एक जनसभा में हार्दिक पटेल
अहमदाबाद:
24 साल का लड़का गुजरात चुनाव में बड़ी भीड़ जुटा रहा है. कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रहा है. जानकार पूछ रहे हैं क्या ये बदलते गुजरात की एक नई तस्वीर का इशारा है. सवाल उठता है कि हार्दिक पटेल की रैलियों में जुट रही भारी भीड़ के मायने क्या हैं. सिर्फ अपने आइकन को देखने? कौन हैं वो जो हार्दिक की रैलियों में आ रहे हैं? सोमवार रात दूसरे चरण के चुनाव से सिर्फ दो दिन पहले निकोल की सभा में हार्दिक के स्टेज पर जय सरदार के नारे गूंजे. तस्वीरों में सरदार पटेल, भगत सिंह के साथ शिवाजी मौजूद थे. दूसरी तरफ हार्दिक. सामने हज़ारों की भीड़ जो हार्दिक की हर बात पर नारे लगाने के मौके ढूंढ ही लेती है. रैली सात बजे शुरू होनी थी, हार्दिक पौने नौ पर पहुंचे, तबतक निकोल में मंच सज गया था. जींस शर्ट में 24 साल का लड़का मंच पर आया तो पूरे मैदान में 'जय सरदार-जय सरदार' के जोरदार नारे गूंजने लगे. वहां लगे कैमरों से फेसबुक लाइव भी होता है जिससे लोग हार्दिक को सुनते हैं. गुजराती के अपने भाषणों में वो जवाब कम सवाल ज्यादा पूछते हैं.
गुजरात चुनाव ग्राउंड रिपोर्ट : जहां से शुरू हुई उज्ज्वला योजना, वहां कई घरों में अब भी जलता है चूल्हा
पटेल आंदोलन से उपजा गुस्सा अब भी नारों में दिखता है. पाटीदार युवाओं को उनमें अपना हीरो नजर आता है. वो लड़कों से सीधा संवाद करते हैं, युवाओं को भरोसा है हार्दिक के आने से उन्हें फायदा होगा अनामत का. रोशनी नारायणपुरा में रहती हैं, नौकरी करती हैं लेकिन कहती हैं कि पढ़ाई, नौकरी सबमें पाटीदार को तकलीफ होती है. अभी तक ऐसा नेता नहीं था कि अनामत मांगे, हार्दिक पर हमें पूरा भरोसा है कि वो अनामत लाकर रहेंगे.
हार्दिक के संगठन के झंडे में किसान है, गांव की रैली में वो 'जय किसान जय जवान' का नारा लगवाते हैं. शहर में उन्हें देखते ही हूं हूं बोला जाता है.. भाषण के बीच में भी लोग 'हूम-हूम-हूम' बोलते हैं. अहमदाबाद बीजेपी का गढ़ है, लेकिन यहां भी अहमदाबाद पुलिस से रोड शो की इजाजत नहीं मिलने के बावजूद हार्दिक के साथ हज़ारों पाटीदार शहर की सड़कों पर उतरते हैं. एक एक मोटरसाइकिल पर तीन तीन लड़के हर राजनीतिक रैली की तरह नियम कायदे यहां भी नहीं दिखते.
पाटीदार युवाओं की समृद्धि सड़क पर दिखती है. लेकिन उनके मन में ये बात घर की हुई है कि उनकी नुमाइंदगी सरकारी नौकरियों में कम है. जिनेश कहते हैं उन्हें हार्दिक से सिर्फ पाटीदारों को नहीं बल्कि पूरे समाज को उम्मीद है कि वो उसकी शिक्षा, नौकरी के लिये बहुत कुछ कर सकते हैं. हार्दिक की रैली में गुर्जर नेता भी आते हैं, वो शिवाजी की तस्वीर भी लगाते हैं. मुस्लिम, राजपूत, ब्राह्मण और ठाकोर समाज पर भी उनकी नजर है. टक्कर सीधे नरेंद्र मोदी से, निशाने पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी. हार्दिक की रैली में आई भीड़ दोनों नेताओं को कई नामों से नवाज़ती है.
नारायणपुरा में कांग्रेस उम्मीदवार नितिन पटेल कंधे पर चढ़ हार्दिक के पास पहुंचे. 24 साल के लड़के को देख लगा 100 साल पुरानी पार्टी इन युवा कंधों के बूते ही बीजेपी से लोहा ले सकती है. ये वो सीट है जो बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. नितिन कहते हैं कि हार्दिक के बूते युवाओं की उम्मीद कांग्रेस की जीत में तब्दील हो सकती है.
अहमदाबाद के जिन इलाकों से हार्दिक गुजरते हैं, भीड़ उनका इंतजार करती है, मीडिया को बाइट देने में वो संयम बरतते हैं. हालांकि नेताओं के गुण हार्दिक में भी आ रहे हैं. जिस सरदार के नाम से उनकी हर सभा शुरू होती है उसी सरदार चौक पर हार्दिक गाड़ी से उतरे बिना, मूर्ति को प्रणाम किये बिना आगे बढ़ गये.
VIDEO: हार्दिक पटेल की रैलियों में भारी भीड़
हार्दिक कडवा पटेल हैं, फिलहाल मुकाबला उत्तर गुजरात के 6 जिलों का हैं जहां हार्दिक को लेहुवा पटेलों के साथ ओबीसी वोटरों की जरूरत होगी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने, इसलिये कोशिश पाटीदारों से आगे झांकने की भी है. वैसे इन कोशिशों से हार्दिक कांग्रेस की झोली भरेंगे लेकिन ये भी सच है बीजेपी के मुकाबले हार्दिक का उभार कांग्रेस के लिये भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. फिलहाल हर भाषण के अंत में वो मोबाइल के फ्लैश में कसम दिलवाते हैं. कसम बीजेपी को वोट ना देने की. इन सब बातों में कितना दम है वो 18 को पता लग जाएगा.
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पटेल आंदोलन से उपजा गुस्सा अब भी नारों में दिखता है. पाटीदार युवाओं को उनमें अपना हीरो नजर आता है. वो लड़कों से सीधा संवाद करते हैं, युवाओं को भरोसा है हार्दिक के आने से उन्हें फायदा होगा अनामत का. रोशनी नारायणपुरा में रहती हैं, नौकरी करती हैं लेकिन कहती हैं कि पढ़ाई, नौकरी सबमें पाटीदार को तकलीफ होती है. अभी तक ऐसा नेता नहीं था कि अनामत मांगे, हार्दिक पर हमें पूरा भरोसा है कि वो अनामत लाकर रहेंगे.
हार्दिक के संगठन के झंडे में किसान है, गांव की रैली में वो 'जय किसान जय जवान' का नारा लगवाते हैं. शहर में उन्हें देखते ही हूं हूं बोला जाता है.. भाषण के बीच में भी लोग 'हूम-हूम-हूम' बोलते हैं. अहमदाबाद बीजेपी का गढ़ है, लेकिन यहां भी अहमदाबाद पुलिस से रोड शो की इजाजत नहीं मिलने के बावजूद हार्दिक के साथ हज़ारों पाटीदार शहर की सड़कों पर उतरते हैं. एक एक मोटरसाइकिल पर तीन तीन लड़के हर राजनीतिक रैली की तरह नियम कायदे यहां भी नहीं दिखते.
पाटीदार युवाओं की समृद्धि सड़क पर दिखती है. लेकिन उनके मन में ये बात घर की हुई है कि उनकी नुमाइंदगी सरकारी नौकरियों में कम है. जिनेश कहते हैं उन्हें हार्दिक से सिर्फ पाटीदारों को नहीं बल्कि पूरे समाज को उम्मीद है कि वो उसकी शिक्षा, नौकरी के लिये बहुत कुछ कर सकते हैं. हार्दिक की रैली में गुर्जर नेता भी आते हैं, वो शिवाजी की तस्वीर भी लगाते हैं. मुस्लिम, राजपूत, ब्राह्मण और ठाकोर समाज पर भी उनकी नजर है. टक्कर सीधे नरेंद्र मोदी से, निशाने पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी. हार्दिक की रैली में आई भीड़ दोनों नेताओं को कई नामों से नवाज़ती है.
नारायणपुरा में कांग्रेस उम्मीदवार नितिन पटेल कंधे पर चढ़ हार्दिक के पास पहुंचे. 24 साल के लड़के को देख लगा 100 साल पुरानी पार्टी इन युवा कंधों के बूते ही बीजेपी से लोहा ले सकती है. ये वो सीट है जो बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. नितिन कहते हैं कि हार्दिक के बूते युवाओं की उम्मीद कांग्रेस की जीत में तब्दील हो सकती है.
अहमदाबाद के जिन इलाकों से हार्दिक गुजरते हैं, भीड़ उनका इंतजार करती है, मीडिया को बाइट देने में वो संयम बरतते हैं. हालांकि नेताओं के गुण हार्दिक में भी आ रहे हैं. जिस सरदार के नाम से उनकी हर सभा शुरू होती है उसी सरदार चौक पर हार्दिक गाड़ी से उतरे बिना, मूर्ति को प्रणाम किये बिना आगे बढ़ गये.
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हार्दिक कडवा पटेल हैं, फिलहाल मुकाबला उत्तर गुजरात के 6 जिलों का हैं जहां हार्दिक को लेहुवा पटेलों के साथ ओबीसी वोटरों की जरूरत होगी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने, इसलिये कोशिश पाटीदारों से आगे झांकने की भी है. वैसे इन कोशिशों से हार्दिक कांग्रेस की झोली भरेंगे लेकिन ये भी सच है बीजेपी के मुकाबले हार्दिक का उभार कांग्रेस के लिये भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. फिलहाल हर भाषण के अंत में वो मोबाइल के फ्लैश में कसम दिलवाते हैं. कसम बीजेपी को वोट ना देने की. इन सब बातों में कितना दम है वो 18 को पता लग जाएगा.
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