहे हैं 6 सिगरेट का धुआं

एम्स, नई दिल्ली में रुमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख उमा कुमार ने आईएएनएस को बताया, "उच्च प्रदूषण स्तर जोड़ों की बीमारी को और बिगाड़ सकता है. पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा करते हैं, जिससे गठिया के रोगियों में दर्द, अकड़न और थकान बढ़ सकती है."

दिल्ली की हवा हुई 'ज़हर': डॉक्टर बोले- आप रोज पी रहे हैं 6 सिगरेट का धुआं
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सुबह और देर शाम बाहर जाने से बचने, मास्क पहनने और घर में एयर प्यूरीफायर या पौधों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है.

Air pollution symptoms : दिवाली के बाद राष्ट्रीय राजधानी में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की औसत सांद्रता 488 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होने के साथ ही, शहर के डॉक्टरों ने श्वसन संबंधी समस्याओं, आंखों में जलन, फ्लू के साथ-साथ जोड़ों के दर्द के मामलों में वृद्धि की जानकारी दी है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) दिवाली के एक दिन बाद यानी मंगलवार को 400 तक पहुंचकर 'बेहद खराब' श्रेणी में रहा.

कुल मिलाकर एक्यूआई 347 रहा, जबकि कई इलाकों में यह 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया.

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शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा करते हैं

एम्स, नई दिल्ली में रुमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख उमा कुमार ने आईएएनएस को बताया, "उच्च प्रदूषण स्तर जोड़ों की बीमारी को और बिगाड़ सकता है. पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा करते हैं, जिससे गठिया के रोगियों में दर्द, अकड़न और थकान बढ़ सकती है."

एन95 मास्क पहनें

विशेषज्ञ ने गठिया के रोगियों से बाहरी गतिविधियों से बचने, एन95 मास्क पहनने और उच्च प्रदूषण वाले दिनों में स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए अच्छे इनडोर वेंटिलेशन वाले एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने का आग्रह किया. डॉक्टरों ने बताया कि उच्च प्रदूषण स्तर लोगों में सांस लेने और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ा रहा है.

उन्होंने बताया कि हवा में मौजूद जहरीली गैसें और रासायनिक कण खांसी, जुकाम, सिरदर्द, चक्कर आना, थकान, अनिद्रा और आंखों में जलन जैसी समस्याएं पैदा कर रहे हैं.

जनरल फिजिशियन डॉ. अमित कुमार ने बताया कि प्रदूषण के कारण हर चेस्ट फिजिशियन के बाह्य रोगी विभाग में मरीजों की संख्या में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

वायुमंडल में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया और बेंजीन जैसी जहरीली गैसों की सांद्रता (कंसन्ट्रेशन) खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है.

रोज पी रहे हैं 6 सिगरेट का धुआं

ये गैसें न केवल सांस लेने में तकलीफ बढ़ा रही हैं, बल्कि आंखों, नाक, गले और फेफड़ों पर भी नकारात्मक असर डाल रही हैं. डॉ. कुमार ने बताया कि पांच साल पहले, धूम्रपान सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का मुख्य कारण था, लेकिन अब प्रदूषण इसका सबसे बड़ा कारण बन गया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति धूम्रपान नहीं भी करता है, तो भी वर्तमान प्रदूषण के स्तर के कारण, वह रोजाना छह सिगरेट के बराबर जहरीला धुआं सांस के जरिए अंदर ले रहा है.

उनके अनुसार, एक सिगरेट लगभग 64.8 एक्यूआई के बराबर प्रदूषण पैदा करती है, जबकि मौजूदा स्थिति में एक व्यक्ति लगभग 5.83 सिगरेट के बराबर धुआं अंदर ले रहा है.

सांस लेने में तकलीफ, खांसी या सीने में जकड़न की शिकायत बढ़ी

शहर के डॉक्टरों ने बताया कि रोजाना 300 से 350 मरीज सांस लेने में तकलीफ, खांसी या सीने में जकड़न की शिकायत लेकर ओपीडी में आ रहे हैं. बढ़ती आर्द्रता के कारण, धूल और धुएं के कण वायुमंडल में ऊपर नहीं जा पा रहे हैं, जिससे धुंध और स्मॉग की चादर छा रही है.

पर्यावरण विशेषज्ञ शरणजीत कौर ने आईएएनएस को बताया कि आने वाले दिनों में वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण वायु गुणवत्ता और खराब होने की संभावना है.

कौर ने कहा, "आज दिल्ली का एक्यूआई 345 और 350 के बीच बेहद खराब रहा. अगर शाम तक यही स्थिति रही और हवा नहीं चली और गति कम रही, तो प्रदूषकों का बिखरना मुश्किल हो जाएगा और अगले 2-3 दिनों में प्रदूषक और भी गंभीर श्रेणी में पहुंच सकते हैं."

बाहर निकलने पर पहनें मास्क

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सुबह और देर शाम बाहर जाने से बचने, मास्क पहनने और घर में एयर प्यूरीफायर या पौधों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है. बच्चों, बुजुर्गों और पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि प्रदूषण का उनके स्वास्थ्य पर ज्यादा असर पड़ता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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