Be Positive: खुद से कभी न करें ये 5 बातें, मन ही नहीं दिमाग पर भी हो सकता है असर

Be Positive: हम खुद को कोसते हैं और हर बात के लिए खुद को दोष देते हैं. खुद को दोष देना और लगातार ऐसी बातें करना आपको अवसाद की ओर ढकेल सकता है. आइए जानते हैं कि वो कौन सी बातें हैं जो आपको कभी खुद से नहीं करनी चाहिए. 

Be Positive: खुद से कभी न करें ये 5 बातें, मन ही नहीं दिमाग पर भी हो सकता है असर

Be Positive: गहरा असर करती हैं ऐसी बातें, अपने मन का रखें ख्याल.

हमेशा हमारे अंदर से एक आवाज सुनाई देती है और असल में यही हमारे जिंदगी जीने का तरीका भी निर्धारित करती है. हमारा अंतर्मन लगातार हमसे बातें करता है. कई बार हम खुद निगेटिव सोचते हैं कि हमारे अंदर से भी खुद के लिए निगेटिव बातें आती हैं. हम खुद को कोसते हैं और हर बात के लिए खुद को दोष देते हैं. खुद को दोष देना और लगातार ऐसी बातें करना आपको अवसाद की ओर ढकेल सकता है. आइए जानते हैं कि वो कौन सी बातें हैं जो आपको कभी खुद से नहीं करनी चाहिए. 

खुद के लिए कभी न लाएं ऐसे नेगेटिव विचार- Never Bring Such Negative Thoughts For Yourself:

1. 'कोई भी वास्तव में मेरी परवाह नहीं करता'

"कोई भी वास्तव में मेरी परवाह नहीं करता" जैसे विचारों को जन्म नहीं देना चाहिए. जब आप यह सोचने लगते हैं कि कोई आपकी परवाह नहीं करता, आप लोगों को दूर भगाना शुरू कर देते हैं. आपके जीवन में कई लोग हो सकते हैं जो आपकी परवाह करते हैं, आपको बस इतना करना है कि उन तक पहुंचें और उनसे बात करें. 

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2. ‘मैं हमेशा बेवकूफी भरी बातें करता हूं या करती हूं'

सबसे चतुर और समझदार लोग भी गलतियां करते हैं. बेशक, हर क्रिया का एक नतीजा होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप उस चिंता को अपनी चीजों अपने निर्णय लेने की क्षमता पर हावी होने दें. अपनी गलतियों से सीखें और सुधार करें, बजाय इसके कि आप खुद को तोड़-मरोड़ कर इस तरह की बातें करें.

3. 'मैं हमेशा असफल होता हूं या होती हूं'

असफलता जीवन का एक हिस्सा है और यह तब तक मायने नहीं रखता जब तक आप दोबारा उठ कर चलने की क्षमता रखते हैं. कभी हार न मानें और तब तक प्रयास करते रहें जब तक आप सफल न हो जाएं. स्वामी विवेकानंद ने भी ऐसा ही कहा है. 

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4.  'मुझे नहीं बोलना चाहिए'

क्या आपको लगता है कि जब आप बोलते हैं तो लोग इसे पसंद नहीं करते हैं? क्या आपको लगता है कि हर बार जब आप बोलते हैं तो आपको आंका जाता है? सबसे पहले, आपके आस-पास के लोगों को आपको इस तरह महसूस नहीं कराना चाहिए और यदि वे ऐसा करते हैं, तो आपको अपने आसपास के लोगों के बेहतर ग्रुप की जरूरत है. कभी भी आत्म-संदेह न करें और अपनी राय व्यक्त करने से पीछे हटें.

5. 'मुझे कोई उम्मीद नहीं है'

निराशा, लाचारी, उदास मनोदशा, खुद को नुकसान पहुंचाना, चिड़चिड़ापन और कोई प्रेरणा न होना अवसाद के लक्षण हैं. स्थिति के अन्य शारीरिक लक्षणों में नींद न आना, भूख न लगना, थकान और यौन इच्छा में कमी शामिल है. अगर ऐसा है तो आपको प्रोफेशनल हेल्प की जरूरत है. आप डॉक्टर से मिलें और खुलकर अपनी बात रखें.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.