अंडर ग्रेजुएट दाखिले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय (DU)और सेंट स्टीफेंस कॉलेज का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने सेंट स्टीफेंस को 30 मई को पत्र लिखा था जिसमें कहा गया है कि स्नातक में दाखिला CUET (सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंटरेंस टेस्ट) के जरिए ही होगा. जिसमें 50 फीसदी दाखिला प्रवेश परीक्षा के अंको के आधार पर हो और 50 फीसदी आरक्षित सीटों का दाखिला 85 फीसदी CUET स्कोर पर हो और 15 फीसदी वेटेज (आरक्षित) पर हो. 24 मई को अखबार के जरिए पता लगा था कि सेंट स्टीफेंस में दाखिले के सभी उम्मीदवारों के लिए 15 फीसदी साक्षात्कार अंक जरूरी हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने निर्देश दिया कि इस प्रवेश संबंधी विवरण को वापस लिया जाए वरना इस दाखिले को दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन मान्यता नहीं देगा और छात्रों के कैरियर पर इसके दुष्प्रभाव की जिम्मेदारी सेंट स्टीफेंस कॉलेज की होगी.
दूसरी ओर, सेंट स्टीफेंस कॉलेज का कहना है कि एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान होने के नाते प्रास्पेक्टस को अपलोड करना सेंट स्टीफेंस का शैक्षिक दायित्व है. सेंट स्टीफेंस CUET के प्रक्रिया का सम्मान करता है लेकिन उसके साथ ही भारत का संविधान एक अल्पसख्यंक ईसाई संस्था के तौर पर हमें अधिकार भी देते हैं. यही नहीं, 1992 में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के मुताबिक सेंट स्टीफेंस कॉलेज के दाखिले की प्रक्रिया अनुमोदित है. यह बीते 40 साल से विश्वविद्यालय और सेंट स्टीफेंस दोनों के फायदे में रहा है. इस प्रक्रिया को अचानक बंद करना अजीब है. साथ ही विश्वविद्यालय के दाखिले की सभी प्रक्रिया सेंट स्टीफेंस पर लागू करना न्यायालय की अवमानना के समान भी है. अब हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय और कॉलेज दोनों को नोटिस भेजा है.
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