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This Article is From Jan 13, 2022

Putrda Ekadashi 2022: भगवान विष्णु को करना है प्रसन्न, तो आज पुत्रदा एकादशी के दिन जरूर करें इस आरती का पाठ

हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. नए साल की पहली एकादशी 13 जनवरी यानि आज है, जिसे पुत्रदा एकादशी के साथ-साथ वैकुण्ठ एकादशी और मुक्कोटी एकादशी के नाम से जाना जाता है. आज के दिन में भगवान विष्णु पूजा की जाती है. इस दिन पूजा के समय इस पावन आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है.

Putrda Ekadashi 2022: भगवान विष्णु को करना है प्रसन्न, तो आज पुत्रदा एकादशी के दिन जरूर करें इस आरती का पाठ
Putrda Ekadashi 2022: इस पावन आरती के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी की पूजा
नई दिल्ली:

एकादशी ( Ekadashi) का पावन दिन भगवान श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) को समर्पित होता है. हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व है.  पौष मास (Paush Month) की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) कहा जाता है. इसे वैकुण्ठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi) और मुक्कोटी एकादशी भी कहा जाता है. मान्यता है कि एकादशी के आज के दिन भगवान श्री हरि के साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. बता दें कि साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. इस एकादशी आरती में सभी 24 एकादशियों के नाम शामिल हैं. मान्यता है कि इस पावन आरती को करने से भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा बनी रहती है.

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एकादशी की आरती |  Aarti Of Ekadashi

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

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चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

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देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

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भगवान विष्णु की आरती

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

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तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

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दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

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जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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