हमारा दिमाग जीवन के कई समस्याओं में ज्यादा तेजी से बदलता है, जैसे कि लाइफ क्लॉक तेजी से चल रही हो. हालांकि, जीवन में एक ऐसी स्टेज भी आ सकती है जब ब्रेन क्लॉक तेज होने लगती है. ब्रेन आपके ध्यान में आए बिना ही बदलाव शुरू कर देता है. यह (आंशिक रूप से) आपके खून में मौजूद किसी चीज के कारण भी हो सकता है. आपके 40 से 50 के दशक या "मिडिल एज" के दौरान ब्रेन की उम्र बढ़ने का यह स्टेज आपके फ्यूचर हेल्थ की भविष्यवाणी कर सकता है.
उम्र के साथ हमारी मानसिक क्षमताएं कैसे बदलती हैं, इसका अध्ययन करने वाले मनोवैज्ञानिकों ने पाया है कि उनमें धीरे-धीरे गिरावट आती है, जो हमारे 20 और 30 के दशक में शुरू होती है. हालांकि, जब लोगों की रोजमर्रा की घटनाओं की याददाश्त का आकलन किया जाता है, तो समय के साथ बदलाव मिडिल एज के दौरान खासतौर से तेज और अस्थिर प्रतीत होता है. यानी, हेल्दी लोगों में भी, कुछ लोगों की याददाश्त तेजी से खराब होने का अनुभव होती है, जबकि अन्य की इसमें सुधार भी हो सकता है.
इससे पता चलता है कि इस पीरियड के दौरान ब्रेन में धीरे-धीरे होने वाले बदलाव के विपरीत तेजी आ रही होगी. मिडिल एज में ब्रेन की कई संरचनाएं बदलती पाई गई हैं. हिप्पोकैम्पस, नई यादें बनाने के लिए इंपोर्टेंट एरिया, उनमें से एक है.
मिडिल एज में होता है ब्रेन में सबसे ज्यादा चेंज?
यह एडल्ट्स में ज्यादा समय में सिकुड़ता है और यह सिकुड़न मिडिल एज के आसपास तेज होने लगती है. मिडिल एज के दौरान हिप्पोकैम्पस के आकार और कार्य में अचानक बदलाव ऊपर बताए गए मेमोरी चेंजेस का कारण बन सकता है.
अंततः, जो चीज ब्रेन को अपना कार्य करने की अनुमति देती है वह ब्रेन सेल्स के बीच संबंध है. ये संबंध एडल्टहुड के दौरान धीरे-धीरे मेच्योर होते हैं, खासकर से ब्रेन के उन क्षेत्रों को जोड़ने वाले जो मेमोरी, तर्क और भाषा जैसे कॉग्नेटिव फंक्शन से निपटते हैं.
दिलचस्प बात यह है कि मिडिल एड के दौरान, उनमें से कई वॉल्यूम बढ़ने से लेकर वॉल्यूम घटने तक के मोड़ से गुजरते हैं. इसका मतलब यह है कि सिग्नल और सूचना को उतनी तेजी से प्रसारित नहीं किया जा सकता है. प्रतिक्रिया समय लगभग उसी समय बिगड़ने लगता है.
जिस तरह समाज में अत्यधिक जुड़े हुए लोग एक-दूसरे के साथ गुट बनाते हैं, मस्तिष्क क्षेत्र भी अपने कनेक्शन के जरिए ऐसा ही करते हैं. मस्तिष्क के संचार का यह ग्रुप हमें कुछ कठिन काम करने की अनुमति देता है जिन्हें हम हल्के में ले सकते हैं, जैसे कि हमारे पूरे दिन का रूटीन बनाना या फैसले लेना.
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जब हम मिडिल एज में पहुंचते हैं तो ब्रेन इस संबंध में चरम पर पहुंच जाता है. कुछ लोगों ने मिडिल एज को कुछ प्रकार के निर्णय लेने के लिए "स्वीट स्पॉट" के रूप में भी संदर्भित किया है, लेकिन फिर नेटवर्क "गुट" टूटने लगते हैं.
इस बिंदु पर यह बताने लायक है कि ये छोटे बदलाव क्यों मायने रखते हैं. 60 साल और उससे ज्यादा आयु की वैश्विक जनसंख्या 2050 तक लगभग दोगुनी हो जाएगी और इसके साथ, दुर्भाग्य से मनोभ्रंश के मामलों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी होगी.
बुढ़ापे में ब्रेन पर बहुत ज्यादा फोकस किया गया है विज्ञान लंबे समय से बड़ी उम्र पर ध्यान फोकस कर रहा है, जब समय के हानिकारक प्रभाव सबसे ज्यादा होते हैं, लेकिन तब तक, इलाज करने के लिए अक्सर बहुत देर हो सकती है. मिडिल एज एक ऐसा पीरियड हो सकती है जब हम भविष्य में कॉग्नेटिव डिक्लाइन के शुरुआती जोखिम कारकों का पता लगा सकते हैं, जैसे कि मनोभ्रंश.
जरूरी बात यह है कि बायोलॉजिकल एज का अनुमान अक्सर क्लिनिक में उपयोग किए जाने वाले आसानी से उपलब्ध और लागत प्रभावी टेस्ट से लगाया जा सकता है.
"मिडिल एज बढ़ना" हमारे भविष्य के ब्रेन हेल्थ के लिए जितना हम सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा परिणामी हो सकता है. घड़ी की हड़बड़ी में टिक-टिक को ब्रेन के बाहर से धीमा किया जा सकता है. उदाहरण के लिए फिजिकल हेल्थ ब्लड बोर्न मैसेंजर्स के जरिए ब्रेन पर अपना कुछ लाभकारी प्रभाव डालता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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