
Delhi Human Trafficking Gang: दिल्ली पुलिस की आउटर नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की स्पेशल स्टाफ और एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद से एक बड़े मानव तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है. इस गिरोह का नेटवर्क दिल्ली–NCR से लेकर श्रीनगर तक फैला हुआ था. पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया और नाबालिग बच्चियों को बचाया. भलस्वा डेयरी थाने में एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी 15 साल की बेटी और पड़ोसी की 13 साल की बेटी को अगवा कर लिया गया है. केस की गंभीरता को देखते हुए यह जांच एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को सौंप दी गई.
तकनीकी निगरानी से पता चला कि दोनों बच्चियां श्रीनगर में हैं. 15 जून 2025 को दिल्ली पुलिस की टीम ने दोनों को सुरक्षित बरामद कर वापस दिल्ली लाया. काउंसिलिंग के दौरान बच्चियों ने बताया कि उन्हें पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से बहला-फुसलाकर ले जाया गया और जम्मू के रास्ते श्रीनगर पहुंचाकर घरेलू काम में जबरन लगाया गया.
20 से 25 हजार में पुरुष तो महिलाओं का 40-60 हजार कीमत
पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई और 14 अगस्त 2025 को प्रह्लाद विहार, दिल्ली से दो आरोपियों सलीम-उल-रहमान उर्फ वसीम (गांदरबल, श्रीनगर) और सूरज (बेगमपुर, दिल्ली) को गिरफ्तार किया. सलीम ने पूछताछ में बताया कि वह V.A. Manpower Pvt. Ltd., बेमिना, श्रीनगर के नाम से एजेंसी चलाता था और पिछले दो सालों में करीब 500 लोगों को तस्करी के जरिए भेज चुका है. हर शख्स से 20–25 हजार (पुरुष) और 40–60 हजार (महिला) रुपए वसूलता था.
श्रीनगर में छापा और गिरफ्तारी
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने आरोपी सलीम के साथ श्रीनगर में छापा मारा और 19 अगस्त 2025 को दो और आरोपियों को दबोचा. जिनकी पहचान मो. तालीब (रामपुर, यूपी) और सतनाम सिंह उर्फ सरदार जी (बाराबंकी, यूपी) के रूप में हुई. यहीं से एक 16 साल की बच्ची को भी बचाया गया. तालीब के पास से पुलिस को फर्जी यूपी पुलिस आईडी कार्ड (सब-इंस्पेक्टर रैंक) भी मिला, जिसका इस्तेमाल वह पुलिस जांच से बचने के लिए करता था.
स्टेशन के पास रहने वाले गरीब बच्चों को बनाते थे शिकार
ये नेटवर्क खासकर रेलवे स्टेशनों से गरीब और नाबालिग बच्चों को निशाना बनाता था. उन्हें श्रीनगर ले जाकर घरेलू काम और बंधुआ मजदूरी में लगाया जाता था. महिला पीड़ितों के लिए ज्यादा रकम वसूली जाती थी. लेन-देन फोनपे और गूगल पे जैसे ऐप्स और हवाला चैनलों से होता था.
जांच में कई और नाम आए सामने
मामले में डीसीपी आउटर नॉर्थ हर्षेन्द्र स्वामी ने कहा, “यह केस एक बड़े संगठित मानव तस्करी नेटवर्क की पोल खोलता है. कई गिरफ्तारी और बचाव हो चुके हैं. बाकी पीड़ितों को खोजकर सुरक्षित निकालना और सभी आरोपियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करना हमारी प्राथमिकता है.” जांच में और कई नाम सामने आए हैं. शहबाज खान, नरेश, रोहित पांडे, सुहैल अहमद (सुनाज़ प्लेसमेंट एजेंसी, श्रीनगर). इनके खिलाफ भी कार्रवाई जारी है. पुलिस फर्जी दस्तावेज़, बैंकिंग आईबीऑनलाइन लेन-देन और तस्करी में इस्तेमाल गाड़ियों की जांच कर रही है.
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