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This Article is From Jan 23, 2023

वन नेशन वन इलेक्शन का आम आदमी पार्टी ने किया विरोध, कहा-"ये गैर संवैधानिक है और लोकतंत्र..."

आम आदमी पार्टी ने वन नेशन वन इलेक्शन को लोकतंत्र विरोधी और खतरनाक बताते हुए इसका विरोध किया है. लॉ कमीशन ने राजनीतिक दलों से वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव पर राय मांगी थी.

वन नेशन वन इलेक्शन का आम आदमी पार्टी ने किया विरोध, कहा-"ये गैर संवैधानिक है और लोकतंत्र..."
नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी ने वन नेशन वन इलेक्शन को लोकतंत्र विरोधी और खतरनाक बताते हुए इसका विरोध किया है. लॉ कमीशन ने राजनीतिक दलों से वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव पर राय मांगी थी. वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव के मुताबिक केंद्र और राज्यों का चुनाव एक साथ होना चाहिए. इस प्रस्ताव को लॉ कमीशन के सामने रखा गया और 2018 में लॉ कमीशन ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. 

'आप' नेता आतिशी ने कहा, "लॉ कमीशन ने सभी राजनीतिक दलों से राय मांगी और आप ने भी अपनी राय रखी. सबको लगता था कि इसमें क्या हर्ज है. अगर सारे चुनाव एक साथ हो जाए तो लेकिन इस गहराई से जांचने जाते हैं, तो कई चिंताजनक और सैद्धांतिक मुद्दे सामने आते हैं. अगर वन नेशन वन इलेक्शन हो जाये तो भारत के लोकतंत्र बड़ा झटका लगेगा. इसलिए आप ने वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है."

'आप' नेता आतिशी ने कहा, "केंद्र और राज्य चुनाव में लोग अलग अलग मुद्दों  पर वोट करते हैं. जिनके पास ज़्यादा संसाधन होंगे वो राज्यों के मुद्दों को दबा देंगे. जब एक समय पर चुनाव होगा तो पैसे की ताकत चुनाव पर प्रभाव डालेगी. मान लीजिए कोई सरकार दो साल में गिर जाए या को-इलेशन की सरकार हो अगले 3 साल तक चुनाव नहीं हो सकता. हमने दिल्ली में ऐसा देखा. 2013 में जनता ने 49 दिन की सरकार को देखकर जनता ने बड़ी जीत दी. अगर वन नेशन वन इलेक्शन होता तो जनता को वोट देने का अधिकार छिन जाता है."

'आप' नेता आतिशी ने कहा, "नो कॉन्फिडेंस तभी माना जाएगा कि जब तक नई सरकार का गठन होगा. मान लीजिए किसी को बहुमत नहीं मिलता है तो फिर जिस तरह स्पीकर का चुनाव होता है. किसी भी  विधायक और सांसद पर एन्टी डिफेक्शन लॉ लागू नहीं होगा और वो किसी के लिए भी वोट कर सकता है. ये बहुत खतरनाक है. हमारा सवाल है कि ये प्रस्ताव लाया क्यों जा रहा है. 2019 के चुनाव में 9 हज़ार करोड़ खर्च हुआ था. एक साल में एक हज़ार करोड़ बचाने के लिए हमारे लोकतंत्र को खतरे में डाला जा रहा है. ये गैर संवैधानिक है और लोकतंत्र के खिलाफ है."

वहीं, जैस्मीन शाह ने कहा, "हमने खुले मन से इस प्रस्ताव का विश्लेषण किया. 75 साल से हम देख रहे हैं कि लोकतंत्र को हमारे संविधान ने मज़बूत रखा है. आप बेसिक स्ट्रक्चर को खत्म नहीं कर सकते. संसदीय प्रणाली को खत्म करके प्रेसीडेंसी फॉर्म ऑफ गवर्मेंट ला रहे हैं. बाबा साहेब अंबेडकर ने एक बात कही थी. उन्होंने दावे के साथ कहा था कि संसदीय प्रणाली लाना चाह रहे हैं वो हर 5 साल में जनता के प्रति जवाबदेह होगी.  सरकार को जवाबदेह होना ज़रूरी है ना कि स्टेबल होना."

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