
Apra Ekadashi 2025 : अपरा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित है. इसे अचला एकादशी भी कहते हैं. इस दिन श्री हरी की पूजा पाठ और दान पुण्य का विशेष महत्व है. यह व्रत करने सारे कष्ट दूर होते हैं. इसे न केवल जीवित व्यक्तियों के लिए बल्कि प्रेतात्माओं की मु्क्ति के लिए भी किया जाता है. आपको बता दें कि आज अपरा एकादशी के दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शाम 4:02 बजे तक रहेगा और प्रीति योग शाम 6:36 बजे तक. इन विशेष योगों में अपरा एकादशी व्रत कथा का पाठ करना कैसे फलदायी है, आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से...
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अपरा एकादशी की क्या है कथा - What is the story of Apara Ekadashi
महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था, जिसका छोटा भाई बड़ध्वज बड़ा ही अधर्मी तथा अन्यायी था. वह अपने बड़े भाई से बड़ा द्वेष रखता था. उस अवसरवादी पापी ने एक दिन रात्रि में बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को जंगली पीपल के वृक्ष के नीचे गाड़ दिया. मृत्यु के उपरान्त वह राजा प्रेतात्मा रूप में पीपल वृक्ष से अनेक उत्पात करने लगा. अकस्मात एक दिन धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे. उन्होंने तपोबल से प्रेत के उत्पात का कारण तथा जीवन वृत्तांत समझा. ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल वृक्ष से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया. अंत में इस प्रेत योनि से मुक्त होने के लिए, उससे 'अचला' एकादशी व्रत करने को कहा. जिससे वह राजा दिव्य शरीर वाला होकर स्वर्ग को गया.
अपरा एकादशी व्रत करने का क्या है लाभ - What is the benefit of observing Apara Ekadashi fast
इस एकादशी के व्रत को करने से ब्रह्महत्या, निन्दा, परनिन्दा, प्रेत योनि जैसे निकृष्ट कर्मों से छुटकारा मिल जाता है तथा कोर्ति एवं धन-धान्य में वृद्धि होती है. इसलिए आपको यह व्रत विधि-विधान के साथ करना चाहिए और व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए, इससे उपवास का पूर्ण लाभ मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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