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Navratri 2025 Day 7 Maa Kalratri: नवरात्रि की सप्तमी पर कैसे करें मां कालरात्रि की पूजा? जानें पूरी विधि, मंत्र और कथा

Shardiya Navratri 2025 Day 7 Maa Kalratri: शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप यानि मां कालरात्रि की पूजा के लिए समर्पित होता है. नवरात्रि की साधना में मां कालरात्रि की पूजा का क्या महत्व है? कैसे करनी चाहिए मां कालरात्रि की पूजा, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Navratri 2025 Day 7 Maa Kalratri: नवरात्रि की सप्तमी पर कैसे करें मां कालरात्रि की पूजा? जानें पूरी विधि, मंत्र और कथा
Navratri 2025 Day 7 Maa Kalratri: मां दुर्गा के सातवें स्‍वरूप माता कालरात्र‍ि की पूजा विधि

Shardiya Navratri 2025 Day 7 Maa Kalratri Puja Vidhi: सनातन परंपरा में नवरात्रि की साधना का ​सातवां दिन बेहद खास माना गया है क्योंकि इस दिन देवी के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा होती हैं. मां भगवती का यह स्वरूप घनघोर अंधकार के समान काला है. इसी कारण से देवी के भक्त इन्हें कालरात्रि बुलाते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करने से साधक के जीवन की सारी बाधाएं और भय दूर होते हैं. आइए मां कालरात्रि की पूजा करने की विधि, मंत्र, नियम और धार्मिक महत्व को जानते हैं.

मां कालरात्रि की कैसे करें पूजा?

मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए साधक को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके बाद साफ कपड़े पहनकर देवी के व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद घर के ईशान कोण में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां कालरात्रि का चित्र या मूर्ति रखना चाहिए. इसके बाद उसे गंगाजल से पवित्र करने के बाद देवी को लाल चंदन या रोली का तिलक लगाना चाहिए.

इसके बाद फल-फूल, धूप-दीप, आदि से देवी की पूजा करें. नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि को गुड़हल का फूल और गुड़ का भोग जरूर अर्पित करना चाहिए. इसके बाद माता के मंत्र, श्लोक या स्तोत्र आदि का पाठ करें फिर पूजा के अंत मां कालरात्रि की पूरे श्रद्धा भाव से आरती करें.

मां कालरात्रि की पूजा का मंत्र

नवरात्रि की शक्ति साधना में देवी मंत्र का जप करना बेहद शुभ और मंगलदायी माना गया है. मान्यता है कि मंत्र का जाप करने पर देवी दुर्गा शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. आइए मां कालरात्रि का मंत्र (Maa Kalratri Mantra) जपते हैं -

ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.

मां कालरात्रि के श्लोक का करें पाठ

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता.

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा.

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी.

मां कालरात्रि की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार जब देवता और मनुष्य रक्तबीज नाम के राक्षस से परेशान होकर महादेव की शरण में पहुंचे तो महादेव ने मां पार्वती को उसका वध करने को कहा. इसके बाद मां पार्वती ने कालरात्रि का रूप लेकर रक्तबीज के साथ युद्ध किया. रक्तबीज की खासियत थी कि जब भी उसके शरीर से एक भी बूंध खून धरती पर गिरता था तो उसके जैसा एक और राक्षस पैदा हो जाता था, लेकिन मां कालरात्रि ने जब उसका वध किया तो उसके रक्त को पृथ्वी पर गिरने से पहले ही अपने मुंह में भर लिया. इस तरह मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध करके देवता और मनुष्यों का अभय प्रदान किया.

मां कालरात्रि की पूजा का धार्मिक महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा करने से साधक के जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती हैं. मां कालरात्रि की कृपा से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है. उसका शत्रुभय दूर होता है और वह निर्भय होकर जीवन जीता है. हिंदू मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि की साधना करने वाला साधक हमेशा बुरी शक्तियों से बचा रहता है और उसे प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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