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आज है अपरा एकादशी, बस इतनी देर है पूजा का मुहूर्त, पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऐसे करें पूजा

इस दिन आप विधि-विधान से पूजा करते हैं तो फिर आपको मानसिक शांति तो मिलेगी ही साथ ही पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति भी मिलेगी.

आज है अपरा एकादशी, बस इतनी देर है पूजा का मुहूर्त, पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऐसे करें पूजा
अब विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और मंत्र जप करिए.

Apara ekdashi 2025 : आज अपरा एकादशी है. यह व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन आप श्री हरी की सच्चे मन से पूजा-पाठ करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं. इससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. वहीं, अगर पितर प्रेत योनि में भटक रहे हैं तो खास तरीके से पूजा पाठ करके उनको मुक्ति दिला सकते हैं. आइए जानते हैं अपरा एकादशी का पूजा शुभ मुहूर्त कितने बजे तक है, ताकि आप सही समय में पूजा करके इस व्रत का लाभ उठा सकें...

अपरा एकादशी के दिन करें ये खास उपाय और दान, जीवन में आएगी सुख-शांति और समृद्धि

अपरा एकादशी 2025 पूजा मुहूर्त - Apara Ekadashi 2025 Puja Muhurta

अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 26 मिनट से सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक है. यानी कुल अवधि 5 घंटे 10 मिनट की है. 

अपरा एकादशी पूजा विधि - Puja vidhi on Apara Ekadashi

इस दिन आप विधि-विधान से पूजा करते हैं तो फिर आपको मानसिक शांति तो मिलेगी ही साथ ही पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलेगी.

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण कर लीजिए.
  • इसके बाद आप पूजा स्थान की सफाई करिए और गंगा जल से पवित्र कर लीजिए.
  • अब आप पूजा चौकी पर लाल या फिर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करिए. 
  • अब आप भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाइए, फिर आप उन्हें भोग लगाइए. इस बात का ध्यान रखें उनके प्रसाद में तुलसी की पत्ती जरूर मिलाइए. क्योंकि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं. 
  • अब विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और मंत्र जप करिए. अंत में आप विष्णु आरती करके आप पूजा का समापन करिए. वहीं, इस दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जरूर जलाइए.

विष्णु मंत्र 

  • ॐ नमो नारायणाय:
  • शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्
  • ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्:
  • ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मां दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 

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