माता कुष्मांडा पूजा विधि | Kushmanda Mata Puja Vidhi
मान्याता के अनुसार, मां कुष्मांडा को संतरें रंग बेहद पसंद है. ऐस में इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा संतरे रंग के कपड़े पहनकर करना चाहिए. माता कुष्मांडा की पूजा में उन्हें लौंग, इलायची, सौंफ, कुम्हरा इत्यादि अर्पित करें. इसके साथ ही माता को कुमकुम, मौली, अक्षत भी चढ़ाएं. माता इलायची अर्पित करते हुए ओम् बुं बुधाय नमः मंत्र का जाप करें. माना जाता है कि इस दिन बुध के मंत्र का जाप करने से बुध देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इसके अलावा ओम् कुष्मांडायै नमः इस मंत्र का भी 108 बार जाप करें. साथ ही सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें. अंत में माता की आरती पर प्रसाद वितरित करें.
माता कुष्मांडा का भोग | Kushmanda Mata Bhog
मां कुष्मांडा की पूजा में उन्हें मालपुए का भोग लगाया जाते है. कहा जाता है कि नवरात्र का चौथे दिन मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाने से बुद्धि का विकास होता है. साथ ही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है. मां कुष्मांडा की उपासना से संकटों का निवारण होता है. साथ ही धन-दौलत से जुड़ी हुई समस्या भी खत्म होती है.
Durga Temples: ये हैं मां दुर्गा के प्रसिद्ध 5 मंदिर, नवरात्रि में दर्शन करने से मिलती है भगवती की विशेष कृपा
कुष्मांडा माता की पूजा में रंग | Navratri 4th day Color
कुष्मांडा माता की पूजा में भक्तों को पीले रंग का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए. इस दिन माता को पीले रंग से फूल, वस्त्र, और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए. इसके साथ ही माता को पीले रंग की मिठाई अर्पित करनी चाहिए.
मां कुष्मांडा मंत्र | Kushmanda Mantra
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्
सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्
Navratri 2022: नवरात्रि में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ये 4 उपाय हैं खास, परेशानियां हो सकती हैं दूर
माता की आरती Kushmanda Mata Ki Aarti
चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते
जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका
आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप
इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार
पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार
क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार
सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए
नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां
जय मां कूष्मांडा मैया
जय मां कूष्मांडा मैया
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)