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Magh Month 2026: कब से शुरू होगा माघ मास, जानें इसका धार्मिक महत्व और जरूरी नियम

Magh Maas Ka Mahatva Aur Niyam: हिंदू धर्म में ग्यारहवें चंद्रमास यानी माघ महीने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. श्री हरि की साधना, जप, तप और व्रत आदि से जुड़े इस पावन मास की शुरुआत कब से होगी? माघ मास में स्नान-दान का क्या महत्व है? पुण्य की प्राप्ति और पाप से मुक्ति के लिए माघ महीने में क्या करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

Magh Month 2026: कब से शुरू होगा माघ मास, जानें इसका धार्मिक महत्व और जरूरी नियम
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Magh Month 2026 Puja Vidhi And Rules: हिंदू धर्म में जप-तप और व्रत आदि की दृष्टि से माघ मास का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार जिस पवित्र मास में प्रयागराज के संगम तट पर कुंभ और माघ मेला लगता है, उस पावन मास में में देवतागण देवलोक से पृथ्वी पर उतर कर आते हैं और संगम के पवित्र जल में स्नान करते हैं. देवताओं की उपस्थिति और आस्थावान लोगों के द्वारा किये जाने वाले जप, तप, व्रत और कल्पवास के पुण्य प्रभाव से यह पूरा क्षेत्र पवित्र हो जाता है. इस साल माघ मास 04 जनवरी 2026 से प्रारंभ होकर महीने की शुरुआत 01 फरवरी 2026 तक रहेगा.

हिंदू मान्यता के अनुसार यह पावन मास श्री हरि की साधना के लिए अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है. मान्यता है कि भगवान विष्णु जप-तप और दान आदि से उतना प्रसन्न नहीं होते हैं, जितना कि माघ मास में संगम तट पर नियमपूर्वक स्नान करने से होते हैं. ऐसे में श्री हरि की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को माघ मास में कम से कम एक बार संगम तट पर स्नान करने का प्रयास करना चाहिए.

तब मिलता है पूरे माघ का पुण्य फल

यदि आप किसी कारणवश पूरे माघ के महीने में प्रयागराज में संगम स्नान या कल्पवास न कर सकें तो इसके लिए वहां पर तीन दिन अथवा एक दिन रहकर श्रद्धा, विश्वास और नियम के साथ जप-तप और व्रत करने पर पूरे माघ का पुण्यफल प्राप्त होता है.

माघ मास में पड़ते हैं ये बड़े तीज-त्योहार

जिस माघ मास में सूर्य उत्तरायण को होते हैं, उस माघ के महीने में कई बड़े पर्व आते हैं. जैसे इस पावन मास की शुरुआत में सकट चौथ, लोहड़ी, मकर संक्राति जैसे पर्व आते हैं तो उत्तरार्ध में मौनी अमावस्या, गुप्त नवरात्रि, वसंत पंचमी और भानु सप्तमी जैसे पर्व पड़ते हैं. इसके साथ शीतला षष्ठी, षटतिला एकादशी, जया एकादशी, भीमाष्टमी आदि पर्व पड़ते हैं. माघ का महीना शुक्लपक्ष की पंद्रहवीं​ तिथि यानि माघी पूर्णिमा के दिन पूर्ण होता है.

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माघ मास में क्या करें

  • माघ महीने में श्री हरि की साधना श्रद्धा और विश्वास के साथ करें.
  • प्रतिदिन गंगा स्नान करें या फिर अपने घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
  • प्रतिदिन प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य को विशेष रूप से अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र का जप करें.
  • माघ महीने में भगवान शिव की पूजा और मंगलवार तथा गुरुवार के व्रत को करना भी पुण्यदायी माना गया है.
  • माघ मास में अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरमंदो को अन्न, जल, वस्त्र तथा धन आदि का दान करना चाहिए.

माघ मास में क्या न करें

  • माघ मास में तामसिक चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
  • माघ के महीने में मूली का सेवन करना भी मना है.
  • माघ महीने में भूलकर भी किसी के साथ वाद-विवाद न करें और न ही किसी को कटु वचन कहें. इस पावन मास में अपना अधिक समय धर्म-कर्म में लगाना चाहिए.

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  • माघ के महीने में दिन के समय में नहीं सोना चाहिए.
  • यदि आप माघ मास में कल्पवास कर रहे हैं तो दिन में सिर्फ एक बार ही भोजन करना चाहिए.
  • माघ मास में यदि कोई व्यक्ति किसी अपेक्षा से आपके पास आए तो उसे खाली हाथ नहीं लौटने देना चाहिए. उसकी यथासंभव मदद करना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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