मनीष सिसोदिया
नई दिल्ली:
केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग आरटीआई अर्जियों को इनकार करने के लिए एक ‘खुद से बनाई हुई नियमावली’ का इस्तेमाल कर रहा है जो सूचना का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है।
शिक्षा निदेशालय दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के तहत आता है जो आरटीआई कार्यकर्ता से नेता बने हैं। व्यापक जनहित वाली सूचना देने से इनकार किए जाने पर उसकी सीआईसी ने खिंचाई की है। यह मामला योगेश कुमार का है जिन्होंने शिक्षा निदेशालय (दक्षिण) से दिल्ली सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों में रिक्त पड़े पदों की संख्या की जानकारी मांगी थी लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब मुहैया नहीं किया गया था।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने अपने आदेश में कहा कि लोक प्राधिकार ने आरटीआई अधिनियम की धारा 4 (1)बी के तहत खुद से बनाई गई नियमावली के आधार पर सूचना देने से इनकार कर दिया। आचार्युलू ने कहा कि स्कूलों में रिक्त पड़े पदों की संख्या के बारे में सूचना को लोगों के लिए प्रतिबंधित नहीं माना जा सकता क्योंकि इस तरह की सूचना लोगों को साझा किए जाने की जरूरत है जिनका यह अधिकार है कि वे अपने बच्चों का दाखिला कराने से पहले स्कूलों की क्षमता के बारे में जानकारी लें।
सूचना आयुक्त ने विभाग के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी को एक कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा है कि आयोग इस इनकार को गंभीरता से लेता है जो कि आरटीआई अधिनियम की भावना का उल्लंघन है। आयोग ने पीआईओ से पूछा है कि सूचना देने से इनकार करने को लेकर क्यों न उन पर जुर्माना लगाया जाए।
शिक्षा निदेशालय दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के तहत आता है जो आरटीआई कार्यकर्ता से नेता बने हैं। व्यापक जनहित वाली सूचना देने से इनकार किए जाने पर उसकी सीआईसी ने खिंचाई की है। यह मामला योगेश कुमार का है जिन्होंने शिक्षा निदेशालय (दक्षिण) से दिल्ली सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों में रिक्त पड़े पदों की संख्या की जानकारी मांगी थी लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब मुहैया नहीं किया गया था।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने अपने आदेश में कहा कि लोक प्राधिकार ने आरटीआई अधिनियम की धारा 4 (1)बी के तहत खुद से बनाई गई नियमावली के आधार पर सूचना देने से इनकार कर दिया। आचार्युलू ने कहा कि स्कूलों में रिक्त पड़े पदों की संख्या के बारे में सूचना को लोगों के लिए प्रतिबंधित नहीं माना जा सकता क्योंकि इस तरह की सूचना लोगों को साझा किए जाने की जरूरत है जिनका यह अधिकार है कि वे अपने बच्चों का दाखिला कराने से पहले स्कूलों की क्षमता के बारे में जानकारी लें।
सूचना आयुक्त ने विभाग के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी को एक कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा है कि आयोग इस इनकार को गंभीरता से लेता है जो कि आरटीआई अधिनियम की भावना का उल्लंघन है। आयोग ने पीआईओ से पूछा है कि सूचना देने से इनकार करने को लेकर क्यों न उन पर जुर्माना लगाया जाए।
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