Vat Purnima 2022: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) का खास महत्व है. इसे वट पूर्णिमा (Vat Purnima) भी कहा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. इस बार वट पूर्णिमा (Vat Purnima) का व्रत 14 जून यानि आज रखा जा रहा है. इस दिन महिलाएं बरगद के वृक्ष की पूजा करती हैं और उसकी परिक्रमा भी करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन बरगद के पेड़ की परिक्रमा करने से कई लाभ होते हैं. आइए जानते हैं कि वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) के दिन बरगद की परिक्रमा क्यों की जाती है और इसके क्या लाभ बताए गए हैं.
बरगद में माना गया है त्रिदेव का निवास
धार्मिक मान्यता है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. माना जाता है जो कोई वट पूर्णिमा व्रत के दिन इस पेड़ की परिक्रमा करता है, उन्हें तीनों देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.
इसलिए महिलाएं करती हैं वट वृक्ष की परिक्रमा
हिंदू धर्म शास्त्रो में बरगद के पेड़ को बेहद पवित्र और शुभ माना गया है. माना जाता है कि इसकी परिक्रमा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही दांपत्य जीवन में खुशहाली बरकरार रहती है.
बरगद में होता है जीवन
मान्यतानुसार बरगद 20 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करता है. कहा जाता है कि अगर नियमित रूप से इसकी परिक्रमा की जाए तो उससे जीवन बढ़ता है.
कितनी बार करनी चाहिए बरगद की परिक्रमा
वट पूर्णिमा के दिन महिलाएं बरगद की पूजा के बाद इसकी परिक्रमा करती हैं. इस दिन ऐसा करना पूजा का अंग माना जाता है. 7 बार बरगद की परिक्रमा करना अच्छा माना गया है.
मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है बरगद
ज्योतिष शास्त्र अनुसार बरगद का संबंध मंगल ग्रह से है. मंगल से संबंधित दोष को दूर करने के लिए बरगद की परिक्रमा करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा अगर कुंडली में मंगल दोष है तो ऐसे में वट वृक्ष की परिक्रमा कर सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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