
Asthma In School Age Children: अगर हमारे शरीर के अंदरूनी और बाहरी अंग ठीक से काम कर रहे हैं, तो इसका अर्थ ये है कि शरीर में पर्याप्त रूप से ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है. वहीं हम सभी जानते हैं कि ये कार्य फेफड़ों की नाजुक संरचनाओं द्वारा किया जाता है. बता दें, जहां फेफड़ों का काम जरूरी है, वहीं उससे जुड़ी बीमारी के बारे में जानकारी रखना जरूरी है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. खासकर स्कूल जाने वाले बच्चे. आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहते हैं डॉक्टर अरविंद कुमार.
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95 प्रतिशत बच्चों को नहीं पता उन्हें है फेफड़ों का रोग
डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा कि 'लंग केयर फाउंडेशन' के नाम से एक NGO, जहां एक ऐसी स्टडी की गई, जिसका परिणाम देखकर हम सभी चौंक गए. उन्होंने बताया, इस NGO ने साल 2019 में दिल्ली के 5 से 6 स्कूलों में करीब 3000 से बच्चों के ऊपर एक स्टडी की थी. इन बच्चों की एवरेज उम्र 11 से 14 साल की थी.
एनजीओ ने स्टडी के लिए 35 से 40 प्रश्न तैयार किए थे, जो बच्चों से पूछे गए. बता दें, ये सभी प्रश्न फेफड़ों से संबंधित थे, जिसमें उनसे पूछा गया कि उन्हें कब खांसी होती, अस्थमा अटैक आता है या नहीं. इसी के साथ स्पाइरोमेट्री मशीन से बच्चों का लंग्स फंक्शन टेस्टिंग किया गया था. डॉक्टर ने बताया जब ये टेस्ट हुआ था, करीब 30 प्रतिशत बच्चों में दमा की स्थिति (Asthmatic Condition) पाई गई थी. कमाल की बात ये है कि बच्चों को इस बारे में पता नहीं था. डॉक्टर ने कहा, जब हमें इस बारे में पता चला तो हम सभी हैरान हो गए थे, लेकिन स्टडी के अनुसार, 95 प्रतिशत स्कूल जाने वाले बच्चों को नहीं पता था कि उन्हें दमा की बीमारी है.
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डॉक्टर ने कहा- खतरनाक है स्थिति
डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा अगर स्कूल जाने वाले बच्चे अपनी बीमारी को लेकर अवेयर नहीं हैं. ये एक खतरनाक स्थिति है. उन्होंने बताया कि जब बच्चों को सांस में दिक्कत होती है, तो उन्हें काफी कुछ झेलना पड़ सकता है. सबसे पहले तो बच्चों की ग्रोथ, उनकी पढ़ाई, परफॉर्मेंस, स्पोर्ट्स एक्टिविटी पर इसका सीधा असर पड़ता है.
यही नहीं डॉक्टर ने आगे बताया कि जिस बच्चे को अस्थमा होता है, वह बार- बार खांसता और रात भर करवट बदलता है, जिसके कारण वह सही से सो नहीं पाता है. यही नहीं डॉक्टर पहले भी बता चुके हैं कि अस्थमा होना खतरनाक स्थिति है, अगर ये सीवियर फॉर्म में होता है, तो इससे मौत भी हो सकती है. ऐसे में स्कूल जाने वाले बच्चे का खास ध्यान रखना जरूरी है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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