 
                                            - दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने सफदरजंग को-ऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसायटी घोटाले में 13 आरोपियों को दोषी ठहराया है
- 11 आरोपियों को पांच साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई गई है जबकि दो को दो साल की कैद दी गई है
- आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सोसायटी को गलत तरीके से पुनर्जीवित किया गया था
दिल्ली की सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने चर्चित सफदरजंग को-ऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसायटी स्कैम में 13 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है. इस मामले में सीबीआई कोर्ट का यह फैसला लंबी सुनवाई के बाद आज, 31 अक्टूबर 2025 को आया. कोर्ट ने 11 आरोपियों करमवीर सिंह, नरेंद्र कुमार, महानंद शर्मा, पंकज मदान, अवधनी शर्मा, आशुतोष पंत, सुदर्शन टंडन, मनोज वत्स, विजय ठाकुर, विकास मदान और पूनम अवस्थी को 5 साल की कैद और जुर्माने की सज़ा दी है.
क्या है पूरा मामला
दो अन्य दोषियों सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गोपाल दीक्षित और 90 वर्षीय नरेंद्र धीर को 2 साल की कैद और जुर्माने की सज़ा सुनाई गई. यह मामला उस समय का है जब सफदरजंग को-ऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसायटी निष्क्रिय (डिफंक्ट) हो चुकी थी. आरोप है कि आरोपियों ने मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सोसायटी को गलत तरीके से रिवाइव कराया. सीबीआई जांच में सामने आया कि इसमें सरकारी अफसर और निजी लोग शामिल थे, जिन्होंने साजिश रचकर सोसायटी को फर्जी तरीके से चालू करवाया.
जनता के हितों को नुकसान पहुंचाया
दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से कंसेशनल रेट पर जमीन का आवंटन अपने फायदे के लिए कराया. सीबीआई ने इस मामले में 13 फरवरी 2008 को चार्जशीट दाखिल की थी. इसके साथ ही कोर्ट ने माना कि आरोपियों ने धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के जरिए सरकारी व्यवस्था का दुरुपयोग किया और जनता के हितों को नुकसान पहुंचाया. यह मामला उन कई हाउसिंग सोसायटी घोटालों में से एक है, जिनमें सरकारी तंत्र और निजी व्यक्तियों की मिलीभगत से जमीन का गलत आवंटन किया गया था.
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