लंदन: कई बार फेफड़ों में होने वाली समस्या की वज़ह से हमें सांस लेने और खांसी रहने की समस्या रहने लगती है, जिसकी वज़ह से हमें चिंता रहने लगती है। एक अध्ययन में सामने आया है कि फेफड़े के रोगियों की शारीरिक गतिविधियों के बढ़ने से अवसाद और चिंता का खतरा कम होता है। फेफड़े की बीमारी क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग (सीओपीडी) में हवा का प्रवाह बाधित हो जाने की वजह से सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
अध्ययन में पाया गया है कि सीओपीडी के मरीजों में अवसाद और चिंता की अधिकता 40 प्रतिशत है, जबकि आम लोगों में यह आंकड़ा करीब 10 फीसदी से कम है। वहीं, शोध के परिणाम बताते हैं कि सीओपीडी वाले मरीजों में शारीरिक गतिविधियों के ज़्यादा करने से चिंता में 11 फीसदी और अवसाद में 15 फीसदी का खतरा कम हो जाता है। स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख विश्वविद्यालय के मिलो पुहन ने कहा कि “समय बीतने के साथ ज़्यादा शारीरिक कार्य करने वाली सीओपीडी मरीजों में अवसाद और चिंता के पैदा होने की संभावना कम होती जाती है”। इस अध्ययन का खास महत्व इसलिए भी है कि सीओपीडी मरीजों में मानसिक विकृतियों का होना सामान्य बात है। शोधकर्ताओं ने सीओपीडी मरीजों में मानसिक खामियों से बचने के लिए शारीरिक कार्य वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है।
इसके विपरीत शोधकर्ताओं ने कहा कि कम शारीरिक गतिविधि वाले सीओपीडी मरीजों में दिल, मस्तिष्क, हार्मोन, मासंपेशीय ढांचे और संक्रमण की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। यह अध्ययन नीदरलैंड और स्वीट्जरलैंड के विशेष रूप से देखभाल वाले 409 मरीजों पर किया गया है। अध्ययन का निष्कर्ष हाल ही में लंदन में यूरोपियन रिस्पाइरेटरी सोसाइटी (ईआरएस) द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया है।
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