न्यूयॉर्क:
कई लोग आज के समय में अपने मोटापे से परेशान हैं। कुछ भी खाते हैं तो वह फैट के रूप में उनकी बॉडी को नुकसान पहुंचा रहा है। कहते हैं कि मोटापा अपने में एक बीमारी है, जो अपने साथ कई अन्य बीमारियों को भी दावत देता है। अमेरिका में हुए एक शोध के अनुसार, मोटे लोगों को पतले लोगों से 50 प्रतिशत अधिक बड़ी आंत (कोलोन व रेक्टम) के कैंसर का खतरा होता है। कोलोरेक्टल कैंसर को पेट और आंत के कैंसर से भी जाना जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर बड़ी आंत के हिस्से कोलोन और रेक्टम में पनपता है।
अमेरिका के फिलाडेल्फिया में थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्कॉट वाल्डमन के अनुसार “मोटे लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की सहायता से किया जा सकता है”।
शोधकर्ताओं ने मान्यता प्राप्त दवा 'लाइनोक्लोटाइड' की भी खोज की है, जो कैंसर के निर्माण को रोकने और मोटे लोगों में कोलोरेक्टरल कैंसर की रोकथाम के लिए कारगर है। वाल्डमैन कहते हैं कि “लाइनोक्लोटाइड दवा उस हॉर्मोन की तरह काम करता है, जिसकी कमी मोटे लोगों में अक्सर हो जाती है”।
शोधर्कताओं ने बताया है कि उन्होंने इस बात की खोज की है कि मोटापे के कारण ग्वानिलीन हॉर्मोन की कमी हो जाती है, जिसका निर्माण आंत के एपिथिलियम कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। लाइनोक्लोटाइड दवाई मोटापे से परेशान लोगों में ट्यूमर को दबाने वाले हॉर्मोन रिसेप्टर्स को सक्रिय कर कैंसर का इलाज करती है। जेनेटिक रिप्सेलमेंट से ट्यूमर को दबाने वाले हॉर्मोन सक्रिय हो जाते हैं। यह शोध पत्रिका 'कैंसर रिसर्च' में प्रकाशित हुआ है।
अमेरिका के फिलाडेल्फिया में थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्कॉट वाल्डमन के अनुसार “मोटे लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की सहायता से किया जा सकता है”।
शोधकर्ताओं ने मान्यता प्राप्त दवा 'लाइनोक्लोटाइड' की भी खोज की है, जो कैंसर के निर्माण को रोकने और मोटे लोगों में कोलोरेक्टरल कैंसर की रोकथाम के लिए कारगर है। वाल्डमैन कहते हैं कि “लाइनोक्लोटाइड दवा उस हॉर्मोन की तरह काम करता है, जिसकी कमी मोटे लोगों में अक्सर हो जाती है”।
शोधर्कताओं ने बताया है कि उन्होंने इस बात की खोज की है कि मोटापे के कारण ग्वानिलीन हॉर्मोन की कमी हो जाती है, जिसका निर्माण आंत के एपिथिलियम कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। लाइनोक्लोटाइड दवाई मोटापे से परेशान लोगों में ट्यूमर को दबाने वाले हॉर्मोन रिसेप्टर्स को सक्रिय कर कैंसर का इलाज करती है। जेनेटिक रिप्सेलमेंट से ट्यूमर को दबाने वाले हॉर्मोन सक्रिय हो जाते हैं। यह शोध पत्रिका 'कैंसर रिसर्च' में प्रकाशित हुआ है।
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