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दिल्ली पुलिस ने नौकरी का झांसा देकर ठगने वाले 8वीं पास को किया गिरफ्तार

एस सिंह ने नौकरी में दिलचस्पी दिखाते हुए गूगल पे के माध्यम से 5,500 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में ट्रांसफर किए. इसके बाद उन्हें एक फर्जी आईडी कार्ड ईमेल के जरिए मिला और अतिरिक्त 15,000 रुपए जमा करने को कहा गया.

दिल्ली पुलिस ने नौकरी का झांसा देकर ठगने वाले 8वीं पास को किया गिरफ्तार
  • शिकायतकर्ता एस सिंह ने मनोज पर गूगल पे के माध्यम से नौकरी के नाम पर कुल पच्चीस हजार रुपए ठगने का आरोप लगाया.
  • पुलिस ने तीन दिन की तकनीकी निगरानी और कई स्थानों पर छापेमारी के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
  • मनोज ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को नौकरी का झांसा देकर धोखा देता था.
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साउथ वेस्ट दिल्ली की साइबर पुलिस ने बेरोजगार युवाओं से ठगी के आरोप में बिजवासन निवासी आरोपी मनोज (33) को गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि मनोज पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से मोटी रकम लेने का आरोप है. कई स्थानों पर छापेमारी के बाद आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ा. पुलिस ने रविवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आरोपी खुद को प्रतिष्ठित एयरपोर्ट सेवा कंपनियों का प्रतिनिधि बताकर नौकरी की तलाश में लगे लोगों से संपर्क करता था.

डॉक्यूमेंटेशन फीस से ठगी

वह नौकरी के नाम पर रजिस्ट्रेशन और डॉक्यूमेंटेशन फीस के रूप में पैसे वसूलता था. आरोपी के कब्जे से एक स्मार्टफोन भी बरामद किया गया है, जिसका इस्तेमाल उसने अपराध को अंजाम देने के लिए किया था. आरके पुरम के सेक्टर 7 के निवासी एस सिंह ने एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद जांच शुरू की गई. शिकायतकर्ता ने बताया कि मनोज नाम से एक शख्स ने उसे कॉल किया. मनोज ने बीडब्ल्यूएफएस कंपनी में महीने के 35,000 रुपए वेतन वाली नौकरी का ऑफर दिया.

साइबर पुलिस तक पहुंचा केस

एस सिंह ने नौकरी में दिलचस्पी दिखाते हुए गूगल पे के माध्यम से 5,500 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में ट्रांसफर किए. इसके बाद उन्हें एक फर्जी आईडी कार्ड ईमेल के जरिए मिला और अतिरिक्त 15,000 रुपए जमा करने को कहा गया. जब पैसे भेज दिए गए तो आरोपी ने फोन बंद कर दिया और संपर्क टूट गया. साइबर पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया. इस गंभीर मामले की जांच के लिए एसआई प्रियंका के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई, जिसमें हेड कांस्टेबल जय प्रकाश और कांस्टेबल जीतू राम शामिल थे. यह टीम इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक, एसएचओ साइबर पुलिस स्टेशन और एसीपी विजय पाल तोमर के मार्गदर्शन में काम कर रही थी.

सोचता था पुलिस तक नहीं पहुंचेगी बात

तीन दिन की कड़ी तकनीकी निगरानी और महिपालपुर, रंगपुरी, पलम व बिजवासन में छापेमारी के बाद आखिरकार मनोज को गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में मनोज ने स्वीकार किया कि उसने कई लोगों को धोखा दिया है. वह नौकरी के नाम पर 20 से 25 हजार रुपए तक की रकम वसूल लेता था. वह आर्थिक रूप से कमजोर और नौकरी की तलाश में लगे लोगों को अपना शिकार बनाता था, क्योंकि वह सोचता था कि इतने कम पैसे होने के कारण वे लोग शिकायत नहीं करेंगे. मनोज आठवीं कक्षा तक पढ़ा-लिखा है और अविवाहित है. पुलिस ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मामला काफी हद तक सुलझा लिया गया है, लेकिन जांच जारी है ताकि और पीड़ितों की पहचान कर उनकी मदद की जा सके.

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