Hariyali Amavasya 2022: इस बार की हरियाली अमावस्या क्यों है खास, जानें धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण

Hariyali Amavasya 2022: हरियाली अमावस्या सावन मास की अमावस्या को मनाई जाती है. इस बार हरियाली अमावस्या 28 जुलाई को पड़ रही है.

Hariyali Amavasya 2022: इस बार की हरियाली अमावस्या क्यों है खास, जानें धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण

Hariyali Amavasya 2022: हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण के लिए खास मानी जाती है.

खास बातें

  • सावन अमावस्या को रहते हैं हरियाली अमावस्या.
  • इस बार 28 जुलाई को पड़ रही है हरियाली अमावस्या.
  • हरियाली अमावस्या पर पेड़-पौधे लगाना है शुभ.

Hariyali Amavasya 2022: हरियाली अमावस्या के दिन पेड़-पौधे लगाना बेहद शुभ माना गया है. इससे पर्यावरण को संरक्षण मिलता है. कहा भी जाता है कि पेड़-पौध जीवन रक्षक हैं. पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से ही पेड़-पौधों को पूजनीय स्थान दिया गया है. धार्मिक मान्यता है कि सिर्फ एक पीपल का पेड़ लगाने से इंसान को सैकड़ों यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. इस साल हरियाली अमावस्या 28 जुलाई को पड़ रही है. आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण.

हरियाली अमावस्या कब है | Hariyali Amavasya 2022 Date

पंचांग के मुताबिक हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) सावन मास (Sawan 2022) की अमावस्या को पड़ती है. इस साल हरियाली अमावस्या 28 जुलाई, गुरुवार के दिन मानाई जाएगी. अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 जुलाई, बुधवार को रात 8 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है. वहीं अमावस्या तिथि की समाप्ति 28 जुलाई को रात 10 बजकर 16 मिनट पर होगी.

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हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण | Significance of Hariyali Amavasya 

हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन पेड़-पौधे लगाने का खास धार्मिक महत्व है. इसलिए इस दिन हरे-भरे पेड़ लगाने का संकल्प लिया जाता है. साथ ही इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण और हवन-पूजन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वत की पूजा करने के उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हरियाली अमावस्या का खास महत्व है. इस दिन पेड़-पौधे लगाने से प्रकृति हरी-भरी रहती है. इससे पर्यावरण शुद्ध और संतुलित रहता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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