
Breathing Signals: क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि हर समय हमारी दोनों नॉस्टल्स एक साथ समान रूप से काम नहीं करतीं? कभी दायां हिस्सा ज्यादा सक्रिय रहता है, तो कभी बायां. यह कोई सामान्य बात नहीं है, इसके पीछे शरीर की एक गहरी व्यवस्था छिपी होती है, जिसे स्वर विज्ञान कहा जाता है. यह विज्ञान बताता है कि शरीर की सांसों के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि किस समय कौन-सा काम करना बेहतर रहेगा. यह एक प्राचीन तरीका है, जिससे इंसान अपनी एनर्जी को सही दिशा में प्रयोग कर सकता है. आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं श्री श्री रवि शंकर से.
ये भी पढ़ें - किस विटामिन की कमी से नींद ज्यादा आती है?
हमारी सांसें क्या संकेत देती हैं? (What Does Our Breathing Indicate?)
स्वर विज्ञान योग से जुड़ा एक ऐसा ज्ञान है, जो सांसों की गति और नासिकाओं की स्थिति के जरिए शरीर और मन की दशा को समझाता है. हमारे शरीर में तीन तरह की ऊर्जा धाराएं मानी जाती हैं - बाएं तरफ की धारा को चंद्र स्वर, दाएं तरफ की को सूर्य स्वर और बीच की धारा को सुषुम्ना कहा जाता है.
- जब बाएं नथुने से सांस चल रही होती है, तो यह ठंडक, आराम और क्रिएटिविटी से जुड़ी होती है.
- जब दाएं नथुने से सांस तेज़ होती है तब शरीर में गर्मी, फुर्ती और क्रिया करने का ट्रेंड बढ़ता है.
- जब दोनों नथुनों से सांस बराबर चलती है, तो यह एक खास स्थिति होती है, जिसे ध्यान, मौन और गहरे आत्म-संबंध के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है.
कब कौन-सा स्वर फायदेमंद होता है?
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के अनुसार, दिनभर के अलग-अलग काम, उस समय सक्रिय स्वर के अनुसार ही करने चाहिए:
- अगर बाया स्वर चल रहा हो तो वह समय पढ़ाई, लेखन, कला, संगीत या आराम जैसे कार्यों के लिए उपयुक्त होता है.
- वहीं अगर दायां स्वर चल रहा हो, तो उस समय तेज गति वाले काम जैसे सफाई, कसरत, बातचीत, या किसी जरूरी फैसले पर काम करना बेहतर माना जाता है. यह अभ्यास केवल मन को शांत करने के लिए नहीं, बल्कि शरीर की थकान कम करने, एनर्जी बचाने और जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद करता है.
ये भी पढ़ें- नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल कितना होना चाहिए? खाली पेट और खाना खाने के बाद की रीडिंग जान लीजिए
ध्यान का सही समय कैसे जानें? - How To Know The Right Time For Meditation?
ध्यान एक ऐसा अनुभव है जो तब गहरा होता है जब शरीर और मन दोनों संतुलन में हों. यह संतुलन उसी समय आता है जब दोनों स्वर यानी बायां और दायां एक साथ सक्रिय हों. इसे सुषुम्ना की स्थिति-कहा जाता है.
ऐसे समय में ध्यान में बैठना ज्यादा असरदार होता है. इस अवस्था में विचार धीमे हो जाते हैं, मन स्थिर होता है और ध्यान की गहराई बढ़ जाती है. यही वजह है कि योगी इस समय का इंतजार करते हैं.
शरीर एक ब्रह्मांड की तरह
योग में कहा गया है कि हमारा शरीर एक छोटा ब्रह्मांड है. इसमें वही तत्व और एनर्जी हैं जो बाहर के संसार में हैं. स्वर विज्ञान हमें यह सिखाता है कि अगर हम अपनी सांसों और उनके प्रवाह को समझ लें, तो हम अपने अंदर की दुनिया से भी जुड़ सकते हैं.
Gurudev Sri Sri Ravi Shankar Podcast: तनाव, चिंता, रिलेशनशिप | तनाव कैसे दूर करें
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं