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नींद के दौरान मस्तिष्क की गतिविधि से ब्रेन इंजरी के मरीजों की रिकवरी का लग सकता है पता: अध्ययन

नींद के दौरान होने वाली ब्रेन एक्टिविटी, जिसे स्लीप स्पिंडल्स कहा जाता है, ब्रेन इंजरी से पीड़ित मरीजों की रिकवरी और उनकी स्वतंत्र कार्यक्षमता की संभावना को समझने में मदद कर सकती है.

नींद के दौरान मस्तिष्क की गतिविधि से ब्रेन इंजरी के मरीजों की रिकवरी का लग सकता है पता: अध्ययन
नींद के दौरान होने वाली ब्रेन एक्टिविटी से लगेगा रिकवरी का पता.

नींद के दौरान होने वाली ब्रेन एक्टिविटी, जिसे स्लीप स्पिंडल्स कहा जाता है, ब्रेन इंजरी से पीड़ित मरीजों की रिकवरी और उनकी स्वतंत्र कार्यक्षमता की संभावना को समझने में मदद कर सकती है. अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क-प्रेस्बिटेरियन हेल्थकेयर सिस्टम के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है.

ब्रेन इंजरी के बाद भी हो सकता है छुपा हुआ होश

शोधकर्ताओं ने पाया कि जो मरीज कोमा में होते हैं या प्रतिक्रिया नहीं देते, उनके मस्तिष्क में एक छुपी हुई चेतना (हिडन कॉन्शियसनेस) मौजूद हो सकती है, जिसे उनके परिवार या डॉक्टर भी नहीं पहचान पाते.

नेचर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए, वैज्ञानिकों ने 226 कोमाटोज़ मरीजों के ब्रेन एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया, जो कि नींद के दौरान इलेक्ट्रोएन्सेफैलोग्राम (EEG) तकनीक से लिया गया था.

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स्लीप स्पिंडल्स से रिकवरी का अनुमान

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले कोलंबिया यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी प्रोफेसर, जान क्लासेन के अनुसार, मस्तिष्क की इलेक्ट्रिकल गतिविधि सामान्य रूप से बिखरी हुई लगती है, लेकिन कुछ मरीजों में तेज और संगठित तरंगों के रूप में यह सक्रिय होती है. इन्हीं संगठित और तेज तरंगों को स्लीप स्पिंडल्स कहा जाता है. शोधकर्ताओं के अनुसार, जिन मरीजों में यह तरंगें देखी गईं, उनमें कॉग्निटिव मोटर डिसोसिएशन (CMD) के संकेत भी मिले. यह वह अवस्था है जब मरीज बाहरी रूप से प्रतिक्रिया नहीं देता, लेकिन उसके मस्तिष्क में गतिविधि देखी जाती है.

बेहतर रिकवरी की संभावना

शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों में स्लीप स्पिंडल्स और CMD दोनों दिखे, उनमें होश में लौटने और कार्यात्मक रूप से स्वतंत्र होने की संभावना अधिक थी. क्लासेन के अनुसार, "स्लीप स्पिंडल्स आमतौर पर नींद के दौरान होते हैं और यह दिखाता है कि मस्तिष्क में संगठित गतिविधि हो रही है. इससे यह संकेत मिलता है कि थैलेमस और कॉर्टेक्स के बीच के सर्किट, जो कि चेतना के लिए आवश्यक हैं, अभी भी कार्य कर रहे हैं."

अध्ययन में यह भी सामने आया कि जिन मरीजों में स्लीप स्पिंडल्स और CMD दिखे, उनमें से 76% मरीज अस्पताल से छुट्टी मिलने तक होश में आ गए. एक साल बाद, इन मरीजों में से 41% लोग न्यूरोलॉजिकल रूप से ठीक हो गए और स्वतंत्र रूप से अपनी देखभाल करने में सक्षम थे.

क्या स्लीप स्पिंडल्स को बढ़ाने से रिकवरी बेहतर हो सकती है?

हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन यह साबित नहीं करता कि स्लीप स्पिंडल्स को कृत्रिम रूप से बढ़ाने से रिकवरी तेज होगी. लेकिन यह संभावना जताई गई है कि यदि मरीजों की नींद को बेहतर बनाया जाए, तो उनके ठीक होने की संभावना भी बढ़ सकती है. अध्ययन में यह भी देखा गया कि 139 मरीजों में से 19, जिनमें स्लीप स्पिंडल्स या CMD के कोई संकेत नहीं थे, वे भी धीरे-धीरे होश में लौट आए. इससे यह निष्कर्ष निकला कि सिर्फ स्लीप स्पिंडल्स के आधार पर भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, बल्कि अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना होगा.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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