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पैसे का जुगाड़ करने के लिए ये फंस जाते हैं, ऋचा चड्ढा के जाल में और फिर ये चारों उससे कैसे निकलते हैं, यह आप फिल्म देखकर ही जानिए।
पैसे का जुगाड़ करने के लिए ये फंस जाते हैं, ऋचा चड्ढा के जाल में और फिर ये चारों उससे कैसे निकलते हैं, यह आप फिल्म देखकर ही जान पाएंगे।
पहले बात फिल्म की खामियों की, दिल्ली के इर्द-गिर्द घूमती इस फिल्म में चारों किरदारों का दर्शकों से परिचय कराने में काफी वक्त निकल जाता है, हालांकि ये मनोरंजन कम नहीं करता, लेकिन कहानी से पकड़ कम होती जाती है।
फिल्म के दो किरदार हनी और चूचा पूरी फिल्म में फुकरापंथी करते हैं, पर उनके किरदारों को और विस्तार से बताने में शायद कमी रह गई, जैसे कि उनका परिवार कौन है, उनका घर कहां है... उनकी कारस्तानियों पर उनका परिवार कुछ क्यों नहीं कहता। इसके अलावा तीसरे किरदार अली फजल को कहानी में ठीक से पिरोया नहीं गया। यह किरदार रहस्यमय-सा लगता है।
खैर, अब बात खूबियों की, फिल्म में सभी अभिनेताओं ने अच्छा काम किया है, खासकर वरुण ने। इनके अलावा कुछ छोटे रोल्स वाले कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म में कैमरे का कमाल नजर आता है। फिल्म आपको हंसने पर मजबूर कर सकती है। कुल मिलाकर एक कसा हुआ स्क्रीन प्ले और मृगदीप सिंह लांबा का अच्छा डायरेक्शन फिल्म को बेहतर बनाता है। इसके कुछ गाने भी अच्छे हैं। फिल्म को मेरी तरफ से 3.5 स्टार्स।
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