सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:
अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक पीठ को भेज दिया है. दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट की दो जजों की बेंच ने ये फैसला किया. बेंच ने कहा कि इस मामले से अहम संवैधानिक मुद्दे जुड़े हैं इसलिए मामले की सुनवाई संवैधानिक पीठ ही करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि संवैधानिक पीठ किन मुद्दों पर सुनवाई करे, ये वही तय करेगी. दिल्ली सरकार या केंद्र मामले में सीजेआई (भारत के मुख्य न्यायाधीश) के पास जाकर जल्द सुनवाई की अपील कर सकते हैं.
दिल्ली सरकार ने याचिका में उपराज्यपाल नजीब जंग को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक प्रमुख घोषित करने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि दिल्ली में शासन के हालत वैसे नहीं हैं जैसा दिल्ली सरकार कह रही है बल्कि ये केजरीवाल सरकार का प्रोपेगेंडा है.
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कोर्ट में कहा कि उपराज्यपाल के आदेश पर बनी कमेटी ने दिल्ली सरकार की 3000 फाइलें ली थी जिनमे से 77 को छोड़कर सब वापस दे दी गई हैं.
उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं: दिल्ली सरकार
दरअसल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और राजधानी के शासन में उनका फैसला अंतिम माना जाएगा. याचिका में कहा गया है कि उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए 31 अगस्त और दो सितंबर के बीच छह याचिकाएं दाखिल की थीं. दिल्ली सरकार का कहना है कि एक लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से चुनी हुई सरकार को जनता की सेवा करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता और दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के अधीन नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि संवैधानिक पीठ किन मुद्दों पर सुनवाई करे, ये वही तय करेगी. दिल्ली सरकार या केंद्र मामले में सीजेआई (भारत के मुख्य न्यायाधीश) के पास जाकर जल्द सुनवाई की अपील कर सकते हैं.
दिल्ली सरकार ने याचिका में उपराज्यपाल नजीब जंग को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक प्रमुख घोषित करने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि दिल्ली में शासन के हालत वैसे नहीं हैं जैसा दिल्ली सरकार कह रही है बल्कि ये केजरीवाल सरकार का प्रोपेगेंडा है.
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कोर्ट में कहा कि उपराज्यपाल के आदेश पर बनी कमेटी ने दिल्ली सरकार की 3000 फाइलें ली थी जिनमे से 77 को छोड़कर सब वापस दे दी गई हैं.
उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं: दिल्ली सरकार
दरअसल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और राजधानी के शासन में उनका फैसला अंतिम माना जाएगा. याचिका में कहा गया है कि उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए 31 अगस्त और दो सितंबर के बीच छह याचिकाएं दाखिल की थीं. दिल्ली सरकार का कहना है कि एक लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से चुनी हुई सरकार को जनता की सेवा करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता और दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के अधीन नहीं है.
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