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Durga Pooja 2025: धूम-धाम से शुरू हुई दुर्गा पूजा, जानें नवपत्रिका पूजन समेत सभी शुभ तिथियों का महत्व

Durga Puja 2025: सनातन परंपरा से जुड़े लोग नवरात्रि के दौरान मनाई जाने वाली जिस दुर्गा पूजा का पूरे साल इंतजार करते हैं, उसकी शुरुआत आज मां दुर्गा का आह्वान के साथ हो गई है. इसके बाद कल नवपत्रिका या फिर कोलाबोऊ पूजा, फिर संधि पूजा, दुर्गा बलिदान, हवन, सिंदूर खेला और दुर्गा विसर्जन के साथ पूर्ण होगी. दुर्गा पूजा में किए जाने वाले नवपत्रिका पूजन समेत बाकी ​तिथियों का महत्व जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

Durga Pooja 2025: धूम-धाम से शुरू हुई दुर्गा पूजा, जानें नवपत्रिका पूजन समेत सभी शुभ तिथियों का महत्व

Durga Puja 2025: सनातन परंपरा में नवरात्रि के 09 दिन देवी पूजा के लिए समर्पित हैं. इसी नवरात्रि के पावन पर्व में बंगाल, ओडिशा समेत देश के अन्य भागों में दुर्गा पूजा का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. दुर्गा पूजा के लिए पांच दिन बेहद खास माने गये हैं. इसमें पंचमी ति​थि को कलश स्थापना होती है तो वहीं षष्ठी तिथि को कल्पारंभ होता है जो कि नवपत्रिका के ठीक एक दिन पहले होता है. नवरात्रि की महासप्तमी का दिन नवपत्रिका पूजा के लिए जाना जाता है. इसे दुर्गा पूजा के अनुष्ठान का शुभारंभ माना जाता है. आइए नवपत्रिका पूजन से लेकर सिंदूर खेला के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

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नवपत्रिका पूजन का शुभ मुहूर्त

नवपत्रिका पूजन की तारीख : 29 सितंबर 2025, सोमवार 
नवपत्रिका के दिन अरुणोदय : प्रात:काल 05:49 बजे 
नवपत्रिका के दिन सूर्योदय का समय : प्रात:काल 06:15 बजे 
सप्तमी तिथि की शुरुआत : 28 सितंबर 2025 को दोपहर 02:27 बजे
सप्तमी तिथि की समाप्ति : 29 सितंबर 2025 की शाम 04:31 बजे

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नवपत्रिका की पूजा विधि एवं धार्मिक महत्व 

नवरात्रि की महासप्तमी तिथि को नवपत्रिका पूजा का विधान है. इसे कोलाबोऊ या फिर कल्लाबोऊ पूजा भी कहते हैं. इस पूजा को देवी के भक्त उनकी विधि.विधान से करते हैं. इस साल यह पवित्र पूजा 29 सितंबर 2025 को की जाएगी. नवपत्रिका पूजा से दुर्गा पूजा की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है.  इस दिन नौ पौधों के पत्तों को एक साथ बांधकर पहले पवित्र जल से स्नान कराया जाता है फिर उसे लाल या नारंगी रंग के कपड़े में बांधकर देवी की मूर्ति बगल में रखा जाता है. नवपत्रिका या फिर कोलाबोऊ को भगवान गणेश जी की पत्नी मानकर पूजा जाता है. इसे गणपति के दाएं ओर रखा जाता है.

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दुर्गा पूजा में केले, हल्दी, दारुहल्दी, अनार, अशोक, धान, अमलतास, जयंती और बेलपत्र समेत नौ पत्तों को मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है. इसी दिन देवी की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद उनका आह्वान किया जाता है. इसके बाद उनकी षोडषोपचार यानि 16 चरणों वाली पूजा होती है. नवपत्रिका पूजन में देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने आईना रखा जाता है और उस पर पड़ने वाले देवी के प्रतिबिंब को महास्नान कहते हैं. दुर्गा पूजा की सप्तमी की विशेष पूजा देवी का प्रिय भोग लगाने और उनकी आरती के साथ पूर्ण होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार नवपत्रिका पूजा से किसानों को अच्छी फसल का आशीर्वाद मिलता है. 

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दुर्गा पूजा की महत्वपूर्ण तिथियां 

दुर्गा पूजा में षष्ठी तिथि यानि आज देवी दुर्गा को बिल्व वृक्ष या फिर कलश में निवास करने के आमंत्रण दिया जाता है. कल सप्तमी तिथि यानि 29 सितंबर 2025 को नवपत्रिका या फिर कोलाबोऊ पूजा होगी. 30 सितंबर 2025 यानि महाअष्टमी तिथि को संधि पूजा और 01 अक्टूबर 2025 यानि महानवमी को दुर्गा बलिदान और हवन होगा. 02 अक्टूबर 2025 यानि दशमी तिथि को सिंदूर खेला के साथ जब दुर्गा विसर्जन होने के साथ दुर्गा पूजा पूर्ण हो जाएगी. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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