
- निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी से वोट चोरी के आरोपों के समर्थन में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा है.
- राहुल गांधी ने शपथ पत्र देने से इनकार करते हुए पहले ही संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने का हवाला दिया है.
- भाजपा ने राहुल गांधी को निर्वाचन आयोग पर भरोसा न होने पर लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने की मांग की है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी' के आरोपों पर बवाल जारी है. विपक्ष के नेता भी उनके सुर में सुर मिलने लगे हैं. वहीं चुनाव आयोग ने शनिवार को एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष से कहा कि या तो वह अपने दावों के समर्थन में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें या फिर ‘‘फर्जी'' आरोप लगाने के लिए देश से माफी मांगें. कम से कम तीन राज्यों में कथित वोट चोरी को लेकर राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच हुई तीखी बयानबाजी के एक दिन बाद, निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने फिर से कांग्रेस नेता से उनके दावों की पुष्टि के लिए हस्ताक्षरित शपथ पत्र देने पर जोर दिया.
चुनाव आयोग के तर्क
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘राहुल गांधी को या तो नियमों के अनुसार शपथ पत्र देना चाहिए या अपने झूठे आरोपों के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.'' इस बीच भाजपा ने शनिवार को कहा कि यदि कांग्रेस नेता को निर्वाचन आयोग पर भरोसा नहीं है तो उन्हें नैतिक आधार पर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए. बीजेपी ने वोट चोरी के दावे के बारे में शपथ पत्र न देने के लिए भी गांधी पर निशाना साधा. कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) ने बृहस्पतिवार को राहुल गांधी से उन मतदाताओं के नाम साझा करने को कहा था जिनके बारे में उन्होंने दावा किया है कि उन्हें मतदाता सूचियों में गलत तरीके से शामिल किया गया है या सूची से बाहर रखा गया है. उन्होंने चुनाव प्राधिकारियों द्वारा मामले में ‘‘आवश्यक कार्यवाही'' शुरू किए जाने के लिए हस्ताक्षरित घोषणापत्र भी मांगा था, लेकिन राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया था कि वह हस्ताक्षरित शपथ पत्र नहीं देंगे. राहुल गांधी ने कहा था कि वह पहले ही संसद सदस्य के रूप में संविधान की रक्षा करने की शपथ ले चुके हैं.
फैक्ट चेक में बताया था भ्रामक बयान
इससे पहले भी भारत चुनाव आयोग ने नेता प्रतिपक्ष के बयान को भ्रामक बताया था. चुनाव आयोग फैक्ट चेक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा था कि मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट उपलब्ध कराने की कांग्रेस की याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने 'कमलनाथ बनाम चुनाव आयोग, 2019' में खारिज कर दिया था. कोई भी पीड़ित उम्मीदवार 45 दिनों के भीतर संबंधित हाई कोर्ट में अपने निर्वाचन को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका (ईपी) दायर कर सकता है. उन्होंने कहा कि अगर ईपी दायर की जाती है तो सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखी जाती है. अन्यथा, इसका कोई उद्देश्य नहीं है, जब तक कि कोई मतदाता की गोपनीयता भंग करने का इरादा न रखता हो. उदाहरण के लिए, 1 लाख मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा में 1 लाख दिन लगेंगे, यानी लगभग 273 साल, और इसका कोई कानूनी नतीजा निकलना संभव नहीं है.
चुनाव आयोग क्यों मांग रहा शपथ पत्र
ईसीआई फैक्ट चेक ने कहा कि लोकसभा 2024 में वोटर लिस्ट तैयार करने के दौरान आरपी अधिनियम 1950 की धारा 24 के तहत सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कांग्रेस द्वारा शायद ही कोई अपील दायर की गई हो. राहुल गांधी द्वारा ऐसे कई आरोप लगाए जा रहे हैं और मीडिया द्वारा रिपोर्ट किए जा रहे हैं, जबकि उन्होंने कभी कोई लिखित शिकायत प्रस्तुत नहीं की है. अतीत में भी उन्होंने कभी व्यक्तिगत रूप से स्व-हस्ताक्षरित पत्र नहीं भेजा है. चुनाव आयोग के अनुसार, उदाहरण के लिए उन्होंने दिसंबर 2024 में महाराष्ट्र का मुद्दा उठाया. इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक वकील ने ईसीआई को पत्र लिखा. हमारा उत्तर 24 दिसंबर 2024 को ईसीआई की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. फिर भी राहुल गांधी का दावा है कि चुनाव आयोग ने कभी जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि यदि राहुल गांधी अपने विश्लेषण पर विश्वास करते हैं और मानते हैं कि चुनाव कर्मचारियों के विरुद्ध उनके आरोप सत्य हैं, तो उन्हें मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(ख) के अनुसार विशिष्ट मतदाताओं के विरुद्ध दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करने एवं घोषणा या शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. अगर राहुल गांधी घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, तो इसका अर्थ होगा कि उन्हें अपने विश्लेषण और परिणामी निष्कर्षों पर विश्वास नहीं है और वे बेतुके आरोप लगा रहे हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें राष्ट्र से क्षमा याचना करनी चाहिए.
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