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केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने जामिया के साथ मिलकर इस दिशा में गंभीर पहल की है.
नई दिल्ली:
जब बात सैर-सपाटे की आती है तो तुरंत हमारे मन में मनाली, शिमला, आगरा, मैसूर और मुन्नार जैसी जगह का ख्याल आने लगता है. विदेशों से आने वाले मेहमान भी आगरा और बनारस जैसी जगह घूमना पसंद करते हैं. भारत के गांवों में पर्यटन का बहुत फैशन नहीं है. अब केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्विद्यालय के साथ मिलकर इस दिशा में गंभीर पहल की है. देश और दुनिया भर के 25 देशों से पर्यटन क्षेत्र में काम करने वाले उद्यमी और जानकारों ने सरकार को अपनी बातों से अवगत करवाया. सरकार चाहती है कि सैलानियों को भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की ऐतिहासिक अहमियत, रहन-सहन, खान-पान और संस्कृति के बारे में जागरूक किया जा सके ताकि देश के गांवों की खूबसूरती और विविधता को पर्यटन के मानचित्र पर बड़ी पहचान मिल सके.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 15-17 नवंबर तक त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम को थीम के अनुरूप ही गांव वाले माहौल में आयोजित किया गया. भारत गांवों का देश है और इस तरफ की कोशिश कामयाब रही तो तो देश के गांव को न सिर्फ पहचान मिलेगी बल्कि देश के विकास को नई दिशा भी मिलेगी. इतना ही नहीं रोज़गार के अवसर प्रदान होंगे.इस तीन-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के मौके पर पूर्व केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव, डॉ. नागेश सिंह ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की पर्यटन संभावनाओं से ग्रामीण-विकास होने की कामना की. साथ ही उन्होंने पर्यटन को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम बताया, जिसमें ग्रामीण पर्यटन को निर्णायक भूमिका अदा करने वाले क्षेत्र के रूप में प्रस्तुत किया.
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वहीं, पूर्व केन्द्रीय पर्यटन सचिव, विनोद जुत्शी ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों को पर्यटन के लिए अपार संभावनाओं से पूर्ण माना जिसमें अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने दूसरे देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत अपने ग्रामीण जीवन के दर्शन में अन्य देशों से काफी अनोखा है, जिसे विदेशी पर्यटक अपनी भारत यात्रा के दौरान अवश्य देखने की इच्छा रखते हैं.
धूमधाम से मना जामिया मिल्लिया इस्लामिया का 98वां स्थापना दिवस, विभिन्न कार्यक्रमों का हुआ आयोजन
इस सम्बंध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलसचिव, ए. पी. सिद्दीकी ने ग्रामीण पर्यटन के विकास को ग्रामीण-सशक्तिकरण होने की बात कही, जिसमें ग्रामीणों को शहर आने के बजाए, गांवों में ही बेहतर रोजगार मिल सके.
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जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम को थीम के अनुरूप ही गांव वाले माहौल में आयोजित किया गया. भारत गांवों का देश है और इस तरफ की कोशिश कामयाब रही तो तो देश के गांव को न सिर्फ पहचान मिलेगी बल्कि देश के विकास को नई दिशा भी मिलेगी. इतना ही नहीं रोज़गार के अवसर प्रदान होंगे.इस तीन-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के मौके पर पूर्व केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव, डॉ. नागेश सिंह ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की पर्यटन संभावनाओं से ग्रामीण-विकास होने की कामना की. साथ ही उन्होंने पर्यटन को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम बताया, जिसमें ग्रामीण पर्यटन को निर्णायक भूमिका अदा करने वाले क्षेत्र के रूप में प्रस्तुत किया.
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वहीं, पूर्व केन्द्रीय पर्यटन सचिव, विनोद जुत्शी ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों को पर्यटन के लिए अपार संभावनाओं से पूर्ण माना जिसमें अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने दूसरे देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत अपने ग्रामीण जीवन के दर्शन में अन्य देशों से काफी अनोखा है, जिसे विदेशी पर्यटक अपनी भारत यात्रा के दौरान अवश्य देखने की इच्छा रखते हैं.
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इस सम्बंध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलसचिव, ए. पी. सिद्दीकी ने ग्रामीण पर्यटन के विकास को ग्रामीण-सशक्तिकरण होने की बात कही, जिसमें ग्रामीणों को शहर आने के बजाए, गांवों में ही बेहतर रोजगार मिल सके.
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