Sawan Teesra Somvar 2022: सावन मास का तीसरा सोमवार 1 अगस्त को यानी आज है. मान्यतानुसार, यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत खास होता है. इस दिन भक्त शिवजी का आशीर्वाद पाने के लिए सोमवार-व्रत रखकर शिवजी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इसके साथ ही शिवजी की विशेष कृपा पाने के लिए रुद्राभिषेक भी करते हैं. मान्यता है कि अगर सावन सोमवार (Sawan Somvar) पर शिवजी की पूजा के साथ-साथ शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ किया जाए तो दोगुना लाभ मिल सकता है. साथ ही भोलेनाथ की कृपा से जीवन खुशहाल हो सकता है. आइए जानते हैं कि सावन के तीसरे सोमवार (Sawan Teesra Somvar) पर किए जाने वाले शिव चालीसा के बारे में.
शिव चालाीसा | Shiv Chalisa
दोहा
जय गणेश गिरिजा सुवन
मंगल मूल सुजान
कहत अयोध्यादास तुम
देहु अभय वरदान
चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला
सदा करत सन्तन प्रतिपाला
भाल चन्द्रमा सोहत नीके
कानन कुण्डल नागफनी के
अंग गौर शिर गंग बहाये
मुण्डमाल तन क्षार लगाए
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे
छवि को देखि नाग मन मोहे
मैना मातु की हवे दुलारी
बाम अंग सोहत छवि न्यारी
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी
करत सदा शत्रुन क्षयकारी
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे
सागर मध्य कमल हैं जैसे
कार्तिक श्याम और गणराऊ
या छवि को कहि जात न काऊ
देवन जबहीं जाय पुकारा
तब ही दुख प्रभु आप निवारा
किया उपद्रव तारक भारी
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी
तुरत षडानन आप पठायउ
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ
आप जलंधर असुर संहारा
सुयश तुम्हार विदित संसारा
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई
सबहिं कृपा कर लीन बचाई
किया तपहिं भागीरथ भारी
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं
सेवक स्तुति करत सदाहीं
वेद नाम महिमा तव गाई
अकथ अनादि भेद नहिं पाई
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला
जरत सुरासुर भए विहाला
कीन्ही दया तहं करी सहाई
नीलकण्ठ तब नाम कहाई
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा
जीत के लंक विभीषण दीन्हा
सहस कमल में हो रहे धारी
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी
एक कमल प्रभु राखेउ जोई
कमल नयन पूजन चहं सोई
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर
जय जय जय अनन्त अविनाशी
करत कृपा सब के घटवासी
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो
येहि अवसर मोहि आन उबारो
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो
संकट से मोहि आन उबारो
मात-पिता भ्राता सब होई
संकट में पूछत नहिं कोई
स्वामी एक है आस तुम्हारी
आय हरहु मम संकट भारी
धन निर्धन को देत सदा हीं
जो कोई जांचे सो फल पाहीं
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी
शंकर हो संकट के नाशन
मंगल कारण विघ्न विनाशन
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं
शारद नारद शीश नवावैं
नमो नमो जय नमः शिवाय
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय
जो यह पाठ करे मन लाई
ता पर होत है शम्भु सहाई
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी
पाठ करे सो पावन हारी
पुत्र हीन कर इच्छा जोई
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई
पण्डित त्रयोदशी को लावे
ध्यान पूर्वक होम करावे
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा
ताके तन नहीं रहै कलेशा
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे
जन्म जन्म के पाप नसावे
अन्त धाम शिवपुर में पावे
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी
जानि सकल दुःख हरहु हमारी
दोहा
नित्त नेम कर प्रातः ही
पाठ करौं चालीसा
तुम मेरी मनोकामना
पूर्ण करो जगदीश
मगसर छठि हेमन्त ॠतु
संवत चौसठ जान
अस्तुति चालीसा शिवहि
पूर्ण कीन कल्याण
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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