सेंट पीटर्सबर्ग की बर्फीली सड़कों पर झाड़ू लगाते हुए एक युवक सोच रहा है, चार महीने पहले तक वह कंप्यूटर स्क्रीन पर कोड लिख रहा था और अब हाथ में झाड़ू है. दरअसल यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन 17 भारतीय प्रवासी मजदूरों की है जो रूस में मजदूरों की कमी के बीच सड़कों की सफाई कर रहे हैं. इनमें से कुछ किसान थे, कुछ छोटे व्यापारी, और एक तो खुद को सॉफ्टवेयर डेवलपर बताते हैं.
क्यों पहुंचे भारतीय मजदूर रूस?
रूस इस वक्त यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहा है और वहां मजदूरों की भारी कमी हो गई है. इसी वजह से सड़क रखरखाव कंपनी Kolomyazhskoye ने भारत से 17 मजदूरों को अपने यहां बुलाया. ये सभी पिछले कई हफ्तों से सेंट पीटर्सबर्ग की सड़कों को साफ कर रहे हैं. कंपनी न सिर्फ उन्हें काम देती है, बल्कि रहने की जगह, खाना और सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध कराती है. इन मजदूरों को हर महीने करीब 100,000 रूबल (लगभग ₹1.1 लाख) वेतन मिलता है.
Street cleaners from India start working in St. Petersburg
— NEXTA (@nexta_tv) December 20, 2025
The first group arrived back in September to fill the labor shortage.
Some Indians claim they previously worked in the IT sector. For example, one of them says he was an AI developer at Microsoft.
At the same time, the… pic.twitter.com/uiokaaEYqp
कौन हैं ये लोग?
इन प्रवासी मजदूरों की उम्र 19 से 43 साल के बीच है. भारत में ये अलग-अलग काम करते थे. कोई किसान, ड्राइवर, आर्किटेक्ट, टैनर, वेडिंग प्लानर और यहां तक कि सॉफ्टवेयर डेवलपर जैसे काम कर रहे थे. मुकेश मंडल, 26 साल का युवक, खुद को डेवलपर बताता है. उसने रूसी मीडिया को बताया, "मैंने ज्यादातर कंपनियों में काम किया है जहां Microsoft जैसे टूल्स और AI, चैटबॉट्स, GPT का इस्तेमाल होता था. अब मैं यहां सड़कें साफ कर रहा हूं." हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वह Microsoft में काम करता था या किसी ऐसी कंपनी में जो Microsoft के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती थी.
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मुकेश का नया जीवन और सोच
मुकेश का कहना है कि वह एक साल रूस में रहकर पैसे कमाना चाहता है और फिर भारत लौट जाएगा. उसने कहा कि मैं बस अपना काम कर रहा हूं. यह आपका देश है और आपको समझना चाहिए कि मैं क्या करता हूं. जब उससे पूछा गया कि उसने यह काम क्यों चुना, तो उसका जवाब था. मैं भारतीय हूं, और भारतीय के लिए काम मायने नहीं रखता. काम भगवान के लिए है, आप कहीं भी काम कर सकते हैं. टॉयलेट में, सड़क पर, कहीं भी. यह मेरा काम है, मेरी जिम्मेदारी है कि इसे अच्छे से करूं, बस इतना ही.
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रूस में भारतीयों की मेहनत का मतलब
रूस से सामने आई यह कहानी बताती है कि कैसे आर्थिक जरूरतें और अवसर लोगों को उनकी पुरानी पहचान से बिल्कुल अलग काम करने पर मजबूर कर देते हैं. जहां एक सॉफ्टवेयर डेवलपर से लेकर सड़क सफाई तक का सफर सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि जीवन की प्राथमिकताओं का आईना है.
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