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यूपी, बिहार, बंगाल से बांग्लादेश और चीन तक फैला कछुआ तस्करी का नेटवर्क, पुलिस ने किया पर्दाफाश

पुलिस सूत्रों की मानें तो नदियों में आसानी से पकड़ में आनेवाले इन कछुओं को पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश तक भेजा जाता है. इस पूरे इलाके में कछुआ की तस्करी का एक बहुत पुराना नेटवर्क एक्टिव है.

यूपी, बिहार, बंगाल से बांग्लादेश और चीन तक फैला कछुआ तस्करी का नेटवर्क, पुलिस ने किया पर्दाफाश
पकड़े गए सभी कछुओं को गंगा, अन्य जलाशयों में छोड़ दिया जाएगा.
  • बिहार, झारखंड और बंगाल से गुजरने वाली ट्रेनों से तस्करी के लिए जिंदा कछुए जब्त किए गए हैं.
  • गया, बरहरवा और अन्य स्टेशनों पर हजारों कछुओं के साथ तस्करों को गिरफ्तार किया गया है.
  • पकड़े गए कछुए पश्चिम बंगाल से होते हुए बांग्लादेश, म्यांमार और चीन तक भेजे जाते हैं.
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बीते कुछ दिनों से बिहार, झारखंड, बंगाल से गुजरने वाले ट्रेनों से तस्करी के लिए ले जाए जा रहे कछुए जब्त किए गए हैं. दो दिन पहले गया स्टेशन पर दून एक्सप्रेस से 24 लाख के 48 जिंदा कछुए जब्त किए गए थे. यह सभी तस्करी के लिए बंगाल ले जाए जा रहे थे. झारखंड के बरहरवा स्टेशन पर भी फरक्का एक्सप्रेस से 1000 से ज्यादा कछुए बरामद हुए थे, 3 तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया था. 15 दिसंबर को गया में ही नेताजी एक्सप्रेस से 76 जिंदा कछुए बरामद हुए थे. इन तीनों कार्रवाई में एक बात कॉमन थी. यह ट्रेनें पश्चिम बंगाल जा रही थी. शुरुआती पुलिसिया जांच में पता चला है कि इन कछुओं को भी बंगाल ले जाया जा रहा था.

पुलिस सूत्रों की मानें तो नदियों में आसानी से पकड़ में आनेवाले इन कछुओं को पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश तक भेजा जाता है. इस पूरे इलाके में कछुआ की तस्करी का एक बहुत पुराना नेटवर्क एक्टिव है. यूपी में नदियों से इन कछुओं को पकड़ा जाता है, फिर बिहार, झारखंड और बंगाल पहुंचाया जाता है. वहीं से यह कछुए बांग्लादेश, म्यांमार, चीन तक में बेचे जाते हैं. दून एक्सप्रेस से गिरफ्तार तस्करों ने भी पुलिस को बताया था कि वे आजमगढ़ में मुसहर समुदाय के लोगों से 120 रुपए प्रति किलो की दर से कछुए खरीदते थे. बाद में हजारों की कीमत पर बेच देते. 

कछुए का मांस काफी महंगा बिकता है, इसलिए यह फायदे का सौदा है. चीन, म्यांमार के पेट शॉप्स में भी यह बड़ी कीमत में बिकता है. मूल रूप से इनका उपयोग मांस, पेट के रूप में बिक्री और कुछ दवाओं में इस्तेमाल के लिए होता है. 

गंगा नदी में छोड़े जाएंगे कछुए

वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में पाए जाने वाली करीब 17 प्रजाति के कछुओं की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी ज्यादा है. यही वजह है कि तस्करों ने इस ओर अपना नेटवर्क फैलाया है. लेकिन सिर्फ एक महीने के अंदर रेल पुलिस को हजारों कछुओं की बरामदगी में सफलता मिली है. अब इन सभी कछुओं को गंगा, अन्य जलाशयों में छोड़ दिया जाएगा.

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