जिंदगी एक लड़ाई की तरह है, जिसने संघर्ष किया वह जीत गया. आपने एक कहावत सुनी होगी 'हारा वही जो लड़ा नहीं'. कैंसर से बाहर आना और एक सामान्य और सुखी जीवन जीना एक मैराथन जीतने जैसा है. ऐसे कई लोगों की कहानियां हैं जो कैंसर से लड़ चुके हैं और अब खुशहाल, स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और कई लोगों के दिलों को प्रेरणा से भरने में मदद कर रहे हैं. जिन्होंने मौत और जिंदगी के फर्क को करीब से देखा है. अब कैंसर से पीड़ित लोग उन लोगों के शब्दों में आशा और प्रेरणा की तलाश करते हैं जिन्होंने इस बीमारी के खिलाफ सफलतापूर्वक अपनी लड़ाई जीत ली है. आप कैसे जीते हैं, क्यों जीते हैं और जिस तरह से जीते हैं, उससे आप कैंसर को मात देते हैं और इन सबके पीछे होती है उम्मीद. उम्मीद जीने की, उम्मीद कभी हार न मानने की. उम्मीद की इस सीरिज में हम आपको मिलाएंगे ऐसे लोगों से जो हालातों के हवाले न होकर उनसे लड़े और जीते भी.
ऐसी ही एक कहानी है अमित की जो 26 साल के है. अमित को पिछले साल एपिथायलॉयड फाइब्रो सारकोमा कैंसर का पता चला था. ये बहुत ही रेयर कैंसर है जिसके दुनियाभर में अब तक कुल 81 मामले ही आए हैं. इसे सॉफ्ट टिश्यू सारकोमा कैंसर भी कहा जाता है. अमित कहते हैं कि शुरू में जब वह वॉक करते थे तो उनको कुछ कदम चलने पर ही सांस लेने में परेशानी होने लगती थी. वह कहते हैं कि एक्सरे करवाया तो उनके 60 प्रतिशत फेफड़ों में पानी भर गया था, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि ये टीबी हो सकता है या कैंसर हो सकता है. कम उम्र होने के कारण डॉक्टर कैंसर की आशंका को कम कर टीबी की आशंका पर जोर दे रहे थे, लेकिन किसे पता था कि अमित को ये खतरनाक बीमारी घेर लेगी.
डॉक्टरों ने कहा कि अमित के फेफड़ों में 4 से 5 लीटर पानी हो सकता है. अमित ने कई और टेस्ट करवाए तो डॉक्टरों को अमित के फेफड़ों में मल्टिपल सॉफ्ट टिश्यूज का पता चला था. डॉटरों ने अमित को यहां तक कह दिया था कि आप अब अपने दिन गिनिए. अब अमित के लिए उम्मीद को छोड़ना और पकड़ पाना दोनों ही मुश्किल थे. ज्यादातर लोग टूट जाते है बिखर जाते हैं, लेकिन अमित ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद शायद खुद अमित ने भी नहीं की होगी. ऐसा क्या किया अमित ने पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो देखें.
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