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"निर्मला सीतारमण के नाम सबसे लंबा बजट भाषण, मोरारजी देसाई ने सबसे ज्‍यादा बार पेश किए बजट", पढ़ें रोचक तथ्‍य

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साल 1955 तक केंद्रीय बजट केवल अंग्रेजी में दिया जाता था

नई दिल्‍ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज वित्त वर्ष 2023-24 का बजट संसद में पेश करने जा रही हैं. इस दौरान भारत ही नहीं पूरे विश्‍व की निगाहें उन पर टिकी हुई हैं. वैसे आपको बता दें कि अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण निर्मला सीतारमण ने ही पेश किया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने बजट को पेश किया था. आइए आपको बातते हैं अब तक पेश हुए बजट से जुड़े महत्‍वपूर्ण और रोचक तथ्‍य...!

  1. अब तक मोरारजी देसाई ने सबसे ज्‍यादा 10 बार आम बजट पेश किया है. इसके बाद पी चिदंबरम ने 9 बार, प्रणब मुखर्जी ने भी 9 बार, यशवंत राव चह्वाण ने 7 बार, सीडी देशमुख ने 7 बार, यशवंत सिन्‍हा ने 7 बार, मनमोहन सिंह ने 6 बार और टीटी कृष्‍णमाचारी ने भी 6 बार आम बजट पेश किया. 
  2. साल 2018 तक वित्‍त मंत्री बजट के दस्‍तावेज को ब्रीफकेस में लाते थे. साल 2019 में निर्मला सीतारमण एक फाइल में बजट दस्‍तावेज लेकर आईं, जिसे बही-खाता कहा जाता है. इस बही-खाते पर राष्‍ट्रीय प्रतीक बना था. इसके बाद निर्मला सीतारमण ने 2020 में एक टैबलेट से बजट भाषण पढ़ा था, जिसे देश में बढ़ते डिजिटलाइजेशन के प्रतीक के रूप में देखा गया.    
  3. 26 नवंबर, 1947 को वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने हमारे देश का पहला बजट पेश किया था. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी केंद्रीय बजट पेश करने वाली पहली महिला थीं. केंद्रीय बजट देने वाली दूसरी महिला निर्मला सीतारमण हैं.
  4. देश के सबसे लंबे और सबसे छोटे आम बजट की बात करें, तो निर्मला सीतारमण का 2020 में पेश 2 घंटे 40 मिनट का बजट भाषण अब तक का सबसे लंबा बजट था. वहीं,  1977 में एच एम पटेल ने मात्र 800 शब्‍दों का सबसे छोटा बजट भाषण दिया था.  
  5. साल 1973-1974 के बजट को 'ब्लैक बजट' कहा गया है, क्‍योंकि ये 550 करोड़ के घाटे का बजट था. इसे वित्त मंत्री यशवंतराव बी. चव्हाण ने पेश किया था. दरसअल, उस समय 550 करोड़ अधिकतम बजट घाटा था.
  6. साल 1955 तक केंद्रीय बजट केवल अंग्रेजी में दिया जाता था, इसके बाद केंद्र सरकार ने बजट दस्तावेजों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में मुद्रित करने का निर्णय लिया था. इसके बाद आम लोगों ने भी इसमें रूचि लेनी शुरू की.   
  7. अब अलग से रेल बजट पेश नहीं किया जाता, जिसकी शुरुआत अंग्रेजों ने साल 1924 में की थी. रेल बजट और केंद्रीय बजट को उस बिंदु से साल 2016 तक अलग-अलग पेश किया गया, लेकिन अरुण जेटली साल 2017 में केंद्रीय बजट को रेल बजट के साथ जोड़ने का विचार सामने लाए. अरुण जेटली ने 2017 में ही पहला संयुक्त केंद्रीय बजट पेश किया था.
  8. देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने साल 1991-1992 में 'द एपोचल बजट' के रूप में जाना जाने वाला एक केंद्रीय बजट पेश किया था. इसे अभी तक भारत को स्थायी रूप से बदलने के रूप में देखा जाता है. इस बजट ने देश के आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी.
  9. केंद्रीय बजट पहले शाम 5 बजे पेश किया जाता था, लेकिन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने साल 1999 में बजट पेश करने का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया था. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख 2017 में उसी समय 1 फरवरी कर दी थी. साल 1950 तक राष्ट्रपति भवन में बजट छपता था. इस वर्ष बजट उल्लंघन के कारण मुद्रण स्थान को स्थानांतरित कर दिया गया था. इसके बाद बजट की छपाई मिंटो रोड, नई दिल्ली में शुरू हुई थी.
  10. बजट पेश होने से कुछ दिन पहले होने वाली रस्म के दौरान वित्त मंत्री हलवे के एक बड़े बर्तन को हिलाते हैं. देश आजाद होने के बाद से अब तक कुल 74 वार्षिक बजट पेश किए जा चुके हैं। इसके अलावा 14 अंतरिम बजट, चार विशेष बजट या लघु बजट पेश किए जा चुके हैं.

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