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फोन से निकलने वाली ब्लू लाइट के 10 बड़े नुकसान, बच्चों से तो दूर ही रखें मोबाइल, बार-बार इस्तेमाल करने से बचें

Blue Light Side Effects: नीली रोशनी का संपर्क खासतौर से रात में मेलाटोनिन को गड़बड़ करके हमारे स्लीप पैटर्न को रिस्ट्रिक्ट कर सकता है. खासतौर से फोन स्क्रीन जैसे कृत्रिम स्रोतों से हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. यहां 10 तरीके बताए गए हैं जिनसे ब्लू लाइट आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.

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फोन से निकलने वाली ब्लू लाइट के 10 बड़े नुकसान, बच्चों से तो दूर ही रखें मोबाइल, बार-बार इस्तेमाल करने से बचें
Blue Light Disadvantages: यहां 10 तरीके बताए गए हैं जिनसे ब्लू लाइट आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.

Blue Light Disadvantages: नीली रोशनी सूर्य, डिजिटल स्क्रीन, एलईडी लाइटिंग और स्मार्टफोन सहित कई स्रोतों से उत्सर्जित होती है. फोन नीली रोशनी उत्सर्जित करते हैं, यही वजह है कि इन उपकरणों का लंबे समय तक उपयोग, खासकर सोने से पहले, हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है. नीली रोशनी का संपर्क खासतौर से रात में मेलाटोनिन को गड़बड़ करके हमारे स्लीप पैटर्न को रिस्ट्रिक्ट कर सकता है, जो नींद को कंट्रोल करने वाला हार्मोन है. इसके अलावा, यह आंखों के तनाव, सिरदर्द और यहां तक ​​कि मैकुलर डिजनरेशन जैसी लॉन्ग टर्म विजन प्रोब्लम में भी योगदान दे सकता है. जबकि ब्लू लाइट स्वाभाविक रूप से खराब नहीं होती है और सतर्कता और कॉग्नेटिव फंक्शन को बनाए रखने के लिए दिन के समय जरूरी होती है, लेकिन बहुत ज्यादा संपर्क, खासतौर से फोन स्क्रीन जैसे कृत्रिम स्रोतों से हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. यहां 10 तरीके बताए गए हैं जिनसे ब्लू लाइट आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.

नीली रोशनी से होने वाले गंभीर नुकसान | Serious Harm Caused By Blue Light

1. स्लीप पैटर्न को बिगाड़ना

नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा डालती है, यह हार्मोन नींद-जागने के चक्र को कंट्रोल करता है, जिससे नींद आने और सोते रहने में कठिनाई होती है. डिवाइस पर नीली रोशनी के फिल्टर का उपयोग करें, सोने से पहले स्क्रीन का समय कम करें और रेगुलर स्लीप शेड्यूल बनाए रखें.

2. आंखों पर तनाव पैदा करता है

नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों पर डिजिटल तनाव हो सकता है, जिससे सूखी आंखें, जलन और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं. 20-20-20 नियम का फॉलो करें, यानी हर 20 मिनट में कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फ़ीट दूर किसी चीज़ को देखें. अपनी आंखों को नम रखने के लिए कृत्रिम आंसू का उपयोग करें.

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3. मैक्यूलर डिजनरेशन का जोखिम बढ़ जाता है

नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने से रेटिना को नुकसान हो सकता है, जिससे संभावित रूप से उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन (AMD) हो सकता है. नीली रोशनी को रोकने वाले चश्मे पहनें, एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग वाली स्क्रीन का इस्तेमाल करें और स्क्रीन के इस्तेमाल से नियमित रूप से ब्रेक लें.

4. मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है

बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम और ब्लू लाइट के संपर्क में रहने से तनाव और चिंता बढ़ सकती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. स्क्रीन के इस्तेमाल का समय सीमित करें, खासकर सोने से पहले और आराम करने और तनाव दूर करने के लिए ऑफ़लाइन एक्टिविटीज में शामिल हों.

5. अटेंशन को कम करता है

डिजिटल डिवाइस और ब्लू लाइट के लगातार संपर्क में रहने से अटेंशन कम हो सकती है और ध्यान भटकने की संभावना बढ़ सकती है. डिवाइस के इस्तेमाल के लिए समय निर्धारित करें, माइंडफुलनेस तकनीकों का अभ्यास करें और बार-बार ब्रेक लें.

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6. सिरदर्द का कारण

ब्लू लाइट के संपर्क में आने से खासतौर पर स्क्रीन से कुछ व्यक्तियों में सिरदर्द और माइग्रेन हो सकता है. स्क्रीन की चमक को कंफर्टेबल लेवल पर एडजस्ट करें, एंटी-ग्लेयर स्क्रीन का इस्तेमाल करें और स्क्रीन के इस्तेमाल से नियमित रूप से ब्रेक लें.

7. समय के साथ आंखों को नुकसान पहुंचाता है

लगातार नीली रोशनी के संपर्क में रहने से दृष्टि संबंधी थकान और लॉन्ग टर्म आई प्रोब्लम्स हो सकती हैं. नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं, अपनी आंखों को आराम देने के लिए ब्रेक लें.

8. बच्चों में नींद संबंधी विकार पैदा कर सकता है

बच्चे खासकर से नीली रोशनी के प्रति सेंसिटिव होते हैं और बहुत ज्यादा संपर्क से नींद संबंधी विकार और बिहेवियर रिलेटेड प्रोब्लम्स हो सकती हैं. बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें, खासकर शाम के समय और उन्हें बाहर खेलने और एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करें.

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9. स्किन हेल्थ को इफेक्ट करता है

ब्लू लाइट त्वचा में प्रवेश कर सकती है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा कर सकती है, जिससे संभावित रूप से समय से पहले बुढ़ापा और त्वचा को नुकसान हो सकता है. एंटीऑक्सीडेंट वाले स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का उपयोग करें और नीली रोशनी से बचाने वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

10. हार्मोनल बैलेंस को प्रभावित करता है

नीली रोशनी के संपर्क में आने से सर्कैडियन लय में व्यवधान हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जिससे मेटाबॉलिज्म, स्ट्रेस लेवल और ऑलओवर हेल्थ प्रभावित हो सकता है. नीली रोशनी के संपर्क में आने से बचें, खासकर रात में और हार्मोनल हेल्थ को बनाए रखने के लिए एक हेल्दी रूटीन बनाएं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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