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This Article is From Sep 09, 2019

दिल्ली में प्रदूषण जांच कराना बना मुसीबत, नए मोटर व्हीकल एक्ट का असर

एक अनुमान के मुताबिक पहले रोजाना करीब 15000 वाहनों के प्रदूषण चेक होते थे जबकि अब 40 से 45 हजार वाहन रोजाना प्रदूषण चेक करवाने आ रहे हैं.

दिल्ली में प्रदूषण जांच कराना बना मुसीबत, नए मोटर व्हीकल एक्ट का असर
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

दिल्ली में अगर आप अपने वाहन का प्रदूषण जांच करवाना चाहते हैं तो अब यह आपके लिए आसान नहीं है. देश में नए मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद लोग भारी भरकम चालान से एक तरफ जहां डरे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में पेट्रोल पंपों पर बने प्रदूषण जांच केंद्रों पर कार, बाइक, ऑटो आदि की इतनी जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है कि लोगों को 4-5 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है.

पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार पर अपनी फोर्ड इको स्पोर्ट्स कार का पॉल्युशन चेक कराने आये संजय डोभाल ने बताया कि 'मेरा PUC 7 सितंबर को खत्म हो गया. मैं कल से PUC चेक कराने में लगा हूं. लेकिन लंबी लाइने देखकर वापिस आ गया. आज भी सुबह से 11 पंप देख चुका हूं. अब यहां आनंद विहार पर आया हूं, यहां पर मुझे 4 घंटे की वेटिंग दी गई है.' संजय ने बताया कि ट्रैफिक नियमों के प्रति इतनी सजगता कभी नहीं थी.

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प्रदूषण जांच केंद्र के अधिकारी मतिराम ने बताया कि पहले जहां रोजाना 60 से 70 गाड़ियों के पॉल्यूशन चेक कर रहे थे वहीं अब 125 गाड़ियों के प्रदूषण चेक हो रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि सरवर बार-बार डाउन हो जा रहा है, जिससे काम धीमा हो है और जिसके चलते लोगों को वापस भी लौट आना पड़ रहा है.

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दिल्ली में कुल 940 प्रदूषण जांच केंद्र हैं. एक अनुमान के मुताबिक पहले रोजाना करीब 15000 वाहनों के प्रदूषण चेक होते थे जबकि अब 40 से 45 हजार वाहन रोजाना प्रदूषण चेक करवाने आ रहे हैं. दिल्ली सरकार ने इसका संज्ञान लेते हुए प्रदूषण जांच केंद्र का समय भी बढ़ा दिया है. अब सुबह 7:00 बजे से रात के 10:00 बजे तक दिल्ली में प्रदूषण जांच करवाया जा सकता है जबकि पहले सुबह 8 से रात के 8 बजे तक ही प्रदूषण जांच केंद्र खुल रहे थे.

जाहिर सी बात है कि लोगों में नए मोटर व्हीकल एक्ट के डर के चलते एक सजगता भी आई है. प्रदूषण जांच करवाने में लगभग 100 रुपये की लागत आती है जबकि बिना PUC पकड़े जाने पर 10 हजार रुपये तक का चालान है. अगस्त महीने में दिल्ली में लगभग रोज़ाना 16-17 हज़ार चालान हो रहे थे, जबकि अब 4-5 हज़ार तक ही हो रहे हैं.

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