उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक महिला की फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट ने एक व्यापारी को दहशत और कर्ज के दलदल में धकेल दिया. उस महिला ने कानपुर के व्यापारी को एक बेवसाइट में निवेश के बाद मोटा मुनाफा कमाने का लालच दिया. इसके बाज व्यापारी ने अलग-अलग तरीके से उसमें ढाई करोड़ का निवेश कर दिया. लेकिन जब मुनाफे की बात आई तो ठगों ने उसे उसकी पत्नी और बच्चों का अश्लील वीडियो वायरल करने की बात कहकर धमकाना शुरू कर दिया. अब व्यापारी की शिकायत पर पुलिस ने इस गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है.इनके पास से क्रिप्टो करेंसी में डेढ़ करोड़ निवेश के कागजात मिले हैं.
कैसे हुई ठगी की शुरुआत
इस साइबर ठगी की शुरुआत मई 2025 में हुई. चकेरी निवासी राहुल केशरवानी को फेसबुक पर एक अज्ञात महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली. दोस्ती व्हाट्सएप चैट में बदली. इससे धीरे-धीरे विश्वास बढ़ने लगा. महिला ने राहुल को deepgtp-india.vip नाम की एक फर्जी वेबसाइट पर ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट के जरिए मोटा मुनाफा कमाने का सपना दिखाया. मोटे मुनाफे की लालच में राहुल ने इस साल 14 जून से नौ दिसंबर के बीच यूपीआई , आरटीजीएस और एटीएम कैश डिपॉजिट के जरिए करीब दो करोड़ 50 लाख रुपये विभिन्न खातों में जमा कराए.
राहुल को ठगे जाने का पता तब चला उन्होंने अपना मुनाफा मांगना शुरू किया. इसके बाद आरोपियों ने पीड़ित की पत्नी और बच्चों की तस्वीरों का उपयोग कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए अश्लील वीडियो बनाने की धमकी दी. व्हाट्सएप कॉल और मैसेज के जरिए पूरे परिवार को खत्म करने की धमकियां दी जाने लगीं. इसके बाद पीड़ित व्यापारी ने पुलिस की शरण ली. पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल के निर्देश पर उनकी एफआईआर दर्ज की गई.
मनी ट्रेल का पता लगाने की चुनौती
इस मामले में पुलिस के सामने बड़ी चुनौती मनी ट्रेल (पैसों का रास्ता) ढूंढने की थी. ठगों ने सुराग मिटाने के लिए अधिकतर पैसा कैश डिपॉजिट मशीनों के जरिए 96 अलग-अलग संदिग्ध खातों में जमा करवाए थे. पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद एक स्थानीय बैंक खाता धारक को ट्रेस किया. इसके बाद पूरे गिरोह की परतें खुलती चली गईं. साइबर क्राइम थाना पुलिस ने इस मामले के सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमे ओसामा, मोहम्मद आरिफ, मोहम्द युसुफ,मोहम्मद सालेज, मोहम्मद फैज अनवर अंसारी, अल हुमैद और बिलाल शामिल हैं.इन आरोपियों के पास से आठ मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, 42 पासबुक, 13 चेकबुक, 10 एटीएम कार्ड, 10 पैन कार्ड और डेढ़ करोड़ रुपये के USDT (क्रिप्टो करेंसी) ट्रांजेक्शन के रिकॉर्ड शामिल हैं.
पुलिस को जांच में पता चला कि ठगी की रकम को भारतीय बैंक खातों से निकालकर एक क्रिप्टो वॉलेट में डालकर क्रिप्टो करेंसी USDT(Tether) में निवेश कर दिया जाता था. जांच में यह भी पता चला कि इस ठही में जिन बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया, उन पर पहले से ही तेलंगाना,गुजरात,छत्तीसगढ़, राजस्थान,पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में साइबर अपराध के मामले दर्ज हैं.
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